भारत में दलों को चुनाव चिन्ह आवंटित करने का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं और चुनाव में खड़े उम्मीदवारों की मदद करना है। मतदाता चुनाव चिन्हों की मदद से राजनीतिक पार्टियों को याद रखते हैं और उन्हें वोट देते हैं। जब कोई राजनीतिक पार्टी अपने लिए चुनाव चिन्ह का चयन करती है तो इसके संबंध में अंतिम निर्णय निर्वाचन आयोग का ही होता है। यहां हम भारत की सात राष्ट्रीय पार्टियों को चुनाव चिन्ह मिलने का इतिहास जानेंगे।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस , 1885
चुनाव चिन्ह: हाथ का पंजा नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस का चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी था, जिसने आम लोगों, मुख्य रूप से किसानों के साथ बेहतर तालमेल स्थापित किया था। 1969 में पार्टी विभाजन के बाद चुनाव आयोग ने इस चिन्ह को जब्त कर लिया था। कामराज के नेतृत्व वाली पुरानी कांग्रेस को तिरंगे में चरखा जबकि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली नई कांग्रेस को गाय और बछड़े का चुनाव चिन्ह मिला था। 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद चुनाव आयोग ने आइएनसी के गाय-बछड़े के चिन्ह को जब्त कर लिया था। इसी दौरान संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से हार गई थीं, जिसके कारण परेशान होकर वह शंकराचार्य स्वामी चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती से आर्शीवाद लेने गईं। उन्होंने अपना दाहिना हाथ उठाकर इंदिरा गांधी को आर्शीवाद दिया, जिससे इंदिरा के मन में हाथ के पंजे को चुनाव चिन्ह बनाने का विचार आया और तब उन्होंने हाथ के पंजे को ही चुनाव चिन्ह बनाया
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी , 1990
चुनाव चिन्ह: घड़ी पार्टी का चुनाव चिन्ह नीले रंग की रेखीय घड़ी है, जिसमें नीचे दो पाए और ऊपर अलार्म का बटन है, यह बड़ी दस बजकर दस मिनट का समय दिखाती है। राष्ट्रवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह घड़ी इसलिए है क्योंकि यह दर्शाता है कि कितनी भी मुश्किलें क्यों न हो एनसीपी अपने सिद्धांतों के लिए दृढ़ता के साथ संघर्ष करती है।
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, 1998
चुनाव चिन्ह: जोहरा घास का फूल पं. बंगाल में ममता बनर्जी की इस पार्टी का नारा है मां, माटी और मनुष्य, इसका चुनाव चिन्ह फूल और घास है जो कि माटी से जुड़ा है और यह मातृत्व या हमारे राष्ट्रवादी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। चुनाव चिन्ह में किए जाने वाले साधारण फूल इंगित करते हैं कि एआइटीएमसी समाज के उन वर्गों का समर्थन करती है जो आम तौर पर निम्न वर्ग के हैं और शोषित हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, 1925
चुनाव चिन्ह: बाली हंसिया भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एक साम्यवादी दल है और 1952 से ही बाली-हंसिया इसका चुनाव चिन्ह है। इस चुनाव चिन्ह को अपनाने के पीछे का कारण यह था कि यह पार्टी भूमि सुधार को बढ़ावा देती थी और किसानों की स्थिति में परिवर्तन लाना चाहती थी। ट्रेड यूनियन आंदोलन में भी सीपीआइ की राजनीतिक विचारधारा का एक बड़ा हिस्सा शामिल रहा है।
बहुजन समाज पार्टी, 1984
चुनाव चिन्ह: हाथी बसपा ने अपना चुनाव चिन्ह इसलिए रखा क्योंकि हाथी शारीरिक शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक होता है। यह एक विशाल पशु है और आमतौर पर शांत रहता है। जैसा की बहुजन समाज का अर्थ है वह समाज जिसमें दलित वर्गों की संख्या ज्यादा है। ऊपरी जातियों और उनके उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष को हाथी के माध्यम से दर्शाया गया है।
माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, 1964
चुनाव चिन्ह: हंसिया हथौड़ा वामपंथियों ने यह चुनाव चिन्ह इस लिए चुना क्योंकि यह दर्शाता है कि सीपीआइ (एम) किसानों एवं मजदूरों की पार्टी है, जो खेतों में काम करते हैं और साधारण जीवन जीते हैं। यह पार्टी पूरे भारत में पूंजीवादी और वैश्वीकरण की नीतियों और योजनाओं का विरोध करती है।