भारत कौन है
भारत कौन है, क्या है और क्या कहना चाहता है? क्या हम उसे कभी समझ नहीं पाएंगे, जैसे किसी बीज के अन्तर्भाग को नहीं समझ सकते? किसी देश में ऐसा जादुई आकर्षण कैसे हो सकता है? आखिर भारत कौन है?
भारत को जानना है तो उसकी आवाज़ सुनो। वह आवाज़ जो प्राचीन गुफाओं की दीवारों पर उकेर कर लिखे गए शिलालेखों से आती है, उसे सुनो। सुनो किसी साधु को या किसी लोक कथाकार को, हमेशा से बहती आई किसी सदाबहार नदी को या सालों से खड़े अमर विशाल पर्वतों से गूंजकर लौटती आवाज़ सुनो। किसी संगमरमर या पत्थर पर साकार रुप में उकेरी गई प्रार्थना को देखो या किसी बरगद के नीचे लेटो और सुनो, इस भारत को सुनो।
यह नाम भारत, उस विशाल प्रायद्वीप को दिया गया है जो एशिया महाद्वीप में तिब्बत की दक्षिणी सीमा पर एक तलवार की तरह घुमावदार आकार वाली विशाल पर्वत श्रृंखला से लगा है। एक अव्यवस्थित चतुर्भुज के आकार वाला, बड़े इलाके में फैला यह क्षेत्र जिसे हम भारत कहते हैं, उपमहाद्वीप के नाम का सच्चा हकदार है। प्राचीन भूगोलज्ञ भारत को ‘चतुः समस्थाना संस्थितं से गठित’ कहते थे। इसके दक्षिण, पश्चिम और पूर्व दिशा में महान महासागर और उत्तर में धनुष की प्रत्यंचा की तरह हिमवत श्रृंखला फैली है।
उपर दिया गया हिमवत नाम ना सिर्फ बर्फ से ढंके हिमालय बल्कि उससे कम उंचाई वाले पूर्व दिशा में स्थित पटकाई, लुशाई और चटगांव पर्वत और पश्चिम के सुलेमान और किरथर श्रृंखला को भी कहा जाता है। यह श्रृंखला समुद्र तक जाती है और एक ओर यह भारत को वृक्षयुक्त इरावती घाटी से अलग करती है तो दूसरी ओर इसे ईरान के पर्वतीय पठार से अलग करती है। मिथकों और रहस्यों से भरा विशाल हिमालय अपने अद्भुत वैभव के साथ स्थित है। यह छोटी बड़ी पर्वत श्रंखलाएं अपनी बर्फ की कभी ना खत्म होने वाली धाराओं से गंगा को पोषित करती रहती हैं। हिमालय कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के लोगों का घर है।
प्रत्येक भारतीय को बर्फ से ढंकी पहाड़ों की चोटियों से प्यार है क्योंकि यह हर भारतीय के जीवन का हिस्सा है। भारतीय लोग पहाड़ों का वैसा ही सम्मान करते हैं जैसा वह अपने पिता का करते हैं। आज भी जब भारत के शहरों में लोगों की समय के साथ दौड़ चल रही है, कुछ तपस्वी हैं जो दिव्यता की खोज में बर्फ से ढंके पहाड़ों पर गुफाओं में रहते हैं। यह कोई आश्चर्य नहीं है कि आज के युग में भी कुछ महान दार्शनिक हुए हैं जैसे रमण महर्षि, स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस और जे कृष्णमूर्ति।
विंध्य पर्वत देश के पूर्व और पश्चिम हिस्से को अलग करते हैं और उत्तर और दक्षिण हिस्से के बीच सीमा बनाते हैं।
भारत बहुत भाग्यशाली है कि उसके पास विश्व की सबसे व्यापक और उर्वर भूमि है जो कि प्रबल नदियों द्वारा गाद के रुप में लाई गई जलोड़ मिट्टी से बनी है। हिमालय के दक्षिण में स्थित उत्तर भारत का ग्रेट प्लेन क्षेत्र इंडस बेसिन, गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन और इन प्रबल नदी तंत्र की सहायक नदियों से मिलकर बना है।
उत्तर भारत के ग्रेट प्लेन के दक्षिण में प्रायद्वीपीय भारत का ग्रेट प्लेटू है जो कि दो भागों में बंटा है यानि मालवा पठार और डेक्कन पठार। मालवा पठार उत्तर पश्चिम से अरावली की पहाडि़यों से घिरा है और दक्षिण में विंध्य है, जो इस प्रायद्वीप का आधा उत्तरी भाग बनाता है। छोटा नागपुर इस पठार का उत्तरपूर्वी हिस्सा है और यह भारत का सबसे अधिक खनिज समृद्ध राज्य है। नर्मदा नदी की घाटी इस पठार की दक्षिणी सीमा बनाती है। डेक्कन पठार, उत्तर की सतपुड़ा की पहाडि़यों से दक्षिण के कन्याकुमारी तक फैला है।
इस पठार के पश्चिम में पश्चिमी घाट है जिसमें सहयाद्री, नीलगिरी, अन्नामलाई और कार्डमम पर्वत शामिल हैं। पूर्व की ओर यह पठार कई छोटी पहाडि़यों में मिल जाता है जिन्हें महेन्द्र गिरी की पहाडि़यों के नाम से जाना जाता है और ये पूर्वी घाट का हिस्सा है।
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के साथ ही छोटा सा तटीय मैदानी क्षेत्र भी है जिसके क्रमशः पूर्वी और पश्चिमी तरफ डेक्कन पठार है। पश्चिमी तटीय मैदानी इलाका, पश्चिमी घाट और अरब सागर के मध्य में स्थित है और आगे जाकर उत्तरी कोंकण तट और दक्षिणी मालाबार तट में विभाजित हो जाता है। दूसरी ओर पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र, पूर्वी घाट और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित है और पश्चिमी मैदानी इलाकों की तरह दो हिस्सों में बंट जाता है, दक्षिणी भाग के रुप में कोरोमंडल तट में और उत्तरी भाग के तौर पर उत्तरी सिरकरस में।
भारत के लगभग आधे पश्चिमी भाग में एक बहुत विस्तृत भूमि है जो कि अरावली की पहाडि़यों से दो अलग अलग इकाइयों में बंटी है। अरावली के पश्चिम की ओर के क्षेत्र में थार का रेगिस्तान शामिल है जो कि रेत से बना है और निर्जल घाटियों और चट्टानी पहाडि़यों से अवरुद्ध है। ये इलाका पाकिस्तान में भी दूर तक फैला है। इस श्रृंखला के पूर्व की ओर गुजरात राज्य है जो कि भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है।
इस मुख्य भू भाग में भारत के अलावा दो द्वीप समूह भी हैं, बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार और अरब सागर में लक्ष्यद्वीप।
राजनीतिक तौर पर भारत ने आजादी के पहले की स्थिति की तरह अपनी प्राकृतिक सीमाओं को बढ़ाया और ना सिर्फ किरथर श्रृंखला के आगे बलूचिस्तान बल्कि बंगाल की खाड़ी का एक छोटा हिस्सा भी शामिल किया।
ऐतिहासिक रुप से जिस विशाल भूभाग को हम भारत कहते हैं, उसे भारत वर्ष या पुराणों के अनुसार प्रसिद्ध राजा भरत की भूमि के नाम से जाना जाता था। यह क्षेत्र जंबू द्वीप नाम के उस बड़े क्षेत्र का हिस्सा था, जो कि उन सात महाद्वीपों का अंतरतम भाग था जिनमें हिंदू सृष्टिवर्णनकर्ताओं के अनुसार, पृथ्वी को विभाजित किया गया था।
देश को ‘इंडिया’ नाम यूनानियों ने दिया। यह पुराने फारसी शिलालेखों के ‘हि-न-दू’ से मेल खाता है। ‘सप्त सिंधव’ और ‘हप्त हिंदू’ नाम की तरह जो कि वेद और वेदीनंद ने इस आर्य देश को दिया था। यह नाम महान सिंधु नदी से आया जो कि इस उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी विशेषता है और इसने ही सबसे पुरानी सभ्यताओं का पोषण किया। दक्षिण पश्चिमी तिब्बत से 16,000 फुट की उंचाई से निकलती सिंधु, लद्दाख के लेह के पास से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करती है।
इस नदी का कुल जलनिकासी क्षेत्र लगभग 4,50,000 वर्ग मील है, जिसमें से 1,75,000 वर्ग मील हिमालय की पहाडि़यों और उसकी तलहटी में है।
जम्मू कश्मीर राज्य के लेह से 11 मील आगे बहने के बाद इस बेसिन में बायें ओर से इसकी पहली सहायक नदी जांस्कर जुड़ती है, जो कि जांस्कर घाटी को हरा भरा रखती है। पर्वतारोहण प्रेमियों को जांस्कर घाटी के कई पहाड़ी मार्ग आकर्षित करते हैं। सिंधु नदी फिर बटालिक के पास से होकर बहती है। जब यह मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है तो इसमें पांच प्रसिद्ध सहायक नदियां झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज जुड़ जाती हैं। इन पांच नदियों के कारण धान का कटोरा कहे जाने वाले पंजाब को ‘पांच नदियों की भूमि’ भी कहा जाता है।
हालांकि, भारत से जुड़े ज्यादातर मिथक और भाव गंगा नदी से संबंधित हैं। गंगा नदी का पानी कभी शांत तो कभी उग्र है। प्रकृति की अप्रतिम सुंदरता और मानव आकांक्षाएं सब गंगा से ही पूरी होती हैं। सभ्यता के विकास के साथ साथ इसके किनारों पर पहुंचने के लिए तीर्थयात्रा होने लगी और मेले और त्यौहार मनने लगे। गंगा का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि भारतीय सभ्यता का। हड़प्पा सभ्यता को छोड़कर गंगा बेसिन भारत की पौराणिक कथाओं, इतिहास और लोगों के जीवन के हर पल का गवाह रहा है। भारत के महान साम्राज्यों जैसे मगध, गुप्त और मुगलों ने स्वयं को इसी मैदानी क्षेत्र में स्थापित किया। आज तक की सबसे समरुप संस्कृतियों का जन्म इसी क्षेत्र में हुआ। इसके अलावा, इसी जगह भारत में हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म का भाव स्थापित हुआ। यह नदी भारत की आर्थिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जीवनरेखा रही है।
महान गंगा नदी का उद्भव उत्तर भारत के गढ़वाल क्षेत्र में गंगोत्री ग्लेशियर के नीचे से होता है, जो कि समुद्र तल से 3959 मीटर की उंचाई पर है। यहां इसे स्वर्ग से धरती पर लाने वाले महान राजकुमार भगीरथ के नाम पर, भागीरथी के नाम से जाना जाता है। गंगा गोमुख से बाहर फूट कर आती है जो गाय के मुंह के आकार की बर्फ से ढंकी एक गुफा है। भागीरथी इसमें से लगातार चमकती हुई और ग्लेशियर से टूटते बर्फ के बड़े बड़े टुकड़ों के साथ बहती है। इससे 18 किमी नीचे गंगोत्री है। ग्लेशियर के पिघलने और वर्तमान गोमुख की स्थिति के पहले यही गंगा का स्रोत था। गंगोत्री से आगे गंगा उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से गुजरती है जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश शामिल हैं। गंगा और उसकी सहायक नदियों के मार्ग में कई आबाद इलाके आते हैं जिन्होंने अपनी विशिष्ट संस्कृति स्वयं विकसित की है।
इस पवित्र नदी की उत्तर भारत की प्रारंभिक यात्रा के दौरान इसके तट पर उत्तरकाशी, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे महत्वपूर्ण स्थान आते हंै। हरिद्वार से इलाहाबाद तक गंगा के समानांतर यमुना नदी बहती है, जो उत्तर भारत की एक और प्रमुख नदी है। गंगा गढ़मुक्तेश्वर से भी गुजरती है, जहां माना जाता है कि देवी गंगा पांडवों के पूर्वज शांतनु को दिखती थी। यह बिठुर से भी बहती है जो कानपुर के पास लेकिन उससे बहुत पुराना शहर है। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर भी है। तब जाकर गंगा इलाहाबाद पहुंचती है जो भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है।
इलाहाबाद एक पवित्र स्थान है जिसमें आत्मा को शुद्ध करने तक की शक्तियां हैं, खासकर पौराणिक और भूमिगत नदी सरस्वती के कारण। माना जाता है कि सरस्वती इस स्थान पर गंगा और यमुना के साथ मिलती है जिसे संगम कहते हैं। वैदिक काल में इस संगम पर एक स्थान था जिसका नाम प्रयाग था, वहां वेद लिखे गए थे। कहा जाता है कि ब्रह्मा ने स्वयं यहां बलिदान दिया था। हून त्सांग ने 634 ईसवी में प्रयाग की यात्रा की थी। मुगल शासक अकबर ने इस स्थान का नाम बदलकर इलाहाबास किया था जो बाद में इलाहाबाद में बदल गया। संगम के सामने अकबर द्वारा बनवाया गया विशाल ऐतिहासिक लाल पत्थरों से बना किला है।
हरिद्वार की तरह ही वाराणसी भी मंदिरों का शहर है। हालांकि वाराणसी का वर्णन करना मुश्किल है। श्री रामकृष्ण ने एक बार कहा था, ‘वाराणसी का शब्दों में वर्णन करने के प्रयास में पूरे संसार का नक्शा तैयार किया जा सकता है’। धरती के सभी शहरों में सबसे पुराने इस शहर का इतिहास 2500 साल पुराना है। इसे बुद्ध के दिनों में भी जाना जाता था। प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन होता रहा है और यह भगवान शिव से जुड़ा एक पवित्र तीर्थस्थल रहा है। हिंदुओं में मान्यता है कि इस स्थान पर प्राण त्यागने वाले को सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। आश्चर्य है कि वाराणसी का नाम गंगा के महान संगम पर नहीं बल्कि उससे यहां जुड़ती दो छोटी नदियों वरुणा और असी के नाम से मिलकर बना। भारत की सबसे प्राचीन आबाद बस्ती काशी वरुणा के उत्तर में स्थित है।
अपने मैदानी इलाकों को पार करके गंगा पटना से बहती है। पटना का वर्णन भारत के इतिहास की किताबों में प्रसिद्ध पाटलीपुत्र के नाम से है। प्रसिद्ध शिकारी और संरक्षणवादी जिम काॅर्बेट के भारत में रहने के दौरान उनके कार्य स्थल मोकामा से भी गंगा गुजरती है। यह फरक्का बैराज से बहती है, जो हुगली नदी में पानी छोड़ने के लिए बनाया गया ताकि हुगली में कीचड़ का जमना रोका जा सके। इसके तुरंत बाद गंगा कई सहायक नदियों में बंट जाती है, जो गंगा डेल्टा का निर्माण करती हैं। हुगली इसकी एक सहायक नदी है जिसे सच्ची गंगा माना जाता है। इसकी एक मुख्य नहर बांग्लादेश जाती है जिसे वहां पद्मा नदी कहा जाता है, यह प्रसिद्ध भारतीय कवि रवींद्रनाथ टैगौर को बहुत प्यारी थी।
गंगा की तरह ही भारत भर में बहने वाली नदियां उस क्षेत्र के लोगों के लिए पवित्र हैं। यही बात उत्तर भारत में गंगा के मैदानी इलाकों के साथ साथ देश के दक्षिण क्षेत्र पर भी लागू होती है। यह विंध्य पर्वत की श्रृंखला वाला पहाड़ी क्षेत्र है, जहां भारत के लोगों द्वारा पूजी जाने वाली कावेरी नदी की उर्वर भूमि है। यह नदी नीलगिरी के आसमानी पर्वतों से बहती है। आज इस क्षेत्र में भारत के चार राज्य आते हैं, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश। समय के साथ परंपराओं की निरंतरता इन राज्यों में साफ दिखाई देती है। कावेरी के भूमि क्षेत्र के उपर उड़ीसा राज्य स्थित है। उड़ीसा भारत का एक और संस्कृति समृद्ध राज्य है, जिसका पोषण महानदी नाम की नदी करती है।
पूरे पूर्वी भारत से विशाल ब्रह्मपुत्र नदी बहती है। ब्रह्मपुत्र का पानी चीन से होता हुआ भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम में आता है। आगे उत्तरपूर्व में सात अन्य राज्य हैं, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम। भारत के मध्य और पश्चिम क्षेत्र में दो नदियां, नर्मदा और ताप्ती हैं। इनकी विशेषता है कि वो भारत की अन्य नदियों से भिन्न पूर्व से पश्चिम में बहती हैं, इसमें ब्रह्मपुत्र एक अपवाद है। इन दोनोें में से नर्मदा का पौराणिक महत्व ज्यादा है क्योंकि इसे मां और दानी माना गया है। मान्यता है कि नर्मदा के दर्शन मात्र से आत्मा शुद्ध हो जाती है, जबकि इसी कार्य के लिए गंगा में एक और यमुना में सात बार डुबकी लगाई जाती है।
भारत सदा ही बड़ी और विविध आबादी वाला रहा है, जिससे सदियों से इसका चरित्र जीवंत बना रहा। भारत में लगभग 3,000 समुदाय हैं। भारत की आबादी का मिश्रण इतना व्यापक और जटिल है कि इसके दो तिहाई समुदाय हर राज्य की भौगोलिक सीमा पर मिल जाते हैं। इनमें काॅसोकोइड, नेगरिटो, प्रोटो-आॅस्ट्रोलाॅइड, माॅन्गोलाइड और मेडीटेरेनीयन नस्लों का भी मेल है।
भारत की आबादी का आठ प्रतिशत हिस्सा आदिवासी है। शारीरिक गठन और भाषा के आधार पर भारत के लोगों को आसानी से चार व्यापक वर्गों में बांटा जा सकता है। पहला उच्च वर्ग के हिंदुओं का बहुमत है, जो उत्तर भारत में रहते हैं और उनकी भाषा संस्कृत से ली गई है। दूसरा, वो लोग जो भारत के दक्षिण में रहते हैं और उनकी भाषा तमिल, तेलगु, कन्नड़ और मलयालम है, जो संस्कृत से बिलकुल भिन्न है। उन्हें उनके जातीय नाम ‘द्रविड़’ से जाना जाता है। तीसरा, भारत के जंगल और पर्वतों में रहने वाली प्राचीन जनजातियां, जिनका जिक्र उपर बताई गई भारत की आठ प्रतिशत आबादी में था। इस वर्ग में कोल, भील और मुडा आते हैं। चैथे हैं वो लोग जिनकी मुखाकृति पर अत्याधिक मंगोलियन प्रभाव है और यह उत्तरपूर्वी राज्यों और हिमालय की ढलान पर रहते हैं।
इन सबको जोड़ें तो भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहां बीस धार्मिक धाराएं साथ बहती हैं। अगर आपको यह बात सुनने में पुरानी लगती है तो आपके लिए एक आश्चर्यजनक जानकारी भी है। भारत के लगभग 500 समुदाय कहते हैं कि वो एक समय में दो धर्मों का पालन करते हैं। भारत की आबादी एक अरब से ज्यादा है जिसमें ज्यादातर हिंदू हैं।
कोई आश्चर्य नहीं है कि दुनिया भर में आज भारत को ‘कई धर्मों की भूमि’ कहा जाता है। प्राचीन भारत ने हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म का जन्म देखा। यह सभी धर्म और संस्कृतियां कुछ इस प्रकार मिली कि भले ही सबकी भाषा, सामाजिक तौर तरीके, धर्म अलग अलग हों लेकिन पूरे देश की जीवन शैली में समानता है। भारत इस तरह इतना भिन्न होकर भी गहरी एकता दिखाता है।
हिंदू धर्म, यह नाम सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोगों को दिया गया। यह क्षेत्र उत्तर पश्चिम से भारत आए आक्रमणकारियों के अधिकार में कई सदियों तक रहा।
हालांकि हिंदू धर्म वास्तव में कोई धर्म नहीं बल्कि एक दर्शन या जीवन यापन का तरीका है जो कि भारतीय उपमहाद्वीप में सदियों में विकसित हुआ। वैदिक काल के ऐसे बहुत से ग्रंथ हैं जिनमें बुनियादी सत्य और कुछ सिद्धांत बनाए गए हैं, लेकिन हिंदू धर्म में ऐसे कोई सिद्धांत नहीं तय किये गए, बल्कि एक सामान्य सिद्धांत है सहिष्णुता का। इसलिए पूर्व और पश्चिम से पहाड़ों या समुद्र के रास्ते भारत आए विभिन्न नस्लों, भाषाओं या धर्मों के असंख्य लोग अपने साथ अपनी विचारधारा, परंपरा और भाषा भारत ले आए और यहां अपने अनुसार अपना जीवन जीते रहे।
भारत के संविधान ने अपने नागरिकों को जीवन यापन की और श्रद्धा की आजादी की ग्यारंटी दी है। इससे देश भर में विभिन्न त्यौहारों का मनाया जाना सुनिश्चित हुआ।
भारत में क्योंकि हिंदुओं का बहुमत है, इनके त्यौहार यहां के कैलेंडर पर हावी दिखते हैं। सभी त्यौहारों में सबसे रंगारंग त्यौहार दीपावली है जिसे आमतौर पर रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है। महाकाव्य रामायण के केन्द्रीय पात्र राम थे, जो अपने पिता के कहने पर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 सालों के वनवास पर गए। जंगलोें में घूमने के दौरान लंका के राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। लंबे युद्ध के बाद राम ने रावण को हराया और सीता को बचाकर अपने राज्य अयोध्या
लौटे। दक्षिण स्थित लंका से उत्तर स्थित अयोध्या की यात्रा में उन्हें बीस दिन लगे। उनकी विजयी वापसी पर अयोध्या के लोगों ने खुशी में पूरा शहर जगमगाया और उत्सव मनाया। आज भी दीपावली पर पारंपरिक तौर पर लोग अपने घर और शहर को मिट्टी के दीयों से रोशन करते हैं। दीपावली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
दीपावली से बीस दिन पहले हुए राम और रावण के युद्ध और राम की विजय के उत्सव के तौर पर भारत के कई हिस्सों में दशहरा मनाया जाता है। दशहरे के दिन रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेधनाथ के पुतले जलाए जाते हैं। भारत के विभिन्न गांवों, शहरों और कस्बों में दशहरे के पहले रामायण का प्रदर्शन किया जाता है। राम लीला कहे जाने वाले इस प्रदर्शन में पूरी रामायण का अभिनय किया जाता है, जो ज्यादातर युवा लड़के करते हैं और लड़के ही इसमें महिलाओं का पात्र भी निभाते हैं। यह बहुत लोकप्र्रिय है। बड़ी संख्या में लोग इसे देखने जुटते हैं।
यह तो भारत में दो प्रमुख हिंदू त्यौहारों का सामान्य ब्यौरा था। अलग अलग इलाकों में लोगों के इसे मनाने के तरीके में फर्क है। उदाहरण के तौर पर बंगाल में दीपावली से पहले दुर्गा पूजा मनाई जाती है।
जहां देवी दुर्गा की मूर्ति पश्चिम बंगाल में पूरी भक्ति के साथ तैयार की जाती है वहीं भारत भर में भगवान गणेश को विध्नहर्ता के तौर पर पूजा जाता है। महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का उत्सव भी उन्हीं के लिए है।
आजादी के बाद से भारत में सामान्य परंपराएं पुनः प्रचलन में आईं, खासकर शिल्प परंपरा। शिल्प भारत के धार्मिक और पारंपरिक रिवाजों का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि शिल्पकार हमेशा से ही मंदिरों में मूर्ति बनाते आए हैं और पूजा के लिए आवश्यक सामान मुहैया कराते रहे हैं। भारत की आजादी के पहले, अंग्रेजों द्वारा आधुनिक औद्योगिकरण की नीति के कारण कई गांवों में शिल्प का काम मंदा हो गया था।
हिंदू देव समूह में कई देव और देवियां हैं, जिन्हें देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग महत्व के आधार पर पूजा जाता है। विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण महाभारत के दिव्य मर्म हैं। उन्होंने ही कुरुक्षेत्र में कौरवों से युद्ध के दौरान पांच पांडवों में से एक अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश दिया था। यह युद्ध अच्छाई और बुराई की शक्तियों के बीच की लड़ाई का प्रतीक है। भगवान कृष्ण कोई पौराणिक चरित्र नहीं हैं। भगवान कृष्ण को पूरे भारत में पूजा जाता है और विशेष रुप से उन्हें समर्पित कई मंदिर भी हैं। खासतौर पर मथुरा और वृंदावन में, जहां वह एक बालक के रुप में रहे और उनके चमत्कारों से उनकी दिव्यता का पता चलता गया। राधा के लिए उनका प्रेम, कांगड़ा या पहाड़ी चित्रकला करने वाले लघु चित्रकारों के लिए प्रेरणा रहा। सोने से की जाने वाली व्यापक चित्रकारी जो कि दक्षिण भारत की तंजोर शैली है, उसकी भी प्रेरणा रहा।
ग्रेगोरियन कैलेंडर से उलट भारतीय कैलेंडर अप्रैल से शुरु होता है। नए साल का पहला दिन बैसाखी के तौर पर मनाया जाता है और यह अक्सर अप्रैल 13 को होता है। यह उत्तर भारत, खासकर पंजाब में गेंहू की कटाई के समय पड़ता है। लोग इसे नए कपड़े पहनकर, नाचकर और गाकर मनाते हैं। पूर्वी भारत में नया साल 14 अप्रैल से शुरु होता है। इसमें युवा पुरुष और महिलाएं सिल्क के कपड़े पहनकर ढोल की थाप पर नाचते और गाते हैं। असम में इसे रंगाली बिहू कहा जाता है।
हिंदू देवी देवता असंख्य रुपों में विस्तृत अनुष्ठानों के साथ पूजे जाते हैं। इनमें से कई पूजाएं तो पंडितों द्वारा शुरु की गईं, इन सबके बीच उत्तर भारत में एक सुधारक आए जिन्होंने पूजा के रुप का सरलीकरण किया। वो गुरु नानक देव थे, उनकी और उनके बाद आए नौ गुरुओं की दी हुई शिक्षा को सिखों की पवित्र किताब गुरु ग्रंथ साहिब में एकत्र किया गया। गुरु नानक और दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के जन्मदिवस बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और धार्मिक उत्साह और श्रद्धा से मनाए जाते हैं। इस दिन जुलूस निकाला जाता है, धर्मग्रंथ पढ़े जाते हैं और गुरुद्वारों को रोशन किया जाता है।
भगवान बुद्ध का जन्म भारत में हुआ था और इसी धरती से बौद्ध धर्म श्रीलंका और तिब्बत पहुंचा। भगवान बुद्ध का जन्मदिन बुद्ध पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है। पूर्णिमा के दिन आने वाला यह भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। पूरे भारत में बौद्ध लोग अपने रिवाज और विशेष धार्मिक दिन मनाते हैं।
ईसाई भी भारत में समान रुप से रहते हैं। दो महत्वपूर्ण ईसाई संत सदियों पहले भारत आए और ईसाई धर्म के सिद्धांतों का प्रचार किया। माना जाता है कि मसीह के बारहवें प्रचारक सेंट थाॅमस पहली शताब्दी में भारत आए थे और अपना बाकी जीवन यहीं बिताया और ईसाई धर्म का प्रचार किया। खासतौर पर केरल में, जहां बड़ी संख्या में लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया। तमिलनाडु के चैन्नई में स्थित उनकी समाधि भारत के ईसाइयों के लिए एक तीर्थस्थल है।
स्पेनिश कैथोलिक मिशनरी के सेंट फ्रांसिस जेवियर ने भी अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा भारत के पश्चिमी तटीय क्षेत्र के छोटे से तटीय राज्य गोवा में बिताया। उनका शरीर एक कांच के कास्केट में गोवा के पणजी में बोम जेसु के बेसिलिका चर्च में रखा है। हर दस साल में उनके अवशेषों के दर्शन जनता को करवाए जाते हैं और पूरी दुनिया से लोग इसकी एक झलक पाने के लिए गोवा में उमड़ पड़ते हैं।
भारत के मुसलमान ईद के साथ सभी त्यौहार मनाते हैं, लेकिन अरब में उनका आध्यात्मिक घर है। हर साल मक्का जाने के लिए भारत सरकार हज यात्रियों के लिए विशेष इंतजाम करती है। इस विशेष आनंद के लिए उनके गंतव्य तक उन्हें पहुंचाने के लिए चार्टर्ड विमान का इस्तेमाल होता है।
इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि इस देश के सभी लोगों को आजादी के बाद से समान संवैधानिक अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त है और उनके त्यौहार और रिवाज भारत के बहुआयामी समाज को नया आयाम देते हैं।
भारत विभिन्न प्रकार के मौसम और मिट्टी से समृद्ध है। इसलिए यहां कीमती लकड़ी, सुगंधित मसाले, आकर्षक फूल और सुगंधित घास उगती है। आयुर्वेद के चिकित्सक इन पौधों का भावनात्मक, मानसिक या शारीरिक रोगों में इलाज करना जानते हैं। चंदन, अगर, जुटामांसी, वेटीवर, केसर, दालचीनी, चमेली, गुलाब, धनिया और अदरक आदि कुछ ऐसे सुगन्धित पौधे हैं जो कि उनके द्वारा उपचार की क्षमता के आधार पर मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा पौधों का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए खाना बनाने, दवा बनाने, मालिश के तेल, सौंदर्य प्रसाधन, प्राकृतिक चंदन आधरित इत्र, धूप, फूलों की माला और मरहम बनाने में होता है। राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक या धार्मिक भारतीय जीवन में शायद ही कोई ऐसा पहलू हो जो इन पौधों से प्रभावित ना रहा हो।
भारत के वनस्पति खजाने में रुचि रखनेवालों के लिए पूरे देश में कई आकर्षण मौजूद हैं। फूल बाजार, आयुर्वेदिक फार्मेसी और अस्पताल, पारंपरिक इत्र केन्द्र, धूप की दुकानें और उत्पादक, इत्र तेल और अत्तर डिस्टिलरीज, बाॅटनीकल गार्डन, मंदिर, मसालों की दुकान और विवाह समारोह, यह सब वह स्थान हैं जहां भारतीय जीवन में प्राकृतिक दुनिया का मेल देखा और अनुभव किया जा सकता है।
हिमालय की ढलानों से लेकर उत्तर पश्चिम और प्रायद्वीपीय भारत के जंगलों तक और अर्द्ध-शुष्क मध्य वनों से लेकर केरल के हरे भरे बागों तक और बंगाल, उत्तरपूर्वी पर्वतों और अंडमान और निकोबार में भारत की वनस्पतियां विविध भौगोलिक स्थिति के अनुरुप हैं। भारत के जंगलों में रहने वाले कुछ प्रमुख जानवर राॅयल बंगाल टाइगर, बंदर, हाथी, लोमडि़यां, सियार, नेवला, भारतीय मगरमच्छ, घडि़याल, छिपकलियां, सांप-कोबरा शामिल हैं। भारतीय मोर जो कि राष्ट्रीय पक्षी भी है के साथ ही क्रेन, स्टाॅर्क, बुज्जा, हाॅक, हाॅर्नबिल, तोते और कौवे भी यहां पाए जाते हैं।
भारत के भाव ने हमेशा से ही अपने रहस्य से विश्व को मोहित किया है। यह एक ऐसा उपमहाद्वीप है जिसका इतिहास 5,000 साल पुराना है। विविधता में एकता वाली सभ्यता की विशेषता वाला भारत हमेशा से ही ऐसे देश के रुप में जाना जाता है जिसका इतिहास उसके कण में गूंजता है।
