1 नवंबर 1966 को पंजाब ने 44 हजार 212 वर्ग का बंजर और अविकसित टुकड़ा देकर हरियाणा को अलग किया था.
1 नवंबर 1966 को पंजाब ने 44 हजार 212 वर्ग का बंजर और अविकसित टुकड़ा देकर हरियाणा को अलग किया था. उसी हरियाणा को राजनीति और यहां की मेहनतकश जनता ने आज भारत के शीर्ष राज्यों में पहुंचा दिया है. हरियाणा की राजनीति के पूत के पांव पालने में ही दिखने लगे थे. उसी समय से ही दल-बदल और दिल-बदल की राजनीति शुरू हो गई थी. हालत ये हो गई कि उस समय के दो नेता आया राम और गया राम ने इतनी बार पार्टियां बदली कि दल-बदल कानून बनाना पड़ा और दल-बदलने वाले नेताओं को लेकर कहावत भी बन गई- आया राम, गया राम.
हरियाणा से निकलकर देश की राजनीति में रम गया 'आया राम, गया राम'
सायद ही देश का कोई क्षेत्रीय या राष्ट्रीय दल ऐसा है, जिसमें कोई न कोई 'आया राम, गया राम' न हो।राजनीति को कैसे मिला 'आया राम, गया राम''आया राम, गया राम' के पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है। यह पूरा वाकया 1967 में हरियाणा के हसनपुर से विधायक गया लाल के इर्द-गिर्द घूमता है। उस समय निष्ठा बदलने का खेल सरकार गिराने और बनाने से जोड़कर देखा जाता था। इसी दौर में गया लाल महज 24 घंटे के अंदर तीन दलों में शामिल हुए थे। पहले वे कांग्रेस से यूनाइटेड फ्रंट में गए, फिर कांग्रेस में लौटे और फिर नौ घंटे के अंदर ही यूनाइटेड फ्रंट में शामिल हो गए। उस समय कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह ने कहा था, 'गया राम, अब आया राम है।' इसके बाद से ही दलबदलू नेताओं के लिए यह मुहावरा बन गया। जब भी कोई नेता किसी अन्य दलों का दामन थामता, लोग उसे मजकिया तौर पर 'आया राम, गया राम' कहकर बुलाने लगे।गया लाल के बेटे का दावा, 'मेरे पिता ने कभी नहीं बदला दल'हालांकि, गया लाल के बेटे उदय भान इन आरोपों को साफ नकारते हैं। उनका कहना है कि उनके पिता ने कभी भी राजनीतिक दल नहीं बदला। हालात के अनुसार, जरूर उन्होंने दूसरे दलों का समर्थन किया। उदय का कहना है कि असल में संसद में उमा शंकर दीक्षित ने पहली बार 'आया राम, गया राम' बोला था। बाद में इसे मेरे पिता से जोड़ दिया गया। वैसे यह मुहावरा तो लोहारू के विधायक रहे हीरानंद आर्य पर फिट बैठता है, जिन्होंने सात बार राजनीतिक दल बदला था।
फ्लैशबैक में चलें तो इसकी क्रांतिकारी शुरुआत हरियाणा से हुई. 1967 में. दलबदलुओं के पितामह गयालाल हुए. फिलहाल कांग्रेस के नेता हैं. तब भी ये कांग्रेस के नेता थे. हसनपुर, जिला पलवल से MLA थे. एक रात कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी में चले गए. रात में ही वापस कांग्रेस में आ गए. 9 घंटे में फिर जनता पार्टी में चले गए. लेकिन फिर जब कांग्रेस में आए तो कांग्रेस नेता राव बीरेंद्र सिंह ने कहा कि “गया राम अब आया राम हैं.” तब से आया राम गया राम टर्म ही यूज किया जाने लगा दलबदलुओं के लिए.
इनके अलावा एक और महापुरुष भारतीय राजनीति में, हरियाणा की धरती पर हुए हैं.
बात 1967 की है। गया लाल हरियाणा कांग्रेस के विधायक थे। उन्हें राजनीति की गहरी समझ थी और इसी समझ का फायदा उन्होंने उठाया और एक ही दिन में हर घंटे पार्टी बदली और 'आया राम गया राम' कहावत को स्थापित किया।
ऐसा ही एक मामला भजन लाल वर्सेज देवी लाल का भी याद आ रहा है। उस समय हरियाणा के राज्यपाल जीडी तपासे ने कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए संदेश भेजा था। तपासे ने भजन लाल को अपना बहुमत साबित करने के लिए एक महीने का समय दिया था।
उस समय देवी लाल और अपने 48 विधायक के साथ समर्थक लोकदल और बीजेपी के विधायकों के साथ राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए प्रस्ताव भेजने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन तभी मुख्यमंत्री बनने के लिए भजनलाल ने तिकड़म खेला और अपने 37 विधायकों के साथ जनता पार्टी को छोड़ कांग्रेस को ज्वाइन किया और 1980 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए।
ऐसा ही एक मामला भजन लाल वर्सेज देवी लाल का भी याद आ रहा है। उस समय हरियाणा के राज्यपाल जीडी तपासे ने कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए संदेश भेजा था। तपासे ने भजन लाल को अपना बहुमत साबित करने के लिए एक महीने का समय दिया था।
उस समय देवी लाल और अपने 48 विधायक के साथ समर्थक लोकदल और बीजेपी के विधायकों के साथ राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए प्रस्ताव भेजने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन तभी मुख्यमंत्री बनने के लिए भजनलाल ने तिकड़म खेला और अपने 37 विधायकों के साथ जनता पार्टी को छोड़ कांग्रेस को ज्वाइन किया और 1980 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए।