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भारतीय मुद्रा का ‘रोचक’ इतिहास // भारत में करंसी का इतिहास // History of Indian Rupee In Hindi

भारत में करंसी का इतिहास

दोस्तों ये जानकारी आपको  अच्छी लगेगी.

पहला रूप…

वैसे तो माना जाता है कि पैसा भारत में मौर्य समाज से पहले ही आ गया था. पर उसका कोई स्थाई रूप देखने को नहीं मिला था. जैसे-जैसे शासक बदले वैसे-वैसे इसकी उपयोगिता और स्वरुप भी. हां, दस्तूर को जिस शासक ने बदला वह थे शेर शाह सूरी. हुमायूं को हराकार जब वह गद्दी पर बैठे तो एकाएक कई सारे बदलाव किए. इन बदलावों में उस समय की मुद्रा भी थी.
उस समय सोने के सिक्के चलन में हुआ करते थे. इन्हें ‘टनका’ कहा जाता था. चूंकि यह सिक्के मुगलों ने चालू किए थे और वह सूरी के दुश्मन थे. इसलिए इन सिक्कों को बंद कर दिया और इनकी जगह नए सिक्के बाजार में उतार दिए गए. यह अब चांदी के थे. जारी नये सिक्के का वजन 178 ग्रेन हुआ करता था. 1540 में जब यह सिक्के पूरी तरह से चलन में आए, तो दुनिया ने इन्हें ‘रुपिया’ के नाम से जाना.
यह नाम सूरी ने बहुत सोच समझ कर रखा था. उन्होंने इसका नाम संस्कृत के शब्द ‘रुप्यंक’ से लिया था. इसका अर्थ था चांदी का सिक्का. सूरी की इस मुद्रा में कई शासकों ने कोई बदलाव नहीं किया. सूरी का ‘रुपिया’ पूरे भारत में लोकप्रिय हो चुका था.
Sher Shah Suri Rupiya 

अंग्रेजों को रास नहीं आया ‘रुपिया’

1600 में जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में प्रवेश किया तो वह अपने साथ अपनी मुद्राएं लेकर आए थे. उन्होंने कोशिश की कि वह रुपिया की जगह अपनी मुद्रा को बाजार में उतार दें. उन्होंने इसके लिए कोशिशें की, लेकिन लोगों ने इस मुद्रा को नकार दिया. अंत में जब अंग्रेजों को लगा कि रुपिया को हटाना आसान नहीं है तो उन्होंने इसको बंद न करते हुए अपनी मुद्रा भी बाजार में उतार दी.
यह तो अंग्रेजों की महज एक चाल भर थी. उन्होंने कुछ दिन इंतजार किया और सिक्के को गिराने के लिए एक चाल चली. उन्होंने सबसे पहले उस समय के मुग़ल शासक फार्रुख सियार को अपने झांसे में लिया. फिर उसके सहयोग से बम्बई में अपने सिक्कों को लागू करने में सफल रहे. उन्होंंने चार तरह के सिक्के बाजार में उतारे थे. कैरोलीना यानी सोने के सिक्के, एंजलीना यानी चांदी के सिक्के, कूप्रून यानी ताम्बे के सिक्के और टाइनी यानी टिन के सिक्के.
दिलचस्प बात तो यह थी कि उनकी यह चाल भी बेकार हुई. वह भारत में सूरी के रुपिया को गिराकर अपने सिक्कों की साख जमाना चाहते थे, लेकिन लोगों ने इसको नकार दिया. परिणाम यह रहा कि रुपिया की चमक बरकरार रही.

रुपिया का तेजी से बदलता स्वरुप

18वीं सदी के आते-आते अंग्रेज भारत के बड़े हिस्से में अपनी जड़े मजबूत कर चुके थे. पश्चिमी देशों का भारत में व्यापार बढ़ने लगा था. ब्रिटिशों ने भारत में बैंक खोल दिए थे. व्यापार को सरलता से करने के लिए इन बैंकों को बनवाया गया था. यही दौर था, जब सूरी का सिक्का बदलाव की चौखट पर खड़ा था. असल में सिक्कों की कीमत एक लिमिट तक ही थी. इसलिए ज्यादा सिक्के रखने में परेशानी होती थी.
अंग्रेजों ने इसका फायदा उठाया और इन्हें कागज़ के रूपए में बदल दिया. माना जाता है कि पहला कागज़ का रुपया 18वीं सदी में बैंक ऑफ हिन्दोस्तान, जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार और बंगाल बैंक के द्वारा निकाला गया था. कागज़ वाली यह मुद्रा अपने साथ एक बड़ा बदलाव लेकर आई. कागज के यह नए नोट हिंदी, बंगाली और उर्दू भाषा में मुद्रित किए गये थे. इस लिहाज से इनकी उपयोगिता अलग-अलग जगह थी. माना जाता है कि यह आम जनता के लिए नहीं थे.