भारत की पहली मुख्य सभ्यता 2,500 ई.पू. के लगभग सिंधु नदी घाटी में विकसित हुई, जिसका एक बड़ा हिस्सा आज भी वर्तमान भारत में है। यह सभ्यता जो कि 1,000 साल तक रही उसे हड़प्पा संस्कृति के नाम से जाना जाता है। यह हजारों साल तक रही आबादी का चरमबिन्दु था। लगभग 1,500 ई.पू. से अफगानिस्तान और मध्य एशिया से आर्य जनजातियां उत्तर पश्चिम भारत में आने लगीं। उनकी सामरिक श्रेष्ठता के बावजूद उनकी प्रगति धीमी थी। अंततः यह जनजातियां पूरे उत्तर भारत से विंध्य पर्वतों तक शासन करने में सफल हुईं और मूल निवासी जो कि द्रविड़ थे उन्हें दक्षिण भारत में धकेल दिया गया। सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व में यह आर्य जनजातियां लगभग पूरे गंगा के मैदानों में फैल गईं और उनमें से कई 16 प्रमुख राज्यों में बंट गईं। समय के साथ यह चार बड़े राज्यों में बदल गईं और कौशल और मगध पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व के सबसे ताकतवर राज्य थे। 364 ईसा पूर्व में नंदा साम्राज्य का उत्तर भारत में बहुत प्रभुत्व रहा। हालांकि इस दौरान उत्तर भारत ने पश्चिम के दो हमलों को विफल किया। इनमें पहला फारसी राजा दारा, 521-486 ईसा पूर्व, और दूसरा महान सिकंदर द्वारा किया गया था, जो ग्रीस से भारत में 326 ईसा पूर्व में आया।
मौर्य पहले शासक थे जिन्होंने उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से और दक्षिण भारत के कुछ हिस्से पर, एक प्रदेश के तौर पर राज किया। अर्थशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ के लेखक कौटिल्य के मार्गदर्शन में चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक उच्च केंद्रीयकृत प्रशासन स्थापित किया। अशोक के शासन में यह साम्राज्य अपने चरम पर पहुंचा। अशोक के द्वारा बनवाए स्तंभ, पत्थरों पर गढ़वाए गए शिलालेख पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हैं और उनके विशाल साम्राज्य की गाथा गाते हैं। यह आज भी दिल्ली, गुजरात, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश में सारनाथ और मध्य प्रदेश में सांची में मौजूद हैं। 232 ईसा पूर्व में अशोक की मौत के बाद इस राज्य का तेजी से पतन हुआ और 184 ईसा पूर्व में यह पूरी तरह खत्म हो गया।
मौर्य के पतन के बाद उत्तर भारत में कई साम्राज्यों का उदय और पतन हुआ। अगला उल्लेखनीय राजवंश गुप्त का रहा। हालांकि गुप्त राजवंश मौर्य जितना बड़ा नहीं था लेकिन उसने उत्तर भारत को राजनीतिक तौर पर एक सदी से ज्यादा यानि 335 ई से 455 ई तक एकजुट रखा।
मौर्य राजवंश के पतन के बाद मध्य और दक्षिण भारत में कई शक्तिशाली राजवंश आए, जिनमें सातवाहन, कलिंग और वकटका प्रमुख थे। बाद में इस क्षेत्र ने कुछ महान साम्राज्य देखे, जैसे चोल, पंड्या, चेरा, चालुक्य और पल्लव।
उत्तर भारत में गुप्त के पतन के साथ ही बड़ी लेकिन प्रभावहीन क्षेत्रीय ताकतों की संख्या बढ़ने लगी जिससे नौवीं शताब्दी ईस्वी में राजनीतिक स्थिति बहुत अस्थिर हो गई। इससे पहले ग्यारवीं शताब्दी में मुगलों के आक्रमण का रास्ता बन गया। यह महमूद गौरी द्वारा सन् 1001 से सन् 1025 में किए गए लगातार सत्रह हमलों से पता चलता है। इन हमलों से उत्तर भारत का शक्ति संतुलन बिखर गया और बाद के आक्रमणकारी इस क्षेत्र पर विजय पाने में सफल रहे। हालांकि अगले मुस्लिम हमलावर शासक ने सही मायनो में भारत में विदेशी शासन की स्थापना की। महमूद गौरी ने भारत पर हमला किया और स्थानीय शासक उससे लड़ने में असफल रहे और इस तरह भारत में सफलतापूर्वक विदेशी शासन स्थापित हुआ। उसके शासनकाल में भारत का एक बड़़ा हिस्सा उसके कब्जे में आया और उसका उत्तराधिकारी कुतुब-उद-ऐबक दिल्ली का पहला सुल्तान बना। उसके बाद खिलजी और तुगलक का शासन आया जिसे दिल्ली सल्तनत का शासक कहा गया। इसने उत्तर भारत के बड़े हिस्से और दक्षिण भारत के कुछ हिस्से पर राज किया। इसके बाद लोधी और सैयादी के बाद मुगलों ने भारतीय इतिहास का सबसे जीवंत युग स्थापित किया।
बाबर, हुमायंु, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब मुगल साम्राज्य के कुछ प्रमुख शासक थे। हालांकि मुगलों के सुनहरे दिन अपेक्षाकृत रुप से कम थे पर उनका राज्य बहुत विशाल था और उसमें लगभग पूरा भारतीय उपमहाद्वीप आता था। उसका महत्व सिर्फ उसके आकार में ही नहीं था। मुगल राजाओं ने कला और साहित्य के सुनहरे युग का संचालन किया और इमारतों को लेकर उनके जुनून के कारण भारत में कुछ महान वास्तुकला के नमूने मौजूद हैं। खासकर आगरा में शाहजहां का बनवाया हुआ ताजमहल विश्व के आश्चर्यों में से एक है। इसके अलावा कई किले, महल, दरवाजे, इमारतें, मस्जिदें, बावड़ी, उद्यान आदि भारत में मुगलों की सांस्कृतिक विरासत है। भारत में सबसे कुशल प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने में भी मुगलों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सबसे उल्लेखनीय उनका राजस्व प्रशासन था जिसकी विशेषताएं आज भी भारत के राजस्व और भूमि सुधार कानूनों में दिखती हैं।
मुगलों के पतन के साथ ही पश्चिमी भारत में मराठों का उदय हुआ। भारत के अन्य भागों में नए प्रकार का विदेशी आक्रमण देखा गया जो कि व्यापार की आड़ में 15वीं शताब्दी ईस्वी से शुरु हुआ। इसमें पहला 1498 और 1510 ईस्वी के बीच वास्को दा गामा की अगुवाई में पुर्तगालियों का आगमन और धीरे धीरे अधिग्रहण था और दूसरा ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा गुजरात के सूरत में अपनी पहली व्यापारिक पोस्ट स्थापित करना था।
भारत में केवल अंग्रेज और पुर्तगाली ही नहीं थे जो कि यूरोप से आए थे़। डेन और डच की भी यहां व्यापार चैकी थी और 1672 ईस्वी में फ्रेंच आए, जिन्होंने स्वयं को पोंडीचेरी में स्थापित किया और अंगेजों के जाने के बाद भी वे यहीं जमे रहे। ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतिनिधित्व वाले अंग्रजों ने भारत के बड़े हिस्से पर वाणिज्यिक नियंत्रण स्थापित किया और बहुत जल्द उसे प्रशासनिक आयाम भी दे दिया। 1857 के सुधारों के बाद भारत में औपचारिक तौर पर अंग्रेजों का शासन स्थापित हो गया।
तब से ही भारत का इतिहास अलग अलग नाम, विचारधारा, पृष्ठभूमि और तरीकों वाले राष्ट्रवादियों और अंग्रेजों और उनकी नीतियों के बीच लगातार संघर्ष वाला रहा।
अब तक लोहे की खोज हो गई थी और लोहे का उपयोग जंगलों को साफ करने और खेती में भी होने लगा था। यहां से भारत में धातु विज्ञान बहुत तेजी से विकसित हुआ। भारत के पास तांबा, टिन, सीसा, पीतल और चांदी के भंडार ही नहीं बल्कि सोने की खदानें भी थीं। भारत का स्टील इतना प्रसिद्ध था कि सिकंदर और पोरस की मशहूर लड़ाई के बाद जो एकमात्र तोहफा पोरस ने सिकंदर को देने का सोचा वह स्टील ही था। आज कई स्टील प्लांट के अलावा भारत टाईटेनियम प्रौद्योगिकी और कंपोजिट के अनुसंधान में निरंतर लगा हुआ है।
उस समय जब मानव ने कृषि अधिशेष के लायक औजार अभी बनाए ही थे, कुछ सूत्रों के अनुसार उस समय क्षेत्र की जनसंख्या एक सौ मिलियन दर्ज हुई थी। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि भारतीय जनसंख्या के आंकड़े हमेशा से ही चैंका देने वाले रहे हैं। केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य जहां अपनी आबादी कम करने में कामयाब रहे, वहीं गंगा के मैदानी इलाकों में यह ग्राफ उपर ही गया। इस पारंपरिक पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को शिक्षा, ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली और व्यवसायिक कौशल के साथ सशक्त बनाया गया। संगठित महिला आंदोलनों को मजबूत जमीन मिली, जिससे देश में कई विधायी बदलाव आए। संसद में एक बिल अब भी विचारणीय है जिसमें महिला उम्मीदवारों के लिए 33 प्रतिशत सीटांे के आरक्षण का मुद्दा है। बेशक यह ऐसी पृष्ठभूमि में आता है जहां भारत के इतिहास में कई बातें पहली बार हो रही हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष विजयलक्ष्मी पंडित थीं।
तथ्यात्मक बात यह है कि आज के समाज में जो बदलाव कल्याणकारी योजनाओं और आर्थिक उदारीकरण से आ रहे हैं वह हमें उस समय से तुलनीय बनाते हैं जब हमारी कहानी शुरु हुई थी। इतिहासकार पहली शताब्दी ई.पू. को पहला अक्षीय चरण और 20वीं शताब्दी ईस्वी को दूसरा चरण कहते हैं। पहले अक्षीय चरण ने कृषि संबंधी सरल आबादी में विशाल परिवर्तन किया और उसे सबसे जटिल और प्रबुद्ध संस्कृति में तब्दील करना शुरु कर दिया। 5वीं शताब्दी ईस्वी तक जीवन के लगभग हर पहलू से जुड़े तथ्यों का खजाना था। जैसे धर्म, दर्शन, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, गणित, कला, शिल्प और शासन की कला भी। आज भी इस खजाने को लोग अपने शाश्वत ज्ञान के लिए उपयोग में लाते हैं।
विकासपरक प्रकिया के तेजी से बढ़ने के साथ संस्कृति के क्षेत्र में दो नए धर्मों का उदय हुआ। एक बौद्ध धर्म और दूसरा जैन धर्म। हिंदू धर्म में अचानक गतिविधियां बढ़ने लगीं और कई शानदार मंदिरों का निर्माण हुआ। इस्लाम के आगमन और ग्रीस, अरब, फारस और मध्य एशिया से बढ़ते संवाद से जीवन और समृद्ध हुआ और इसकी बानगी हर पहलू में दिखती है, जैसे वास्तुकला और सिंचाई प्रौद्योगिकी। इन सब गतिविधियों ने साहित्य को भी बहुत प्रभावित किया।
समान रुप से संचार प्रक्रिया भी बदली और विस्तृत हुई। कहानियां, गीत, नाटक, शिल्प यह सब लोगों के संचार के साधन बने। भारत में 325 भाषाएं और 25 लिपियां हैं और आज भी यह सब उपयोग की जाती हैं। तमिल इन सब में सबसे पुरानी है और द्रविड़ लिपि का प्रयोग इसमें होता है। प्राचीन भाषा संस्कृत भी अपनी सबसे विकसित व्याकरण से लोगों को आज भी आकर्षित करती है।
विश्व के अन्य भागों की तरह भारत से भाषाओं के विलुप्त ना होने का कारण यह पाया गया है कि भारतीय अनिवार्य रुप से द्विभाषी या त्रिभाषी होते हैं।
ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी का संघर्ष समाज के भीतर से ही शुरु हुआ। इतिहास के सबसे बड़े राष्ट्रीय आंदोलन ने आकार लेना शुरु किया। इस सदी के सबसे बड़े स्वप्नदृष्टा मोहनदास करमचंद गांधी के बताए मार्ग पर चलने के लिए लोग भारत के हर कोने से जुटने लगे और उनका अनुसरण किया। जाहिर है इतने बड़े स्तर के आंदोलन की कई व्याख्याएं हुईं और उसे परखा गया और उसके संभावित कारण भी खोजे गए।
ऐसे समय में उच्च नैतिक मूल्यों को कायम रखना कतई आसान नहीं रहा होगा। इतिहास से पता चलता है कि सभी नेताओं का एकीकृत नजरिया था जिसमें सत्य और अहिंसा सबसे उपर थी। नए उभरते बुद्धिजीवियों से इस नजरिये को ताकत मिली। राजा राम मोहन राय, बंकिम चंद्र, रविन्द्रनाथ टैगोर, सुब्रमण्य भारती और अब्दुल कलाम आजाद जैसे कुछ ऐसे लोग थे, जो अपने लेखन और भावोत्तेजक गीतों से लोगों में राष्ट्रवाद का जोश जगाते थे।
बहुत से ऐसे लोग भी थे जो जनता से सीधे संवाद रखते थे। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े लोगों में कुछ प्रमुख नाम थे बाल गंगाधर तिलक, आसफ अली, सी राजगोपालाचारी, गोपाल कृष्ण गोखले, अब्दुल गफ्फार खान, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस और सरोजिनी नायडू। जाहिर है जवाहरलाल नेहरु भी एक करिश्माई नेता थे, जो बाद में आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री भी बने। देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद थे। इसके अलावा अन्य लाखों लोगों ने इस आंदोलन में भाग लिया।
15 अगस्त 1947 की आधी रात को आखिरकार वह गौरवपूर्ण समय आया जब भारत को आजादी मिली। इस नए युग की शुरुआत में जश्न मनाने के लिए लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर निकल आए। हर तरफ उत्साह और उल्लास का माहौल था। उधर असेंबली हाॅल के अंदर जवाहरलाल नेहरु ने अपना प्रसिद्ध ‘नियति से साक्षात्कार’ भाषण दिया। सुबह होते होते हल्की बूंदा बांदी होने लगी जो यह बता रही थी कि भारत का उपनिवेशी समाज से बदलकर अब उदार राज्य व्यवस्था बनने का समय आ गया है।
अगले चार सालों में संविधान बनाया गया। इसकी कोशिश विभिन्न भाषाई क्षेत्रों और धार्मिक समुदायों को आत्मसात करने की थी ताकि एक ससंजक देश बनाया जा सके। साथ ही भारतीय संघ के विविध राज्यों को पर्याप्त स्वायत्ता भी मिले। संविधान द्वारा निर्धारित सरकार की मार्गदर्शक नीतियों को बनाने का मूल सिद्धांत नागरिकों के हितों की चिंता के विषय से आया।
भारतीय संविधान के मानसिक चित्रण में हर कदम पर दूरदर्शिता थी। नागरिकों की चुनने की आधार की स्वतंत्रता को मद्देनजर रखकर ही बी आर अम्बेडकर के नेतृत्व में देश की शासन प्रणाली बनाई गई। ऐसा क्या था कि जिसने उन्हें साधारण सामाजिक विकास वाले समाज की जनता के विवेक और क्षमता के प्रति इतना आश्वस्त किया? शायद यह मौखिक परंपरा की ही ताकत थी। शायद एक अन्य कारण जमीनी शासन था जो आधुनिक लोकतंत्र के सभी तत्व समेटे एक जटिल तंत्र था। अंतर्राष्ट्रीय विचारकों द्वारा स्वीकृत किये जाने से बहुत पहले ही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी प्रणालियों ने काम करना शुरु कर दिया था।
उनका विश्वास गलत साबित नहीं हुआ। बार बार भारत की जनता ने अपनी निर्णय क्षमता साबित की। जनता ने दिखाया कि वो अपने तत्काल हितों को राष्ट्र के अति महत्वपूर्ण हितों के बराबर रख सकते हैं। लोकतंत्र की अक्षय व्यवस्था ने इस देश की स्थिरता के प्रति आश्वस्त किया। एक अन्य स्तर पर लोकप्रिय वर्गों के राजनीतिकरण ने राजनीतिक आकांक्षाओं को पैदा किया। विभिन्न आंदोलनों ने इन आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित किया। इससे प्राथमिकताएं पुनर्परिभाषित हुईं या नए राजनीतिक संगठनों का गठन हुआ, जिससे राजनीतिक विचार में नए आयाम जुड़े। इसने लोगों के लिए बेहतर भविष्य की आशा के एक स्रोत की तरह काम किया।
सन् 1949 में भारत कई चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर रहा था। उसे विरासत में एक ऐसा समाज मिला जिस पर एक सदी से ज्यादा ऐसे लोक सेवकों का प्रशासन था जो किसी के प्रति जवाबदेह नहीं थे। उसकी प्रमुख कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था मंदी पड़ चुकी थी और उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई। भारत ने इस स्थिति का दो चरणों में सामना किया।
पहले चरण में सरकारी योजनाओं और कार्यवाही ने भूमि सुधार, कृषि विपणन की तकनीकों और सिंचाई सुविधाओं में सुधार की ओर ध्यान दिया। भारतीय कृषि वर्षा पर निर्भर थी इसलिए अस्थिर मानसून पर निर्भरता कम करना मुख्य प्राथमिकता थी।
योजना बनाने के साथ साथ इसके लिए अच्छे अनुसंधान की भी आवश्यकता थी। दूसरा चरण इसी को लेकर था। वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास की मदद से भारत ने कृषि उत्पादन में तीन प्रतिशत सालाना की सिलसिलेवार विकास दर को हासिल किया। बेहतर पद्धति और नवीनता की भावना से भरे किसानों ने निकट भविष्य में यूरोप, मध्य पूर्व, और सुदूर पूर्व के बाजारों तक पहुंचने का सपना देखा है।
भारत के आधुनिक प्रभाव कभी कभी इस तथ्य को उपेक्षित कर देते हैं कि यह देश एक महान उद्योग प्रधान राष्ट्र है। आर्थिक आंकड़ों से यह पता चलता है कि उपभोक्ता वस्तुओं के कई घरेलू ब्रांड, चाहे वो आलू के चिप्स या ट्रक हों या कंप्यूटर अथवा कपड़ा, सब वैश्विक ब्रांडों से जबरदस्त प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
इसके साथ ही भारत अपने सभी कार्यक्रमों के लिए वैज्ञानिक आधार तैयार कर रहा था। चाहे वो कृषि अनुसंधान हों या शुद्ध वैज्ञानिक रिसर्च या कारीगरों के लिए उत्पाद डिजाइन करना। एक ओर जहां सी. वी. रमन, सुब्रमण्यन् चंद्रशेखर और हरगोबिंद खुराना को नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया वहीं कुछ और लोग भी थे जो बराबर क्षमता से अपनी पूरी उर्जा केंद्रित करके आगे की शिक्षा और विकास की गतिविधियों के लिए माहौल और बुनियादी ढांचा तैयार कर रहे थे। ऐसे लोगों में प्रमुख नाम होमी भाभा, शांति स्वरुप भटनागर, जगदीश चंद्र बोस, मेघनाथ साहा कोठारी, कृष्णन, विक्रम साराभाई और पाल थे।
कृषि और सहकारी डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में साठ के दशक की ‘हरित क्रांति’ और सत्तर के दशक की ‘श्वेत क्रांति’ ने अद्भुत परिणाम दिये।
भारतीय औद्योगिक नीति को मोटे तौर पर दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है। सन् 1991 से पहले, उस समय की आवश्यकता थी कि आर्थिक कौशल से जुड़े मशीनरी निर्माण के क्षेत्र का विकास हो। दूसरे चरण में घरेलू बाजार को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
सन् 1991 में भारत ने अपने औद्योगिक क्षेत्र को अधिक से अधिक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए खोल दिया। वित्तीय प्रणाली को मजबूत किया गया और भारत ने अच्छा विकास किया। पिछले कुछ सालों में भारत विकसित देशों के निवेशकों के लिए एक प्रमुख स्थल बन कर उभरा है।
बुनियादी ढांचे की सुविधा का समर्थन भी उपलब्ध करवाया गया है। हमारे देश में एक ही प्रबंधन के तहत एशिया का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। देश के सुदूर कोनों तक सड़कों की वजह से विकासात्मक परिवर्तन हो रहे हैं। लगभग 85 प्रतिशत गांवों का विद्युतीकरण किया गया है और देशभर में बिजली के ट्रांसमिशन और वितरण के लिए ग्रिड बनाए गए हैं।
समुद्र विज्ञान, अंतरिक्ष, इलेक्ट्राॅनिक्स और गैर पारंपरिक उर्जा स्रोतों जैसे नए क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है। देश के वैज्ञानिकों और तकनीकी कर्मियों का एक बड़ा अमला विश्व भर में शोध और विकास के लिए अपना योगदान दे रहा है। उच्च शिक्षा के लिए अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र और संकाय बड़ी तेजी से अध्ययन के सक्रिय केंद्र बनते जा रहे हैं।
यह देखा गया है कि उनकी सफलता वैज्ञानिक ज्ञान और लोक ज्ञान से उसे परखने और मेल करने के अद्भुत संयोजन पर आधारित है। स्पेस इमेजरी की मदद से बड़ी संख्या में कुंए खोदे गए। विश्व का सबसे श्रेष्ठ रिमोट सेंसिंग कार्यक्रम भारत का है, जिसके द्वारा भेजा गया विशेष प्रसारण मछुआरे सुनते हैं। उसके आधार पर मछुआरे ज्यादा से ज्यादा समुद्री भोजन पकड़ने में सफल रहते हैं। जब विज्ञान शोध करने और उसे पारंपरिक भारतीय जीवन में लागू करने में व्यस्त था तब सभी शैलियों के कलाकार नए मुहावरे, भाषा और अभिव्यक्ति की खोज में मशगूल थे।
भारत के परमाणु शक्ति बनने और दर्ज होती बढ़ती अर्थव्यवस्था से इसे अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में स्थान मिला। अपनी आंतरिक समस्याओं के बावजूद भारत ने बड़े विश्वास के साथ नई सहस्त्राब्दी में कदम रखा है।
भारत को एक ऐसी भूमि के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है जहां सदियों से मानवता का वास रहा है। ऐसी धरती कह सकते हैं, जहां विभिन्न धर्मों, समाजों, संस्कृतियों, भाषाओं का आपस में सदभाव रहा। वो भूमि जिसने बहुत अच्छा समय भी देखा और बहुत बुरा वक्त भी झेला, जहां धर्म सिर्फ नाम से बहुत बढ़कर है। एक ऐसी धरती जहां प्रकृति ने स्वयं को अपने पूरे रंगों के साथ इसे न्यौछावर कर दिया और अंत में एक ऐसी भूमि जो अनंत काल तक रहेगी।
दक्षिण एशिया का एक प्रायद्वीपीय देश भारत सदियों से ही दुनिया भर के व्यापारियों, शोधकर्ताओं और यात्रियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। भारत का भूगोल इसके विभिन्न राज्यों के विस्तार, जैसे टोपोग्राफिकल विशेषताओं, स्थान के आधार पर जलवायु, आपदा प्रवण क्षेत्रों और वनस्पतियों और जीव जंतुओं का खाका पेश करता है। बदलते क्षेत्रों और ऋतुओं के साथ भारत में मौसमी परिस्थितियों में बड़ा अंतर स्पष्ट दिखता है। भारत में सर्दियों का मौसम नवंबर से मध्य मार्च तक और गर्मियों का मौसम मध्य अप्रैल से जून तक होता है। मानसून की तीव्रता और मात्रा क्षेत्र दर क्षेत्र बदलती है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग नियमित रुप से देश के मौसम की भविष्यवाणी इनसेट, मिटिओसेट, वल्र्ड आदि उपग्रहों द्वारा भेजी गई छविओं के माध्यम से करता है। भारतीय राष्ट्र गान भी देश के विभिन्न क्षेत्रों के नाम स्पष्ट तौर पर उच्चारित करता है जैसे सिंध, पंजाब, गुजरात और साथ साथ विंध्य और हिमालय। भारतीय राष्ट्र गान मूल रुप से नोबेल पुरुस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाली में लिखा था और उसे सन् 1911 में पहली बार गाया गया था, जब अंग्रेजों ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की थी। आधुनिक भारत का इतिहास इस क्षेत्र के पुर्तगालियों, डच, फ्रेंच और अंग्रेजों के औपनिवेशीकरण की कहानी है। अन्य विकसित देशों के मुकाबले भारत को बहुत देर से आजादी मिली। पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के अधीन भारत की पहली संप्रभु सरकार बनी और भारत के इतिहास का नया दौर शुरु हुआ। इस नए स्वतंत्र देश के सामने सबसे पहली चुनौती देश की जनता तक विकास के अवसर मुहैया कराना और लोकतंत्र और कानून के शासन के तहत एक समृद्ध देश बनाना थी। हिन्दी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया गया और 14 अन्य भाषाओं को सरकारी भाषा बनाया गया। सन् 2006 तक बजट में किये गए प्रावधानों से पता चलता है कि बदलती हुई सरकारों का शिक्षा के प्रति गंभीर रवैया नहीं था। हालांकि सन् 2007-08 में इस क्षेत्र को केंद्रीय बजट में 34.2 प्रतिशत हिस्सेदारी मिली। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय विश्वविद्यालय मरणासन्न स्थिति में हैं। भारतीय विश्वविद्यालयों को नए पाठ्यक्रम, कुशल प्राध्यापक, लैब के लिए राशि, पुस्तकालय और अन्य बुनियादी सुविधाओं के अलावा पूर्णकालिक शोधकर्ताओं के लिए प्रतियोगी वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। देश के कमजोर तबके को भी शिक्षा के समान मौकों की आवश्यकता है। यदि सालों के पिछड़ेपन और सामाजिक पृथकतावाद के कारण वो प्रतियोगी क्षेत्रों में प्रतिकूल स्थिति में धकेले गए हैं तो देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में उनके लिए सीट आरक्षित करने की जरुरत है। भारत में अछूत उस वर्ग के लोग हैं जिन्हें उच्च जाति के लोगों द्वारा दौरा किये जाने वाले सार्वजनिक स्थलों में प्रवेश की इजाजत नहीं है। भारत में जातिप्रथा की सामाजिक बुराई आज भी कई राज्यों में जारी है जहां दलितों को सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों में समान अवसर प्राप्त नहीं हैं। वर्तमान में भारत एक भावी आर्थिक पावर हाउस है जिसका कारण उसके पास 30 साल से कम उम्र का जनबल, आईटी क्षेत्र में उन्नति, उदारीकरण से जारी खुले बाजार की नीति आदि है। भारत की आबादी लगभग 1.21 बिलियन है। भारत का टाइम ज़ोन जीएमटी से पांच घंटे और तीस मिनट आगे है। भारत का मानक समय 82.5 डिग्री ई देशांतर के साथ स्थानीय समय है जो इलाहाबाद के निकट मिर्जापुर शहर से थोड़ा पश्चिम में है।
भारतीय संस्कृति और सभ्यता की जड़ों के चिन्ह 5,000 साल तक खोजे जा सकते हैं, जिसमें एक अटूट और निरंतर चले आ रही परंपरा, रिवाज और विश्व प्रसिद्ध दर्शन संस्था शामिल है। भारत में धर्म सिर्फ एक विश्वास प्रणाली नहीं है अपितु स्वयं को खोजने की यात्रा है जो नश्वर को गौरव और बलिदान के अनश्वर में विकसित होने में मदद करता है। प्राचीन भारत में राजाओं को सिर्फ शासक नहीं लेकिन महान व्यक्ति के तौर पर कार्य करना होता था। ऐसे कुछ स्पष्ट उदाहरण हैं राजा विक्रमादित्य जो अपने कलात्मक और बौद्धिक योगदान के लिए जाने जाते हैं। राजा अशोक जो अपने शांतिपूर्ण आदर्शों के लिए प्रसिद्ध हैं और भारत के महान योद्धा पृथ्वीराज चैहान। पूरे इतिहास के दौरान भारतीय भाषाओं और साहित्य ने अन्य महान सभ्यताओं और विश्व के विकास पर अच्छा खासा प्रभाव डाला। असली भारत को समझने के लिए विभिन्न क्षेत्रों की भाषाओं का परिचय आवश्यक है ताकि भारतीय सभ्यता, परंपरा, इतिहास और लोककथाओं की अच्छी खासी जानकारी जुटाई जा सके।
जो लोग भारत की सांस्कृतिक समृिद्ध को किताबों के माध्यम से जानना चाहते हैं उनके लिए किताबों के आयात और वितरण में अग्रणी इंडिया बुक हाउस सही जगह है। दुनिया के कुछ सबसे खूबसूरत स्थानों वाले भारत को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। कश्मीर एक ऐसी ही जगह है जिसने अपनी बर्फ से ढंकी पहाडि़यों की सुंदरता, डल झील, शालीमार गार्डन और सुप्रसिद्ध इंडिया गार्डन से विश्व भर के पर्यटकों को सम्मोहित कर रखा है।
आम धारणा के विपरीत पारंपरिक भारत में लड़कियों को गुरु के मार्गदर्शन में रखा जाता था जहां वे विभिन्न विज्ञान के साथ साथ अपना कलात्मक कौशल बढ़ाने के लिए भारतीय संगीत और नृत्य की विविध शैलियां भी सीखती थीं। विशेष रुप से शादी के बाद भारतीय महिला को अपने वैवाहिक जीवन में खुशी के शुभ प्रतीक स्वरुप स्वदेशी कारीगरों के बनाए जटिल गहने पहनने होते हैं। बच्चों के नामकरण के लिए आकर्षक भारतीय नाम खोजने में भारतीय सांस्कृतिक संसाधन बहुत मदद करते हैं।
प्राचीन भारत में रसोई को एक पूजनीय स्थल माना जाता है, जहां अग्नि देवता का वास होता है और वे पूरे परिवार का पोषण करते हैं। आकर्षक भारतीय व्यंजन देशी से लेकर विदेशी सबको लुभाते हैं। इसका एक कारण शायद भारतीय व्यंजनों के अनगिनत प्रकार हैं, जो अपने अद्वितीय स्वाद के लिए प्रसिद्ध हैं।
सदियों तक अविश्वसनीय विविधता वाले लोगों की संस्कृतियों का आत्मसात और पोषण करने के बाद भारत अब भी दुनिया भर के लोगों के लिए एक आकर्षण है। आज भी विशिष्ट संस्कृति से जुड़ी वस्तुएं जैसे अनूठे भारतीय कपड़े, मनोरम भारतीय खाद्य व्यंजन, मधुर भारतीय संगीत और आकर्षक भारतीय नाम भारत की सच्ची पहचान के परिचायक हैं।
आधुनिक संदर्भ में भी, बाॅलीवुड को लेकर भारत एक विशेष स्थान रखता है। बाॅलीवुड विश्व का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है जो देश की अनूठी सांस्कृतिक पहचान का प्रतिनिधित्व करता है। बोलचाल की भाषा में भारतीय मसाला फिल्मों के नाम से मशहूर फिल्मों ने भारतीय बाॅक्स आॅफिस के साथ साथ विश्व भर में लहर पैदा की है। व्यवसायिक फिल्मों के विस्तार और बड़ी संख्या में क्राॅस ओवर फिल्मों के निर्माण ने भारतीय अभिनेताओं और सितारों का वैश्विक उन्माद पैदा किया है। भारतीय फैशन जगत के नई पीढ़ी के भारतीय माॅडल्स ने कई अंतर्राष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीतकर वैश्विक मीडिया को प्रभावित किया और अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।
भारत में हाल के कुछ सालों में निजी एयरलाइन आॅपरेटरों के आने के बाद विमानन उद्योग में बड़ा उछाल देखा गया। भारतीय उड़ाने भारत के शहरों को विश्व के अनेक स्थानों से जोड़ती हैं। राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के एकीकरण के बाद एक नई इकाई बनी नेशनल एविएशन कंपनी आॅफ इंडिया लिमिटेड। भारतीय घरेलू विमानन क्षेत्र के बड़े खिलाड़ी इंडियन एयरलाइंस को अन्य निजी आॅपरेटरों जैसे जेट एयरवेज, एयर इंडिगो या इंडिगो एयरलाइन, किंगफिशर एयरलाइन, गो एयर आदि के आने के बाद झुकना पड़ा। ईंधन की कीमतों में वृद्धि, आॅपरेटरों के प्रति सरकार की प्रतिकूल नीतियां और अंतर्राष्ट्रीय मार्गों तक पहुंच की कमी आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो भारतीय विमानन उद्योग के विकास में बाधा हैं। एयर इंडिया एक्सप्रेस राष्ट्रीय विमानन कंपनी का एक नया अल्प लागत का अंग है जो भारतीय विमानन क्षेत्र में यह 19 शहरों में 46 रुटों पर सेवा देता है। राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद नया राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया बना। इंडियन एयरलाइंस की वेबसाइट का इस विलय के बाद पुनर्निमाण किया गया।