नोट का चलन और आरबीआई का गठन

1857 में ब्रिटिश ने एक नया नोट निकाला. उस नोट में राजा जोर्ज VI के चेहरे को दर्शाया गया. नोट को निकालने के साथ-साथ ब्रिटिश ने रुपया को आधिकारिक तौर पर भारत की असल मुद्रा घोषित कर दिया. इसके बाद 1862 में रानी विक्टोरिया के लिए भी ख़ास नोट निकाले गए. इन नोट को ‘विक्टोरिया पोर्ट्रेट सीरीज़’ कहा गया था. नोट पर रानी विक्टोरिया का चित्र भी बनाया गया था. यह पहले नोट थे, जिन्हें 10, 20, 50, 100 और 1000 रुपियेके रूप में सबके सामने लाया गया.
काफी समय तक यह नोट वाले रुपया ऐसे ही चलते रहे. 1935 में फिर ‘रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया’ का गठन किया गया. अब नोट को किसे कितना देना है, यह सब इनके हाथ में ही था. आरबीआई ने एक बार 10,000 का नोट भी निकाला था. भारत की आजादी तक यह 10,000 का नोट लागू रहा. बाद में इसे बंद कर दिया गया. इसके बाद 1938 में पांच रुपया का एक नोट निकाला गया. पांच के इस नोट पर भी किंग जोर्ज का ही चित्र बना हुआ था.

आजादी के बाद के बदलाव

अंग्रेजों के राज से आजाद होने के बाद थोड़े समय तक उनकी बनाई मुद्रा ही भारत में चलती रही. आजाद भारत ने सबसे पहले एक रूपए बनाकर अपनी शुरुआत की. इस नोट पर चार शेरों के एक स्तंभ को दर्शाया गया. धीरे-धीरे नोट बनाने में आरबीआई ने रफ़्तार पकड़ी. उन्होंने कई और नोट निकाले जिसमें उन्होंने अलग-अलग तरह की भारतीय इमारतों के चित्र को दर्शाया. आजादी के बाद भारत ने बड़ी रकम के नोट को बंद कर दिया था. पर 1954में 1000, 5000 और 10,000 रूपए के नोट को फिर से लाया गया.
1970 में महात्मा गांधी के जन्म शताब्दी स्मारक के तौर पर एक ख़ास एक रूपए का नोट निकाला गया. थोड़े समय बाद 1996 में महात्मा गांधी के चित्र वाले नोटों की सीरीज निकाली गई. महात्मा गांधी को भारतीय रूपए का मेन फेस मान लिया गया. यही कारण है कि अभी भी नोट पर हमें गांधी जी का चित्र देखने को मिलता है.

इन सबके बीच रूपए को थोड़ा छोटा करने की भी कोशिश की गई. पर वह ज्यादा नहीं चली. जैसे आना और पैसे जैसे सिक्कों को लाना. आना और पैसे थोड़े समय तो प्रचलन में रहे पर बाद में इन्हें बंद कर दिया गया. साथ ही एक रूपए को सबसे छोटी रकम की मुद्रा मान लिया गया. 2011 में रूपए के पुराने निशान को नए निशान (₹) से बदल दिया गया. अभी हाल ही में रूपए में एक और नया बदलाव आया है. 500 और 1000 के पुराने नोटों को सरकार द्वारा बंद कर दिया गया और 500 का नया नोट आया. 1000 के नोट को बदल कर उसकी जगह 2000 रूपए का नोट लाया गया है, जो चलन में हैं. इस बड़े बदलाव को ‘नोटबंदी‘ के नाम से जाना गया.
1. भारत में करंसी का इतिहास 2500 साल
पुराना हैं। इसकी शुरूआत एक राजा द्वारा की
गई थी।
2. अगर आपके पास आधे से ज्यादा (51 फीसदी)
फटा हुआ नोट है तो भी आप बैंक में जाकर उसे
बदल सकते हैं।
3. बात सन् 1917 की हैं, जब 1₹ रुपया 13$ डाॅलर
के बराबर हुआ करता था। फिर 1947 में भारत
आजाद हुआ, 1₹ = 1$ कर दिया गया. फिर धीरे-
धीरे भारत पर कर्ज बढ़ने लगा तो इंदिरा गांधी ने
कर्ज चुकाने के लिए रूपये की कीमत कम करने का
फैसला लिया उसके बाद आज तक रूपये की कीमत
घटती आ रही हैं।
4. अगर अंग्रेजों का बस चलता तो आज भारत की
करंसी पाउंड होती. लेकिन रुपए की मजबूती के
कारण ऐसा संभव नही हुआ।
5. इस समय भारत में 400 करोड़ रूपए के नकली नोट
हैं।
6. सुरक्षा कारणों की वजह से आपको नोट के
सीरियल नंबर में I, J, O, X, Y, Z अक्षर नही
मिलेंगे।
7. हर भारतीय नोट पर किसी न किसी चीज
की फोटो छपी होती हैं जैसे- 20 रुपए के नोट पर
अंडमान आइलैंड की तस्वीर है। वहीं, 10 रुपए के
नोट पर हाथी, गैंडा और शेर छपा हुआ है, जबकि
100 रुपए के नोट पर पहाड़ और बादल की तस्वीर
है। इसके अलावा 500 रुपए के नोट पर आजादी के
आंदोलन से जुड़ी 11 मूर्ति की तस्वीर छपी हैं।
8. भारतीय नोट पर उसकी कीमत 15 भाषाओं में
लिखी जाती हैं।
9. 1₹ में 100 पैसे होगे, ये बात सन् 1957 में लागू
की गई थी। पहले इसे 16 आने में बाँटा जाता था।
( सन् 1936 में बना 8 आनें का सिक्का मेरे पास
भी हैं. )
10. RBI, ने जनवरी 1938 में पहली बार 5₹ की
पेपर करंसी छापी थी. जिस पर किंग जार्ज-6
का चित्र था। इसी साल 10,000₹ का नोट भी
छापा गया था लेकिन 1978 में इसे पूरी तरह बंद
कर दिया गया।