भारतीय पर्यटन और भारत की यात्रा किसी भी यात्री के लिए जीवन भर का एक अद्भुत अनुभव है। विश्व भर के लोग भारत में छुट्टी बिताने का सपना देखते हैं। भारत के केरल और कश्मीर दुनिया की कई ट्रेवल मैग्जीन और वेबसाइट में विश्व के अवश्य देखने वाले स्थानों में शामिल हैं। जनवरी-सितंबर 2007 में पिछले वर्ष की तुलना में देश में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में 12.32 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारतीय पर्यटन क्षेत्र भविष्य में भी पर्यटन में अच्छे भविष्य को लेकर आशान्वित है। भारतीय पर्यटन से जुड़ी विविध व्यावसायिक गतिविधियों ने देश में बेरोजगारी दर कम करने में भी मदद की है। घरेलू या विदेशी पर्यटकों के लिए भारतीय रेस्तरां का अनुभव लेना जरुरी है। उत्तर भारत में किसी भारतीय रेस्तरां में मुगलई भोजन का आनंद हो या दक्षिण भारत में पत्तों पर परोसा गया मसालेदार शाकाहारी भोजन। भारत में छुट्टियां बिताने के दौरान यदि आप कृष्णा नदी के किनारे एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन विजयवाड़ा में हैं तो दक्षिण भारतीय नाश्ते जैसे इडली, चटनी, डोसा और वड़ा का आनंद लेना ना भूलें। देश में ओबेराॅय होटल, ताज होटल आदि विश्व प्रसिद्ध श्रृंखलाएं तो हैं, साथ ही भारतीय रेस्तरां जैसे मुंबई स्थित इंडिया जोन्स ने पारंपरिक और आधुनिक भारतीय व्यंजनों को जिंदा रखा है। देश की राजधानी दिल्ली में कुछ जरुर देखने वाले स्थान इंडिया हैबिटेट सेंटर, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, इंडिया गेट, कुतुब मीनार, लाल किला, सिरि फोर्ट, जामा मस्जिद, सफदरजंग का मकबरा हैं। भारत के बाहर स्थित भारतीय रेस्तरां भी खाने पीने के शौकीनों में लोकप्रिय हैं। ग्लासगो का इंडिया क्वे रेस्तरां, हनोवर का इंडिया क्वीन, बोस्टन का इंडिया क्वालिटी, न्यू जर्सी का इंडिया हाउस रेस्तरां और न्यू मैक्सिको के सेंटा फै में इंडिया पैलेस आदि भारत के बाहर स्थित कुछ प्रसिद्ध भारतीय रेस्तरां हैं। पश्चिम से आए पर्यटकों को भारतीय योग बहुत आकर्षित करता है। भारत आकर योग की कक्षाओं में भी भाग लिया जा सकता है और कुछ योग मुद्राएं सीखी जा सकती हैं। लेकिन इसे शुरु करने के लिए कुछ सरल व्यवस्था करना आवश्यक है। योग शुरु करने से पहले आपके पास विशेष योगा पैंट और कपड़े होना आवश्यक हैं। किसी भी योग रीट्रीट पर आप अपने आपको दिन भर के तनावों से मुक्त महसूस करेंगे और कह उठेंगे कि ये वाकई कारगर है। भारत में छुट्टी बिताने की चाह रखने वालों के लिए सबसे अच्छा टूर गाइड इंडिया-लोनली प्लेनेट है।
विश्व अर्थव्यवस्था के वर्तमान परिदृश्य में कई निवेशकों, उद्यमियों और अर्थशास्त्र विशेषज्ञों का ध्यान पूर्व दिशा में इस नए गंतव्य भारत की ओर है। भारत की आर्थिक विकास दर वित्तीय वर्ष 2012-13 में 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई जो कि अनुमानित 5 प्रतिशत की दर से कम रही। भारत के निर्यातकों को विदेशी संस्थागत निवेश, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और पीएन नोट के रुप में विदेशी फंड के कारण मुनाफे का नुकसान झेलना पड़ा। भारतीय रुपये ने अमेरिकी डाॅलर के मुकाबले अगस्त 2013 में रिकार्ड 68.85 प्रति डाॅलर के निचले स्तर को छुआ। 2 सितंबर 2011 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने जीवन के उच्चतम स्तर 320.79 बिलियन डाॅलर पर पहुंचा। भारत के म्युचुअल फंड में भी निवेश के प्रति आकर्षित रहने वाले मध्यम वर्ग की जोखिम लेने की ताकत बढ़ने के साथ भारी वृद्धि हुई है। भारतीय शेयर बाजार में निवेश के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एक अच्छा लो काॅस्ट पोर्टफोलियो विकल्प बनकर उभर रहे हैं। भारत के ईटीएफ का बाजार जोखिम वर्तमान में 5.8 प्रतिशत है। नियामक संस्था सेबी के कारण भारत का शेयर बाजार परिदृश्य स्थिर है। अमेरिका के सब-प्राइम संकट से भारतीय शेयर बाजार के प्रभावित होने की संभावना बहुत कम है। हालांकि आरबीआई और वित मंत्रालय के पीएन नोट और अन्य पर कुछ नीतिगत उपायों के चलते भारतीय शेयर अस्थिर हो सकता है। भारतीय आयकर के मामले में सरकार ने भारी फेरबदल किया है। 2,50,000 रुपये तक की सालाना आय वालों को आयकर से छूट दी गई है। ढाई से पांच लाख तक की वार्षिक आय पर 10 प्रतिशत कर, पांच से दस लाख तक की सालाना आय पर 20 प्रतिशत कर और दस लाख से ज्यादा की आय पर 30 प्रतिशत कर लगाया गया है। भारतीय आईपीओ क्षेत्र में भी नया उत्साह देखा जा रहा है। अच्छा आयकर शासन, बढ़ती जीडीपी और भारतीय मध्यम वर्ग का निवेश के प्रति उत्साह यह सब एक मजबूत अर्थव्यवस्था और बेहतर भविष्य का सूचक है। भारत कृषि क्षेत्र और बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर अन्य बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं और विकसित देशों से बहुत पीछे है। निवेशकों और उद्यमियों के बीच भारतीय बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं ने माध्यम का काम किया है। भारतीय बाजार ने जहां मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति को मजबूत किया है वहीं ग्रामीण आबादी के विभिन्न वर्ग अब भी इस आर्थिक समृद्धि से वंचित हैं। संयुक्त विकास अब भी भारत का एक ऐसा सपना है जो अधूरा है। स्टाॅक एक्सचेंज और भारतीय सेंसेक्स को ग्रामीण कृषि की खस्ता हालत को प्रतिबंबित करने की आवश्यकता है। कर्ज मुहैया कराने के दोषपूर्ण तरीके, भ्रष्ट नौकरशाही और कृषि उत्पादों की खरीद फरोख्त में बिचैलियों के दखल से निपटने में सरकार को अपने पैर पीछे नहीं खींचने चाहिये। उपज के बेहतर दाम, सिंचाई के बुनियादी ढांचे में सुधार, किसानों को अच्छी उपज के तरीकों के प्रक्षिषण के माध्यम से कृषि को समर्थन देने की आवश्यकता है। भले ही मोबाइल फोन भारत के हर कोने में पहुंच गया हो पर मनीआॅर्डर या भारतीय डाक ही ग्रामीण क्षेत्रों में धन हस्तांतरण का एकमात्र तरीका है। भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग प्रणाली का पूरी पैठ बनाना अभी बाकी है। शहरी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति अब भी चिंता का विषय है। वितरण के अक्षम तंत्र और बढ़ती आबादी के दबाव ने शहरी क्षेत्रों में पानी को कीमती सामान बना दिया है। शहरी क्षेत्रों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से पीने के पानी की आपूर्ति की वितरण श्रृंखला बनाई जा सकती है। ऐसा एक उदाहरण केएस2 द्वारा कोलकाता जल आपूर्ति प्रणाली के विकास का है। ऐसी श्रृंखला के माध्यम से पानी की आपूर्ति की लागत को भी विश्व के अन्य शहरों की तुलना में मानकीकृत किया जाना चाहिये। घटते जल संसाधन, बदलती जलवायु और स्वास्थ्य समस्याएं सन् 2007 में हुए भारतीय आर्थिक शिखर सम्मेलन का मुख्य ऐजेंडा थीं। सन् 1997 का क्योटो प्रोटोकाॅल भारत के लिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम था। सन् 2007 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत का सुझाया समाधान यूरोप और अमेरिका के बीच अनसुलझी बहस में कहीं खो गया। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर 65 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा है। भारत में तेल उत्पाद जैसे पेट्रोल, डीजल आदि सरकार के लिए लोकप्रियता का खेल खेलने का क्षेत्र हैं। कच्चे तेल की कीमतों में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेजी के बाद भी सरकार घरेलू बाजार में पेट्रोल, डीजल आदि के भाव बढ़ाने में हिचकिचाती है। व्यापार विस्तार के मामले में भारत सरकार का सार्वजनिक उपक्रम इंडियन आॅयल अपने निजी क्षेत्र के प्रतिद्वंद्वियों से बहुत पीछे है। इस्तेमाल की गई कारों का बाजार भारत में हमेशा से ही वृद्धि करता रहा क्योंकि यहां विकसित देशों की तरह सेकंड हैंड कार से गैजेट का उपयोग करना उपहास का विषय नहीं है। ट्रेड-इन-आॅफ या एक्सचेंज इस्तेमाल की गई कारों को खरीदने या बेचने का आम तरीका है। भारतीय बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं वाहन कर्ज के बकाया की वसूली ग्राहक का वाहन जब्त करके और उसे खुले बाजार में बेचकर करती हैं। इस देश के कार्यबल यानि भारतीय मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रय शक्ति भारतीय कार मार्केट का भविष्य है। टाटा इंडिका की ज़ेटा भारतीय बाजार में धूम मचा रही है। भारतीय रीयल स्टेट के मोर्चे पर घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है, खासकर तेजी से बढ़ते भारतीय शहरों में। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें विदेशी निवेशक पैसा लगाने को आतुर हैं। शहर में रहने वालों और व्यवसायिक उद्यमियों की बढ़ती मांग के कारण सरकार ने अपनी खाली पड़ी जमीनों पर निजी रीयल स्टेट एजेंटों से भवन निर्माण करवाने का फैसला किया है। सेज़ या स्पेशल इकोनाॅमिक ज़ोन बनाने पर उजाड़े गए लोगों के मुआवजे पर भी सरकार ने कई फैसले लिए हैं। उजाड़े गए परिवारों को विस्थापन और सेज में जमीन देने जैसे कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए हैं। साथ ही उनके रोजगार को भी सुनिश्चित किया गया है। भारतीय आउटसोर्सिंग भी विदेशी मुद्रा का मुख्य आकर्षण रही है। अंग्रेजी बोलनेे वाले लोग और अच्छी प्रबंधन क्षमता ने भारत को बिजनेस प्रोसेसिंग आउटसोर्सिंग का पसंदीदा केन्द्र बनाया है। एक अनुमान के मुताबिक सन् 2020 तक भारत अपनी बढ़ती जीडीपी और संयुक्त राष्ट्र विकास परियोजना के मानव विकास सूचकांक में समग्र सुधारों के चलते एक आर्थिक शक्ति बन जाएगा। भारत में पिछले एक दशक में हुए विभिन्न आर्थिक सुधारों में सबसे ज्यादा प्रभाव कंपनियों के लिए रीटेल क्षेत्र खोलने से पड़ा। पारंपरिक किराना दुकानों को इससे प्रभाव जरुर पड़ेगा पर बढ़ते ग्राहक आधार को देखते हुए इनके विलुप्त होने की संभावना कम है। भारत का बढ़ता प्रभाव, विदेशी अधिग्रहण जैसे टाटा और मित्तल के अधिग्रहण में साफ दिखता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मोर्चे पर भारत
-जापान और भारत-चीन और भारत-अमेरिका के बढ़ते व्यापार संबंध इस देश के लिए बहुत आर्थिक महत्व के हैं।
आबादी के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश होने के कारण भारतीय समाचारों की ये विशेषता है कि इसका रंग और मिजाज़ भी यहां की संस्कृति की विविधता की तरह देश में उस क्षेत्र में रह रहे लोगों के हिसाब से बदलता है। राष्ट्रीय स्तर के भारतीय अखबारों की भाषा अंग्रेजी है जो उन्हें अंग्रेजों के राज के कारण विरासत में मिली है। अंग्रेजी के भारतीय अखबार शिक्षाविदों, अधिकारियों, शोधकर्ताओं, वकीलों और राष्ट्रीय नेताओं के बीच व्यापक रुप से वितरित होते हैं। दूसरी ओर स्वदेशी भाषा के अखबार मेहनतकश मजदूर और गृहिणियों के बीच बड़े स्तर पर वितरित होते हैं। भारत के कुछ लोकप्रिय राष्ट्रीय दैनिक अखबार टाइम्स आॅफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस हैं। दैनिक के अलावा कुछ भारतीय साप्ताहिक और पाक्षिक पत्रिकाएं भी हैं जो ताजा भारतीय समाचार विश्व भर के पाठकों को पहुंचाती हैं, जैसे इंडिया टुडे और फ्रंटलाइन। निजी प्रसारकों के तकनीकी कौशल और मनोरंजक कार्यक्रमों के कारण कभी सिर्फ सरकार के एकाधिकार में रहा भारतीय रेडियो अब समाज के उच्च वर्ग तक भी पैठ बना चुका है। सन् 1956 में देश में शुरु हुए भारतीय टीवी के विकास का ग्राफ भी हमेशा उपर की ओर ही रहा है। उत्तर भारत से प्रसारित होने वाले कुछ लोकप्रिय टीवी चैनल इंडिया टीवी, एनडीटीवी, जैन टीवी हैं। दक्षिण भारत के कुछ लोकप्रिय टीवी चैनल जया टीवी, केरली टीवी, एशियानेट, इंडिया विजन टेलीविजन केरल, ई टीवी कन्नड़, सूर्या टीवी आदि हैं। विश्लेषणात्मक खबरों के लिए कुछ मशहूर समाचार साइट्स इंडिया जर्नल, इंडिया टूगेदर, इंडिया एक्स रोड्स और मेरी न्यूज हैं। संक्षेप में कहें तो भारत का मीडिया ना सिर्फ सरकार के बंधनों से मुक्त है बल्कि बुनियादी ढांचे, निवेश और व्यवसायिकता के मामले में इसकी दुनिया के किसी भी विकसित देश के मीडिया से तुलना की जा सकती है। इसलिए वैश्विक और स्थानीय दर्शक विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र की खबरों से लगातार जुड़े रहने के लिए भारतीय समाचारों को सुन, पढ़, देख या ब्राउज़ कर सकते हैं।
पिछले कुछ सालों में भारतीय क्रिकेट का एक नया ताकतवर चेहरा उभर कर आया है जिसने भारतीय क्रिकेट की अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में क्षमता पर सवाल खड़ा करने वाले आलोचकों को जवाब दिया है। भारतीय क्रिकेट का यह नया युग सन् 2003 के वल्र्ड कप फायनल में पहुंचने के साथ हुआ। इस टूर्नामेंट में आॅस्ट्रेलिया से दो मैच हारने के बाद भारत में क्रिकेट वल्र्ड कप जीतने का सपना पूरा करने की शिद्दत और बढ़ गई। जल्दी ही एम एस धोनी जैसे खिलाडि़यों के टीम सेे जुड़ने से भारतीय क्रिकेट की ताकत और बढ़ गई। युवा क्रिकेटरों की लगातार होती जीतों से भारतीय क्रिकेट टीम के प्रति पूरी दुनिया में प्रेम बढ़ता गया। सन् 2007 में टी20 क्रिकेट वल्र्ड कप के आयोजन से भारत में क्रिकेट का दीवानापन चरम पर पहुंच गया। क्रिकेट प्रशंसकों की नजर हमेशा टीम के स्कोर पर होती थी। भारतीय टीम के लगातार मैच जीतने से और क्रिकेट वल्र्ड कप के फायनल में पहुंचने से लोगों का खेल के लिए जुनून अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया। भारत ने पाकिस्तान को फायनल में हराया और पहला टी20 वल्र्ड कप विजेता बना। टी20 वल्र्ड कप की जीत ने यह उम्मीद जगाई कि भारत क्रिकेट की दुनिया का सिरमौर बनेगा। इसके बाद हुई भारत-आॅस्ट्रेलिया सीरीज में लोग टीवी से चिपके रहे और भारत की हर जीत का जश्न मनाया गया। इनके बीच का पहला मैच बारिश में धुल गया, दूसरा और तीसरा मैच आॅस्ट्रेलिया ने जीता। चैथे मैच में भारत ने मेजबान को हराया। पांचवा और छठा हारने के बाद भारत ने सीरीज जीतने के सारे अवसर गंवा दिये। सातवें मैच में भारत ने जीतकर लाज बचाई। इस सीरीज के बाद भारत-आॅस्ट्रेलिया के बीच एक टी20 मैच अभी बाकी था। इसमें भारत ने आसानी से आॅस्ट्रेलिया को सात विकेट से हराया और साबित किया कि टी20 वल्र्ड कप की जीत कोई इत्तेफाक नहीं थी। सन् 2011 में भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश की संयुक्त मेजबानी में क्रिकेट वल्र्ड कप का आयोजन किया गया। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में हुए क्रिकेट वल्र्ड कप फायनल में भारत ने श्रीलंका को छह विकेट से हरा कर ट्राॅफी पर कब्जा किया। पूरा देश इस जीत का जश्न मनाने सड़कों पर निकल आया। क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले भारतीय खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर ने 16 नवंबर 2013 को अपना आखरी मैच मुंबई में वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेला। इस दिन ही उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की भी घोषणा हुई।
चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और बांग्लादेश से घिरा भारत दक्षिण एशिया का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल और एक बढ़ती आर्थिक शक्ति है। हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी भारत की अन्य सीमाएं हैं। भारत की राजधानी दिल्ली है जो देश के उत्तरी भाग में है। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दफ्तर भारत के बड़े बड़े शहरों में हैं, जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई। पर्यटकों के मार्गदर्शन के लिए इंडिया इंफो और इंडिया ईयरबुक बहुत सहायक साबित हो सकते हैं। भारत में इलाहाबाद का दोपहर का स्थानीय समय भारतीय मानक समय माना जाता है। भारतीय जनसांख्यिकी में 72 प्रतिशत लोग इंडो-आर्यन, 25 प्रतिशत द्रविड़ और 3 प्रतिशत मंगोल और अन्य हैं। विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और जातियों का देश होने के कारण भारत में कई राष्ट्रीय अवकाश होते हंै। हालांकि 26 जनवरी, 15 अगस्त, 2 अक्टूबर प्रमुख हैं। भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों के लिए दोहरी नागरिकता रखने की अनुमति नहीं है। भारतीय मूल यानि पीआईओ और भारत की विदेशी नागरिकता यानि ओसीआई को अक्सर दोहरी नागरिकता समझा जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। ओसीआई को वोट देने का अधिकार नहीं है और वह संवैधानिक पद नहीं ले सकता जैसे राष्ट्रपति या सुप्रीम कोर्ट का जज आदि। ओसीआई व्यक्ति भारतीय पासपोर्ट भी नहीं ले सकता।
भारत-अमेरिका के बीच परमाणु करार बहुत सुर्खियों में रहा और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार ने गठबंधन के दबावों और विपक्ष के विरोध के बीच इसे पूरा किया। प्रधानमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मानना है कि ये करार आर्थिक और पर्यावरण अनुकूल बिजली उत्पादन के तरीकों का नया युग लाएगा। भारत-अमेरिका के बीच परमाणु करार से देश में असैन्य परमाणु तकनीक और कच्चा माल जैसे यूरेनियम को अमेरिका व अन्य प्रमुख देशों जैसे कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि से लाना आसान होगा। हालांकि रुस भी भारत के साथ एक ऐसा ही करार करना चाहता है। यह करार किसी भी घरेलू नियामकों में रुस के प्रति बाध्यकारी नहीं होगा जैसा अमेरिका के साथ 123 समझौते में है।
भारत में आज तक कई यात्रियों और व्यापारियों ने भौगोलीय यात्रा तो की है लेकिन अब भारत कुछ ऐसे देशों की गिनती में भी शामिल हो गया है जिन्होंने वर्चुअल वल्र्ड में भी खास जगह बनाई है। आॅनलाइन भारतीय सामान की खरीददारी और संगीत भारत के साथ साथ बाहर रहने वाले नेट सेवी के जीवन का भी खास अंग बन गया है। इंडियामार्ट और इंडिया प्लाजा भारतीय सामान बेचने वाली प्रमुख ई-व्यापार साईट है। इंडिया याहू और इंडिया गूगल ने भारतीय खबरों से जुड़े विभिन्न वर्ग बनाए हैं, साथ ही विशिष्ट इंडिया सर्च इंजन भी है। भारत में जीएसएम तकनीक में बहुत तरक्की हुई है और 3जी तकनीक आने पर भारत में ब्राॅडबैंड ग्रामीण इलाकों तक पहुंच कर मोबाइल फोन के माध्यम से भी इंटरनेट मुहैया करा देगा। सामाजिक नेटवर्किंग साइट जैसे ट्वीटर या फेसबुक या वीडियो साझा करने वाली साइट जैसे यू ट्यूब भारत में पहले ही बहुत मशहूर हैं। याहू फायनेंस के माध्यम से बहुत सारे लोग भारत में होन वालेे वित्त संबंधी बदलावों से खुद को जोड़े रखते हैं। सीएनबीसी का नेटवर्क 18 अपने सभी निवेशकों, प्रबंधन और कंपनी के प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी इंडियाअर्निंग पर एकीकृत रखता है। इंडियाइंफोलाइन, इंडियाबुल्स, शेअरखान जैसी साइट शेयर बाजार से जुड़ी सारी खबरे दिखाती हैं। अब भारतीय युवा को अवसरों का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। इंडिया का हीरो कला, मनोरंजन और संगीत से जुड़े कलाकारों को अपनी कला के प्रदर्शन का मौका देता है। इंडिया एक्स गुरु, इंडिया डेटिंग और इंडिया ऐस्कार्ट रोमांस से जुड़ी साइट हंै। इंडिया एफएम या इंडिया एफएम.काॅम हंगामा का हिस्सा हंै और संगीत क्षेत्र में होने वाले बदलावों पर नज़र रखती हैं। टीवी और सिनेमा के चाहने वालों के लिए नई बातों को साझा करने और वाद विवाद करने के कई मंच आ गए हैं। इंडिया फोरम मनोरंजन प्रेमियों के लिए जानकारी पाने और देने का अच्छा मंच है। इंडिया फोरम भारतीय संस्कृति एवं समाज और इतिहास से जुड़ी जानकारी भी देता है। इंडिया एक्सप्रेस भारतीय सिनेमा, सेलेब्रिटी और क्रिकेट पर केंद्रित साइट है। इंडिया ग्लिटस भारतीय सिनेमा की विभिन्न भाषाओं के सिनेमा के ट्रेलर की साइट है। इंडिया माइक यात्रियों के लिए चर्चा का मंच है। इंडिया माइक यात्रियों को यात्रा संबंधी चैट और चित्र साझा करने का मौका देती है। जीवन के अन्य पहलुओं से जुड़े चुटकुलों की भी साइट हैं। भारतीय कोट्स, भारतीय क्विज़ और प्रश्न भी आॅनलाइन उपलब्ध हैं। इंडिया रिजल्ट.काॅम पर सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के नतीजे प्रकाशित होते हैं। सेवा चयन बोर्ड, विश्वविद्यालयों के नतीजे भी इंडिया रिजल्ट.काॅम पर प्रकाशित होते हैं। भारतीय चित्र, छवियां और वाॅलपेपर भी आॅनलाइन उपलब्ध हैं।
दूरसंचार प्रौद्योगिकी ने अंतर्राष्ट्रीय काॅल करना बहुत आसान कर दिया है। अमेरिका या कनाडा से भारत में काॅल करने के लिए आपको यूएस एक्सिट कोड फिर भारत का कंट्री कोड, भारत का क्षेत्र कोड और फिर फोन नंबर लगाना पड़ेगा। यह प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है 011यूएस एक्सिट कोड - $91 भारत का कंट्री कोड - भारत का क्षेत्र कोड - और फिर फोन नंबर लगाना होगा। यदि अमेरिका या कनाडा से भारत में सेलुलर काॅल करना हो तो 011 यूएस एक्सिट कोड - $91 भारत का कंट्री कोड - नेटवर्क कोड - सेल नंबर लगाना होगा। अंतर्राष्ट्रीय काॅल इंटरनेट से भी किये जा सकते हैं। इंडिया काॅलिंग कार्ड कई साइटों पर उपलब्ध है जहां दूरी के हिसाब से तय दर पर आप उन्हें पा सकते हैं। काॅलिंग कार्ड के मुकाबले इंटरनेट से काॅल बहुत सस्ती पड़ती है। भारत के एक राज्य से दूसरे राज्य में काॅल करने के लिए एसटीडी कोड की जरुरत होती है जो फोन नंबर के पहले लगाना होता है।
भारतीय रोजगार का परिदृश्य सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास और बिजनेस प्रोसेस तथा नाॅलेज प्रोसेस की आउटसोर्सिंग के साथ बहुत तेजी से बदला है। इस प्रोसेस में अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया और अन्य देशों का बहुत योगदान है। सस्ते मैनपाॅवर के कारण ये देश अपने सेवा क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा भारत को आउटसोर्स कर देते हैं जिससे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक रिश्ते भी मजबूत होते हैं। इस प्रकिया में भारतीय युवाओं को बड़ी संख्या में काॅल सेंटर, कस्टमर केयर, कंटेट डेवलपमेंट और आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। हाल के इंटरनेट बूम और आईटी सेवा के लगातार विकास से भारतीय बाजार में रोजगार संबंधी जानकारी के लिए कई रोजगारी साइट आई हैं, जो पढ़े लिखे युवाओं को जानकारियां मुहैया कराती हैं। ऐसी कुछ साइटंे नौकरी.काॅम, टाइम्सजोब्स.काॅम, माॅन्सटर.काॅम व अन्य हैं। यहां आप मिनटों में नौकरी खोज सकते हैं। इस इलेक्ट्रिॅनिक क्रांति ने भारतीय रोजगार व भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है।
भारतीय रेलवे हमेशा से ही भारतीय परिवहन का खास हिस्सा रही है। इसकी पहुंच देश के कोने कोने तक है। यात्रा के लिए सड़क परिवहन के बाद रेलवे ही सबसे आसान और सस्ता साधन है। सड़क परिवहन की पहुंच देश के दूरस्थ भागों तक है। हालांकि रेल के मुकाबले सड़क से यात्रा करने में कहीं अधिक समय बचता है। भारतीय रेलवे रोजाना लगभग 16 लाख यात्रियों को और 1 लाख टन भार ढोती है। यह विश्व का व्यस्ततम रेलवे नेटवर्क है और इसके पास 1.6 लाख कर्मचारी हैं। भारत में रेलवे नेटवर्क को सुविधापूर्ण संचालन हेतु 17 क्षेत्रीय जोन में बांटा गया है। प्रशासनिक सुविधा के लिए इनके उप जोन बनाए गए हैं। आज भारतीय रेलवे नेटवर्क के पास उच्च तकनीक है जिससे यात्रियों की सुविधा के लिए सामान्य पेसेंजर रेल के साथ एक्सप्रेस ट्रेन और सुपर एक्सप्रेस ट्रेन भी चलाई जा रही हैं। भारतीय रेलवे द्वारा विकसित आरक्षण प्रणाली के द्वारा कोई भी व्यक्ति आसानी से अपनी सीट आरक्षित करवा सकता है। आॅनलाइन टिकट, इलेक्ट्रानिक टिकट जैसी कई सुविधाएं भारतीय रेलवे की वेब साइट पर उपलब्ध हैं। एक सबसे बेहतरीन सुविधा जो लागू की गई है वो तत्काल कोटे की है, जिसमें भारतीय रेलवे की आरक्षण प्रणाली में कम समय में भी टिकट आसानी से बुक हो जाती है।
नेपाल और भूटान के नागरिकों के अलावा सभी विदेशी नागरिकों के पास भारत में यात्रा करने के लिए वैध पासपोर्ट और वैध भारतीय वीज़ा का होना आवश्यक है। एक अन्य छूट मालदीव के नागरिकों को है जो बिना भारतीय वीज़ा के भी भारत में 90 दिन तक रह सकते हैं। भारत के विदेश मंत्रालय के काउंसलर पासपोर्ट और वीज़ा विभाग के पास भारतीय नागरिकों को पासपोर्ट और विदेशी नागरिकों को भारतीय वीज़ा जारी करने का सरकारी अधिकार है। एक अपवाद विदेशी नागरिकता यानि ओसीआई रखने वाले अप्रवासी भारतीयों यानि एनआरआई हैं, जिन्हें भारत आने के लिए वीज़ा की आवश्यकता नहीं है। देश में 28 क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर और विदेशों में 160 भारतीय उच्चायोग हैं, जिनके पास विदेशी नागरिकों को पासपोर्ट और भारतीय वीज़ा जारी करने का अधिकार है। भारत के कुछ महत्वपूर्ण विदेशी मिशन हैं, यूके के लंदन में भारतीय दूतावास, ग्रीस के एथेंस में एंबेसी आॅफ इंडिया, आॅस्ट्रेलिया में हाई कमीशन आॅफ इंडिया और अमेरिका के वाॅशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास व अन्य।
विदेश स्थित भारतीय दूतावास और भारतीय उच्चायोग वीज़ा सेवाओं के अलावा राजनयिक संबंधों को निभाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। यात्रा के उद्देश्य के हिसाब से अधिकारी भारतीय वीज़ा जारी करते हैं। जैसे ट्रांसिट वीज़ा, पर्यटक वीज़ा, छात्र वीज़ा, व्यापार वीज़ा या रोजगार वीज़ा व अन्य। जारी किये गए वीज़ा के आधार पर देश में रहने की अवधि निर्भर करती है। व्यापार या रोजगार वीज़ा पर आए विदेशी नागरिकों के पति या पत्नी को एक्स वीज़ा जारी किया जाता है, जो उन्हें व्यापार या रोजगार में शामिल हुए बिना भारत दौरे की अनुमति देता है। यदि साथ आए पति या पत्नी किसी विशिष्ट रोजगार गतिविधि में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें उनके नागरिकता वाले देश से रोजगार वीज़ा प्राप्त करना होगा। विदेश में रह रहे भारतीय नागरिक को नागरिकता छोड़ने की स्थिति में तुरंत अपना भारतीय पासपोर्ट वहां स्थित भारतीय दूतावास को सौंपना होता है।
एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित भारत एक विशाल देश है जो दक्षिण में हिंद महासागर, पश्चिम में अरब सागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी से घिरा है। इसकी सीमाएं चीन, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से उत्तर, उत्तरपश्चिम, उत्तरपूर्व और पूर्व में घिरी हैं। भारत का प्राकृतिक नक्शा भारतीय उपमहाद्वीप की भूभौतिकीय और टोपोलाॅजिकल विशिष्टताएं समझने में बहुत मददगार है। भारत की सीमाओं का नक्शा देश की भू राजनीतिक रुपरेखा को परिभाषित करता है। भारत का राजनीतिक नक्शा देश की राजनीतिक सीमा और उप प्रभाग व्यवहारिक कार्यों हेतु जानने में सहायता करता है। भारत के भौतिक नक्शे में भूकंप की आशंका वाले क्षेत्र, हिमालय क्षेत्र, उत्तर के मैदानी भाग और गुजरात के कुछ हिस्से जैसे कच्छ आदि भी दिखते हैं। इन क्षेत्रों में कुछ विनाशकारी भूकंप देखे गए हैं।