History of Indian Rupee In Hindi

11. आजादी के बाद पाकिस्तान ने तब तक
भारतीय मुद्रा का प्रयोग किया जब तक उन्होनें
काम चलाने लायक नोट न छाप लिए।
12. भारतीय नोट किसी आम कागज के नही,
बल्कि काॅटन के बने होते हैं। ये इतने मजबूत होते हैं
कि आप नए नोट के दोनो सिरों को पकड़कर उसे
फाड़ नही सकते।
13. एक समय ऐसा था, जब बांग्लादेश ब्लेड बनाने
के लिए भारत से 5 रूपए के सिक्के मंगाया करता
था. 5 रूपए के एक सिक्के से 6 ब्लेड बनते थे. 1 ब्लेड
की कीमत 2 रूपए होती थी तो ब्लेड बनाने वाले
को अच्छा फायदा होता था. इसे देखते हुए भारत
सरकार ने सिक्का बनाने वाला मेटल ही बदल
दिया।
14. आजादी के बाद सिक्के तांबे के बनते थे। उसके
बाद 1964 में एल्युमिनियम के और 1988 में स्टेनलेस
स्टील के बनने शुरू हुए।
  1. भारतीय नोट पर महात्मा गांधी की जो
    फोटो छपती हैं वह तब खीँची गई थी जब
    गांधीजी, तत्कालीन बर्मा और भारत में ब्रिटिश
    सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस
    के साथ कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में
    मुलाकात करने गए थे। यह फोटो 1996 में नोटों
    पर छपनी शुरू हुई थी। इससे पहले महात्मा गांधी
    की जगह अशोक स्तंभ छापा जाता था।
  2. भारत के 500 और 1,000 रूपये के नोट नेपाल में
    नही चलते।
  3. 500₹ का पहला नोट 1987 में और 1,000₹
    पहला नोट सन् 2000 में बनाया गया था।
  4. भारत में 75, 100 और 1,000₹ के भी सिक्के
    छप चुके हैं।
  5. 1₹ का नोट भारत सरकार द्वारा और 2 से
    1,000₹ तक के नोट RBI द्वारा जारी किये जाते
    हैं.
  6. एक समय पर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए 0₹
    का नोट 5thpillar नाम की गैर सरकारी संस्था
    द्वारा जारी किए गए थे।
History of Indian Rupee In Hindi
21. 10₹ के सिक्के को बनाने में 6.10₹ की लागत
आती हैं.
22. नोटो पर सीरियल नंबर इसलिए डाला जाता
हैं ताकि आरबीआई(RBI) को पता चलता रहे कि
इस समय मार्केट में कितनी करंसी हैं।
23. रूपया भारत के अलावा इंडोनेशिया,
मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका की
भी करंसी हैं।
24. According to RBI, भारत हर साल 2,000
करोड़ करंसी नोट छापता हैं।
25. कम्प्यूटर पर ₹ टाइप करने के लिए ‘Ctrl+Shift
+$’ के बटन को एक साथ दबावें.
26. ₹ के इस चिन्ह को 2010 में उदय कुमार ने
बनाया था। इसके लिए इनको 2.5 लाख रूपयें का
इनाम भी मिला था।
27. क्या RBI जितना मर्जी चाहे उतनी
कीमत के नोट छाप सकती हैं ?
ऐसा नही हैं, कि RBI जितनी मर्जी चाहे उतनी
कीमत के नोट छाप सकती हैं, बल्कि वह सिर्फ
10,000₹ तक के नोट छाप सकती हैं। अगर इससे
ज्यादा कीमत के नोट छापने हैं तो उसको
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 में बदलाव
करना होगा।
28. जब हमारे पास मशीन हैं तो हम अनगणित
नोट क्यों नही छाप सकते ?
हम कितने नोट छाप सकते हैं इसका निर्धारण
मुद्रा स्फीति, जीडीपी ग्रोथ, बैंक नोट्स के
रिप्लेसमेंट और रिजर्व बैंक के स्टॉक के आधार पर
किया जाता है।
29. हर सिक्के पर सन् के नीचे एक खास
निशान बना होता हैं आप उस निशान को
देखकर पता लगा सकते हैं कि ये सिक्का कहाँ
बना हैं.
मुंबई – हीरा [◆]
नोएडा – डाॅट [.]
हैदराबाद – सितारा [★]
कोलकाता – कोई निशान नहीं.