भारत एक विशाल देश है जिसकी आबादी एक अरब से भी अधिक है, इसलिए यहां बिजली के उत्पादन, ओद्यौगिक उत्पादन, कृषि विकास और परिवहन के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का होना आवश्यक है। भारत कई विकसित देशों के मुकाबले बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में बहुत पीछे है। भारत ने कृषि प्रौद्योगिकी और औद्योगिक विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे भारत के भविष्य में एक वैश्विक शक्ति बनने की अपार क्षमता है। कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तेजी से हुई इस प्रगति के पीछे परिवहन और संचार के बुनियादी ढांचे में हुआ विकास एक प्रमुख कारक है। भारत का सड़क मानचित्र भारत के परिवहन नेटवर्क को समझने का उत्कृष्ट उपकरण है जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप का विशाल सड़क नेटवर्क शामिल है। हालांकि भारतीय रेल नेटवर्क और हवाई यात्रा नेटवर्क भारत की आर्थिक प्रगति के इंजन बनकर उभरे हैं और इस आधुनिक समय में सड़क नेटवर्क को भौगोलिक पहुंच के मामले में बहुत पीछे छोड़ दिया है।
समय समय पर विद्वानों ने भारत के नक्शे को नया रूप दिया, इसलिए भारत का नक्शा किसने बनाया ये बता पाना संभव नही है, पर सर्वे ऑफ़ इंडिया के पास हर समय के नक्शो की एक प्रतिलिप होती है
भारत के विधि और न्याय मंत्रालय के तहत आने वाला भारतीय विधि आयोग भारत में कानूनी सुधारों और उनके क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार है। भारतीय संविधान
द्वारा निर्धारित निर्देशों के अनुसार लोकतांत्रिक कानूनी सुधारों के लिए स्वतंत्र भारत का पहला विधि आयोग सन् 1955 में स्थापित हुआ था। विधि आयोग बनाने का प्रमुख उद्देश्य भारतीय संविधान की धारा 372 के तहत मान्यता प्राप्त पूर्व संविधान कानूनों में बदलाव करना था।
पिछले कुछ सालों में भारत में इंटरनेट और प्रौद्योगिकी के विकास से खिलाडि़यों की नई लीग आई है। भारतीय गेमर अब बाजार में उपलब्ध नवीनतम विडियो गेम और पीसी गेम उत्पाद में हाथ आजमाने से नहीं घबराते हैं, जिसने भारत के गेमिंग उद्योग को बढ़ाने में बहुत मदद की है। अब तक हालांकि भारत के गेमिंग बाजार में गैर-भारतीय खिलाडि़यों, जैसे सोनी और माइक्रोसाॅफ्ट का बोलबाला है जिन्होंने अपने लिए खास बगह बनाई है। बाजार में अभी कुछ सबसे अच्छे गेमिंग उत्पाद मौजूद हैं, जैसे सोनी का पीसी3, माइक्रोसाॅफ्ट का गेम क्यूब और निन्टेंडो। इन गेमों को बहुत हाइप के साथ लाॅन्च किया गया था और उन्हें गेमर का भरपूर ध्यान भी मिला। भारत में एक्सबाॅक्स 360 के बिक्री के आंकड़े बहुत अच्छे भले ही ना हो पर माइक्रोसाॅफ्ट के प्रतिद्वंद्वियों और गेमिंग में विश्वास ना रखने वालों को भी इसने बहुत आकर्षित किया। भारतीय गेम डेवलपर्स भी ऐसी रणनीति बनाने में लगे हैं कि वे विदेशी खिलाडि़यों को अगले दशक में टक्कर दे सकें। इंडिया गेम्स.काॅम आॅनलाइन गेम खेलने वालों का केन्द्र है।
कई लोगों के लिए उनके सपनों का भारत एक ऐसी जगह है जहां सबके लिए समान मौके हैं। प्रतिभाशाली लोगों के लिए तरक्की के सभी अवसर हैं चाहे उनकी जाति, लिंग या आर्थिक और सामाजिक स्तर कुछ भी हो। देश में विभिन्न सामाजिक स्तर के लोगों में आर्थिक असमानता की कमी भी कई लोगों का सपना है। काफी लोगों के लिए भारत के पाकिस्तान और अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध प्राथमिकता है तो जो लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं उनके लिए जीवन स्तर सुधारना ही एकमात्र चिंता है। भारत में सही अर्थों में लोकतंत्र तभी होगा जब राजनीति से जातिवाद, वोट बैंक की राजनीति, भाई भतीजावाद और अपराधीकरण दूर हो। कई लोगों के लिए तो यही भारत उनके सपनों का भारत है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का सपना ईमानदार नौकरशाही है, वहीं जल्दी न्याय और न्यायिक सक्रियता भी कई लोग चाहते हैं।
यदि कोई भारत आए बिना भारत का अनुभव करना चाहता है तो उसे भारतीय रेस्तरां में जाना चाहिये। भारतीय व्यंजनों की विविधता और स्वाद की व्यापक रेंज सिर्फ इसी भोजन में है। भारतीय व्यंजनों का एक पहलू जो विदेशी लोग पसंद करते हैं वो है उसका तीखा मसालेदार और स्वादिष्ट होना। हालांकि पश्चिम में कम मसालेदार भारतीय भोजन भी बहुत लोकप्रिय है। भारत के बाहर स्थित कुछ प्रसिद्ध भारतीय रेस्तरां में ग्लासगो का इंडिया क्वे रेस्तरां, हनोवर का इंडिया क्वीन, बोस्टन का इंडिया क्वालिटी, न्यू जर्सी का इंडिया हाउस रेस्तरां और टेक्सास का इंडिया ओवन भी शामिल है।
भारतीय रक्षा की क्षमता विश्व में चैथे नंबर पर आंकी गई है और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है जो कि स्वयंसेवकों से बनी एकमात्र सेना है। सेना में अनिवार्य भर्ती से सशक्त होने के बावजूद भारत सरकार को कभी इस विकल्प की आवश्यकता नहीं पड़ी, फिर चाहे पाकिस्तान या चीन के साथ युद्ध का समय ही क्यों ना हो। राष्ट्रपति ही भारतीय सशस्त्र बल जिसमें थल सेना, वायु सेना और नौसेना शामिल हैं का सुप्रीम कमांडर होता है। भारत में सशस्त्र सेना पिछले 60 सालों में हर युद्ध के बाद बहुत सशक्त हुई है। वर्तमान भूराजनीतिक संदर्भ में भारत के सामने बाहरी और आंतरिक सुरक्षा दोनों मुद्दे हैं और भारतीय सशस्त्र बल उनका सामना करने में सक्षम है।
भारत के बेंगलुरु शहर में १९०६ में सबसे पहले बिजली आयी थी, यह शहर न केवल भारत का अपितु पुरे एशिया का पहला शहर है जहा सबसे पहले बिजली आयी।
भारत का पुराना नाम आर्यावर्त था जो कि महाभारत काल से पहले आयरो द्वारा रखा गया था.
वर्तमान में भारत के मान्य नाम है, इंडिया, भारत, हिंदुस्तान, जिसमे भारत और इंडिया आधिकारिक रूप से प्रयोग में लिए जाते है, हिंदुस्तान को भारत देश का एक भावप्रद नाम से जाना जाता है।
एनविले (1752 ई.) ने सबसे पहले भारत का नक्शा बनाया, इसके बाद कई और लोगो ने भारत का नक्शा बनाया, पर जो आज भी मान्य है १९४७ में बना हुआ नक्शा है जिसे चौधरी रहमत अली ने देश के विभाजन के समय बनाया था। इस नक़्शे में उस समय आज का बंगला देश भी था.
भारत को जानना है तो उसकी आवाज़ सुनो। वह आवाज़ जो प्राचीन गुफाओं की दीवारों पर उकेर कर लिखे गए शिलालेखों से आती है, उसे सुनो। सुनो किसी साधु को या किसी लोक कथाकार को, हमेशा से बहती आई किसी सदाबहार नदी को या सालों से खड़े अमर विशाल पर्वतों से गूंजकर लौटती आवाज़ सुनो। किसी संगमरमर या पत्थर पर साकार रुप में उकेरी गई प्रार्थना को देखो या किसी बरगद के नीचे लेटो और सुनो, इस भारत को सुनो।
यह नाम भारत, उस विशाल प्रायद्वीप को दिया गया है जो एशिया महाद्वीप में तिब्बत की दक्षिणी सीमा पर एक तलवार की तरह घुमावदार आकार वाली विशाल पर्वत श्रृंखला से लगा है। एक अव्यवस्थित चतुर्भुज के आकार वाला, बड़े इलाके में फैला यह क्षेत्र जिसे हम भारत कहते हैं, उपमहाद्वीप के नाम का सच्चा हकदार है। प्राचीन भूगोलज्ञ भारत को ‘चतुः समस्थाना संस्थितं से गठित’ कहते थे। इसके दक्षिण, पश्चिम और पूर्व दिशा में महान महासागर और उत्तर में धनुष की प्रत्यंचा की तरह हिमवत श्रृंखला फैली है।
उपर दिया गया हिमवत नाम ना सिर्फ बर्फ से ढंके हिमालय बल्कि उससे कम उंचाई वाले पूर्व दिशा में स्थित पटकाई, लुशाई और चटगांव पर्वत और पश्चिम के सुलेमान और किरथर श्रृंखला को भी कहा जाता है। यह श्रृंखला समुद्र तक जाती है और एक ओर यह भारत को वृक्षयुक्त इरावती घाटी से अलग करती है तो दूसरी ओर इसे ईरान के पर्वतीय पठार से अलग करती है। मिथकों और रहस्यों से भरा विशाल हिमालय अपने अद्भुत वैभव के साथ स्थित है। यह छोटी बड़ी पर्वत श्रंखलाएं अपनी बर्फ की कभी ना खत्म होने वाली धाराओं से गंगा को पोषित करती रहती हैं। हिमालय कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के लोगों का घर है।
प्रत्येक भारतीय को बर्फ से ढंकी पहाड़ों की चोटियों से प्यार है क्योंकि यह हर भारतीय के जीवन का हिस्सा है। भारतीय लोग पहाड़ों का वैसा ही सम्मान करते हैं जैसा वह अपने पिता का करते हैं। आज भी जब भारत के शहरों में लोगों की समय के साथ दौड़ चल रही है, कुछ तपस्वी हैं जो दिव्यता की खोज में बर्फ से ढंके पहाड़ों पर गुफाओं में रहते हैं। यह कोई आश्चर्य नहीं है कि आज के युग में भी कुछ महान दार्शनिक हुए हैं जैसे रमण महर्षि, स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस और जे कृष्णमूर्ति।
जमीन और स्थान
विंध्य पर्वत देश के पूर्व और पश्चिम हिस्से को अलग करते हैं और उत्तर और दक्षिण हिस्से के बीच सीमा बनाते हैं।
भारत बहुत भाग्यशाली है कि उसके पास विश्व की सबसे व्यापक और उर्वर भूमि है जो कि प्रबल नदियों द्वारा गाद के रुप में लाई गई जलोड़ मिट्टी से बनी है। हिमालय के दक्षिण में स्थित उत्तर भारत का ग्रेट प्लेन क्षेत्र इंडस बेसिन, गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन और इन प्रबल नदी तंत्र की सहायक नदियों से मिलकर बना है।
उत्तर भारत के ग्रेट प्लेन के दक्षिण में प्रायद्वीपीय भारत का ग्रेट प्लेटू है जो कि दो भागों में बंटा है यानि मालवा पठार और डेक्कन पठार। मालवा पठार उत्तर पश्चिम से अरावली की पहाडि़यों से घिरा है और दक्षिण में विंध्य है, जो इस प्रायद्वीप का आधा उत्तरी भाग बनाता है। छोटा नागपुर इस पठार का उत्तरपूर्वी हिस्सा है और यह भारत का सबसे अधिक खनिज समृद्ध राज्य है। नर्मदा नदी की घाटी इस पठार की दक्षिणी सीमा बनाती है। डेक्कन पठार, उत्तर की सतपुड़ा की पहाडि़यों से दक्षिण के कन्याकुमारी तक फैला है।
इस पठार के पश्चिम में पश्चिमी घाट है जिसमें सहयाद्री, नीलगिरी, अन्नामलाई और कार्डमम पर्वत शामिल हैं। पूर्व की ओर यह पठार कई छोटी पहाडि़यों में मिल जाता है जिन्हें महेन्द्र गिरी की पहाडि़यों के नाम से जाना जाता है और ये पूर्वी घाट का हिस्सा है।
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के साथ ही छोटा सा तटीय मैदानी क्षेत्र भी है जिसके क्रमशः पूर्वी और पश्चिमी तरफ डेक्कन पठार है। पश्चिमी तटीय मैदानी इलाका, पश्चिमी घाट और अरब सागर के मध्य में स्थित है और आगे जाकर उत्तरी कोंकण तट और दक्षिणी मालाबार तट में विभाजित हो जाता है। दूसरी ओर पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र, पूर्वी घाट और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित है और पश्चिमी मैदानी इलाकों की तरह दो हिस्सों में बंट जाता है, दक्षिणी भाग के रुप में कोरोमंडल तट में और उत्तरी भाग के तौर पर उत्तरी सिरकरस में।
भारत के लगभग आधे पश्चिमी भाग में एक बहुत विस्तृत भूमि है जो कि अरावली की पहाडि़यों से दो अलग अलग इकाइयों में बंटी है। अरावली के पश्चिम की ओर के क्षेत्र में थार का रेगिस्तान शामिल है जो कि रेत से बना है और निर्जल घाटियों और चट्टानी पहाडि़यों से अवरुद्ध है। ये इलाका पाकिस्तान में भी दूर तक फैला है। इस श्रृंखला के पूर्व की ओर गुजरात राज्य है जो कि भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है।
इस मुख्य भू भाग में भारत के अलावा दो द्वीप समूह भी हैं, बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार और अरब सागर में लक्ष्यद्वीप।
राजनीतिक तौर पर भारत ने आजादी के पहले की स्थिति की तरह अपनी प्राकृतिक सीमाओं को बढ़ाया और ना सिर्फ किरथर श्रृंखला के आगे बलूचिस्तान बल्कि बंगाल की खाड़ी का एक छोटा हिस्सा भी शामिल किया।
आख्यान
ऐतिहासिक रुप से जिस विशाल भूभाग को हम भारत कहते हैं, उसे भारत वर्ष या पुराणों के अनुसार प्रसिद्ध राजा भरत की भूमि के नाम से जाना जाता था। यह क्षेत्र जंबू द्वीप नाम के उस बड़े क्षेत्र का हिस्सा था, जो कि उन सात महाद्वीपों का अंतरतम भाग था जिनमें हिंदू सृष्टिवर्णनकर्ताओं के अनुसार, पृथ्वी को विभाजित किया गया था।
देश को ‘इंडिया’ नाम यूनानियों ने दिया। यह पुराने फारसी शिलालेखों के ‘हि-न-दू’ से मेल खाता है। ‘सप्त सिंधव’ और ‘हप्त हिंदू’ नाम की तरह जो कि वेद और वेदीनंद ने इस आर्य देश को दिया था। यह नाम महान सिंधु नदी से आया जो कि इस उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी विशेषता है और इसने ही सबसे पुरानी सभ्यताओं का पोषण किया। दक्षिण पश्चिमी तिब्बत से 16,000 फुट की उंचाई से निकलती सिंधु, लद्दाख के लेह के पास से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करती है।
इस नदी का कुल जलनिकासी क्षेत्र लगभग 4,50,000 वर्ग मील है, जिसमें से 1,75,000 वर्ग मील हिमालय की पहाडि़यों और उसकी तलहटी में है।
जम्मू कश्मीर राज्य के लेह से 11 मील आगे बहने के बाद इस बेसिन में बायें ओर से इसकी पहली सहायक नदी जांस्कर जुड़ती है, जो कि जांस्कर घाटी को हरा भरा रखती है। पर्वतारोहण प्रेमियों को जांस्कर घाटी के कई पहाड़ी मार्ग आकर्षित करते हैं। सिंधु नदी फिर बटालिक के पास से होकर बहती है। जब यह मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है तो इसमें पांच प्रसिद्ध सहायक नदियां झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज जुड़ जाती हैं। इन पांच नदियों के कारण धान का कटोरा कहे जाने वाले पंजाब को ‘पांच नदियों की भूमि’ भी कहा जाता है।
हालांकि, भारत से जुड़े ज्यादातर मिथक और भाव गंगा नदी से संबंधित हैं। गंगा नदी का पानी कभी शांत तो कभी उग्र है। प्रकृति की अप्रतिम सुंदरता और मानव आकांक्षाएं सब गंगा से ही पूरी होती हैं। सभ्यता के विकास के साथ साथ इसके किनारों पर पहुंचने के लिए तीर्थयात्रा होने लगी और मेले और त्यौहार मनने लगे। गंगा का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि भारतीय सभ्यता का। हड़प्पा सभ्यता को छोड़कर गंगा बेसिन भारत की पौराणिक कथाओं, इतिहास और लोगों के जीवन के हर पल का गवाह रहा है। भारत के महान साम्राज्यों जैसे मगध, गुप्त और मुगलों ने स्वयं को इसी मैदानी क्षेत्र में स्थापित किया। आज तक की सबसे समरुप संस्कृतियों का जन्म इसी क्षेत्र में हुआ। इसके अलावा, इसी जगह भारत में हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म का भाव स्थापित हुआ। यह नदी भारत की आर्थिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जीवनरेखा रही है।
महान गंगा नदी का उद्भव उत्तर भारत के गढ़वाल क्षेत्र में गंगोत्री ग्लेशियर के नीचे से होता है, जो कि समुद्र तल से 3959 मीटर की उंचाई पर है। यहां इसे स्वर्ग से धरती पर लाने वाले महान राजकुमार भगीरथ के नाम पर, भागीरथी के नाम से जाना जाता है। गंगा गोमुख से बाहर फूट कर आती है जो गाय के मुंह के आकार की बर्फ से ढंकी एक गुफा है। भागीरथी इसमें से लगातार चमकती हुई और ग्लेशियर से टूटते बर्फ के बड़े बड़े टुकड़ों के साथ बहती है। इससे 18 किमी नीचे गंगोत्री है। ग्लेशियर के पिघलने और वर्तमान गोमुख की स्थिति के पहले यही गंगा का स्रोत था। गंगोत्री से आगे गंगा उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से गुजरती है जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश शामिल हैं। गंगा और उसकी सहायक नदियों के मार्ग में कई आबाद इलाके आते हैं जिन्होंने अपनी विशिष्ट संस्कृति स्वयं विकसित की है।
इस पवित्र नदी की उत्तर भारत की प्रारंभिक यात्रा के दौरान इसके तट पर उत्तरकाशी, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे महत्वपूर्ण स्थान आते हंै। हरिद्वार से इलाहाबाद तक गंगा के समानांतर यमुना नदी बहती है, जो उत्तर भारत की एक और प्रमुख नदी है। गंगा गढ़मुक्तेश्वर से भी गुजरती है, जहां माना जाता है कि देवी गंगा पांडवों के पूर्वज शांतनु को दिखती थी। यह बिठुर से भी बहती है जो कानपुर के पास लेकिन उससे बहुत पुराना शहर है। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर भी है। तब जाकर गंगा इलाहाबाद पहुंचती है जो भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है।
इलाहाबाद एक पवित्र स्थान है जिसमें आत्मा को शुद्ध करने तक की शक्तियां हैं, खासकर पौराणिक और भूमिगत नदी सरस्वती के कारण। माना जाता है कि सरस्वती इस स्थान पर गंगा और यमुना के साथ मिलती है जिसे संगम कहते हैं। वैदिक काल में इस संगम पर एक स्थान था जिसका नाम प्रयाग था, वहां वेद लिखे गए थे। कहा जाता है कि ब्रह्मा ने स्वयं यहां बलिदान दिया था। हून त्सांग ने 634 ईसवी में प्रयाग की यात्रा की थी। मुगल शासक अकबर ने इस स्थान का नाम बदलकर इलाहाबास किया था जो बाद में इलाहाबाद में बदल गया। संगम के सामने अकबर द्वारा बनवाया गया विशाल ऐतिहासिक लाल पत्थरों से बना किला है।
हरिद्वार की तरह ही वाराणसी भी मंदिरों का शहर है। हालांकि वाराणसी का वर्णन करना मुश्किल है। श्री रामकृष्ण ने एक बार कहा था, ‘वाराणसी का शब्दों में वर्णन करने के प्रयास में पूरे संसार का नक्शा तैयार किया जा सकता है’। धरती के सभी शहरों में सबसे पुराने इस शहर का इतिहास 2500 साल पुराना है। इसे बुद्ध के दिनों में भी जाना जाता था। प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन होता रहा है और यह भगवान शिव से जुड़ा एक पवित्र तीर्थस्थल रहा है। हिंदुओं में मान्यता है कि इस स्थान पर प्राण त्यागने वाले को सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। आश्चर्य है कि वाराणसी का नाम गंगा के महान संगम पर नहीं बल्कि उससे यहां जुड़ती दो छोटी नदियों वरुणा और असी के नाम से मिलकर बना। भारत की सबसे प्राचीन आबाद बस्ती काशी वरुणा के उत्तर में स्थित है।
अपने मैदानी इलाकों को पार करके गंगा पटना से बहती है। पटना का वर्णन भारत के इतिहास की किताबों में प्रसिद्ध पाटलीपुत्र के नाम से है। प्रसिद्ध शिकारी और संरक्षणवादी जिम काॅर्बेट के भारत में रहने के दौरान उनके कार्य स्थल मोकामा से भी गंगा गुजरती है। यह फरक्का बैराज से बहती है, जो हुगली नदी में पानी छोड़ने के लिए बनाया गया ताकि हुगली में कीचड़ का जमना रोका जा सके। इसके तुरंत बाद गंगा कई सहायक नदियों में बंट जाती है, जो गंगा डेल्टा का निर्माण करती हैं। हुगली इसकी एक सहायक नदी है जिसे सच्ची गंगा माना जाता है। इसकी एक मुख्य नहर बांग्लादेश जाती है जिसे वहां पद्मा नदी कहा जाता है, यह प्रसिद्ध भारतीय कवि रवींद्रनाथ टैगौर को बहुत प्यारी थी।
गंगा की तरह ही भारत भर में बहने वाली नदियां उस क्षेत्र के लोगों के लिए पवित्र हैं। यही बात उत्तर भारत में गंगा के मैदानी इलाकों के साथ साथ देश के दक्षिण क्षेत्र पर भी लागू होती है। यह विंध्य पर्वत की श्रृंखला वाला पहाड़ी क्षेत्र है, जहां भारत के लोगों द्वारा पूजी जाने वाली कावेरी नदी की उर्वर भूमि है। यह नदी नीलगिरी के आसमानी पर्वतों से बहती है। आज इस क्षेत्र में भारत के चार राज्य आते हैं, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश। समय के साथ परंपराओं की निरंतरता इन राज्यों में साफ दिखाई देती है। कावेरी के भूमि क्षेत्र के उपर उड़ीसा राज्य स्थित है। उड़ीसा भारत का एक और संस्कृति समृद्ध राज्य है, जिसका पोषण महानदी नाम की नदी करती है।
पूरे पूर्वी भारत से विशाल ब्रह्मपुत्र नदी बहती है। ब्रह्मपुत्र का पानी चीन से होता हुआ भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम में आता है। आगे उत्तरपूर्व में सात अन्य राज्य हैं, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम। भारत के मध्य और पश्चिम क्षेत्र में दो नदियां, नर्मदा और ताप्ती हैं। इनकी विशेषता है कि वो भारत की अन्य नदियों से भिन्न पूर्व से पश्चिम में बहती हैं, इसमें ब्रह्मपुत्र एक अपवाद है। इन दोनोें में से नर्मदा का पौराणिक महत्व ज्यादा है क्योंकि इसे मां और दानी माना गया है। मान्यता है कि नर्मदा के दर्शन मात्र से आत्मा शुद्ध हो जाती है, जबकि इसी कार्य के लिए गंगा में एक और यमुना में सात बार डुबकी लगाई जाती है।
जनसंख्या
भारत सदा ही बड़ी और विविध आबादी वाला रहा है, जिससे सदियों से इसका चरित्र जीवंत बना रहा। भारत में लगभग 3,000 समुदाय हैं। भारत की आबादी का मिश्रण इतना व्यापक और जटिल है कि इसके दो तिहाई समुदाय हर राज्य की भौगोलिक सीमा पर मिल जाते हैं। इनमें काॅसोकोइड, नेगरिटो, प्रोटो-आॅस्ट्रोलाॅइड, माॅन्गोलाइड और मेडीटेरेनीयन नस्लों का भी मेल है।
भारत की आबादी का आठ प्रतिशत हिस्सा आदिवासी है। शारीरिक गठन और भाषा के आधार पर भारत के लोगों को आसानी से चार व्यापक वर्गों में बांटा जा सकता है। पहला उच्च वर्ग के हिंदुओं का बहुमत है, जो उत्तर भारत में रहते हैं और उनकी भाषा संस्कृत से ली गई है। दूसरा, वो लोग जो भारत के दक्षिण में रहते हैं और उनकी भाषा तमिल, तेलगु, कन्नड़ और मलयालम है, जो संस्कृत से बिलकुल भिन्न है। उन्हें उनके जातीय नाम ‘द्रविड़’ से जाना जाता है। तीसरा, भारत के जंगल और पर्वतों में रहने वाली प्राचीन जनजातियां, जिनका जिक्र उपर बताई गई भारत की आठ प्रतिशत आबादी में था। इस वर्ग में कोल, भील और मुडा आते हैं। चैथे हैं वो लोग जिनकी मुखाकृति पर अत्याधिक मंगोलियन प्रभाव है और यह उत्तरपूर्वी राज्यों और हिमालय की ढलान पर रहते हैं।
इन सबको जोड़ें तो भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहां बीस धार्मिक धाराएं साथ बहती हैं। अगर आपको यह बात सुनने में पुरानी लगती है तो आपके लिए एक आश्चर्यजनक जानकारी भी है। भारत के लगभग 500 समुदाय कहते हैं कि वो एक समय में दो धर्मों का पालन करते हैं। भारत की आबादी एक अरब से ज्यादा है जिसमें ज्यादातर हिंदू हैं।
कोई आश्चर्य नहीं है कि दुनिया भर में आज भारत को ‘कई धर्मों की भूमि’ कहा जाता है। प्राचीन भारत ने हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म का जन्म देखा। यह सभी धर्म और संस्कृतियां कुछ इस प्रकार मिली कि भले ही सबकी भाषा, सामाजिक तौर तरीके, धर्म अलग अलग हों लेकिन पूरे देश की जीवन शैली में समानता है। भारत इस तरह इतना भिन्न होकर भी गहरी एकता दिखाता है।
हिंदू धर्म, यह नाम सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोगों को दिया गया। यह क्षेत्र उत्तर पश्चिम से भारत आए आक्रमणकारियों के अधिकार में कई सदियों तक रहा।
हालांकि हिंदू धर्म वास्तव में कोई धर्म नहीं बल्कि एक दर्शन या जीवन यापन का तरीका है जो कि भारतीय उपमहाद्वीप में सदियों में विकसित हुआ। वैदिक काल के ऐसे बहुत से ग्रंथ हैं जिनमें बुनियादी सत्य और कुछ सिद्धांत बनाए गए हैं, लेकिन हिंदू धर्म में ऐसे कोई सिद्धांत नहीं तय किये गए, बल्कि एक सामान्य सिद्धांत है सहिष्णुता का। इसलिए पूर्व और पश्चिम से पहाड़ों या समुद्र के रास्ते भारत आए विभिन्न नस्लों, भाषाओं या धर्मों के असंख्य लोग अपने साथ अपनी विचारधारा, परंपरा और भाषा भारत ले आए और यहां अपने अनुसार अपना जीवन जीते रहे।
भारतीय धर्म के बारे में
भारत के संविधान ने अपने नागरिकों को जीवन यापन की और श्रद्धा की आजादी की ग्यारंटी दी है। इससे देश भर में विभिन्न त्यौहारों का मनाया जाना सुनिश्चित हुआ।
भारत में क्योंकि हिंदुओं का बहुमत है, इनके त्यौहार यहां के कैलेंडर पर हावी दिखते हैं। सभी त्यौहारों में सबसे रंगारंग त्यौहार दीपावली है जिसे आमतौर पर रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है। महाकाव्य रामायण के केन्द्रीय पात्र राम थे, जो अपने पिता के कहने पर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 सालों के वनवास पर गए। जंगलोें में घूमने के दौरान लंका के राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। लंबे युद्ध के बाद राम ने रावण को हराया और सीता को बचाकर अपने राज्य अयोध्या
लौटे। दक्षिण स्थित लंका से उत्तर स्थित अयोध्या की यात्रा में उन्हें बीस दिन लगे। उनकी विजयी वापसी पर अयोध्या के लोगों ने खुशी में पूरा शहर जगमगाया और उत्सव मनाया। आज भी दीपावली पर पारंपरिक तौर पर लोग अपने घर और शहर को मिट्टी के दीयों से रोशन करते हैं। दीपावली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
दीपावली से बीस दिन पहले हुए राम और रावण के युद्ध और राम की विजय के उत्सव के तौर पर भारत के कई हिस्सों में दशहरा मनाया जाता है। दशहरे के दिन रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेधनाथ के पुतले जलाए जाते हैं। भारत के विभिन्न गांवों, शहरों और कस्बों में दशहरे के पहले रामायण का प्रदर्शन किया जाता है। राम लीला कहे जाने वाले इस प्रदर्शन में पूरी रामायण का अभिनय किया जाता है, जो ज्यादातर युवा लड़के करते हैं और लड़के ही इसमें महिलाओं का पात्र भी निभाते हैं। यह बहुत लोकप्र्रिय है। बड़ी संख्या में लोग इसे देखने जुटते हैं।
यह तो भारत में दो प्रमुख हिंदू त्यौहारों का सामान्य ब्यौरा था। अलग अलग इलाकों में लोगों के इसे मनाने के तरीके में फर्क है। उदाहरण के तौर पर बंगाल में दीपावली से पहले दुर्गा पूजा मनाई जाती है।
जहां देवी दुर्गा की मूर्ति पश्चिम बंगाल में पूरी भक्ति के साथ तैयार की जाती है वहीं भारत भर में भगवान गणेश को विध्नहर्ता के तौर पर पूजा जाता है। महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का उत्सव भी उन्हीं के लिए है।
आजादी के बाद से भारत में सामान्य परंपराएं पुनः प्रचलन में आईं, खासकर शिल्प परंपरा। शिल्प भारत के धार्मिक और पारंपरिक रिवाजों का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि शिल्पकार हमेशा से ही मंदिरों में मूर्ति बनाते आए हैं और पूजा के लिए आवश्यक सामान मुहैया कराते रहे हैं। भारत की आजादी के पहले, अंग्रेजों द्वारा आधुनिक औद्योगिकरण की नीति के कारण कई गांवों में शिल्प का काम मंदा हो गया था।
हिंदू देव समूह में कई देव और देवियां हैं, जिन्हें देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग महत्व के आधार पर पूजा जाता है। विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण महाभारत के दिव्य मर्म हैं। उन्होंने ही कुरुक्षेत्र में कौरवों से युद्ध के दौरान पांच पांडवों में से एक अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश दिया था। यह युद्ध अच्छाई और बुराई की शक्तियों के बीच की लड़ाई का प्रतीक है। भगवान कृष्ण कोई पौराणिक चरित्र नहीं हैं। भगवान कृष्ण को पूरे भारत में पूजा जाता है और विशेष रुप से उन्हें समर्पित कई मंदिर भी हैं। खासतौर पर मथुरा और वृंदावन में, जहां वह एक बालक के रुप में रहे और उनके चमत्कारों से उनकी दिव्यता का पता चलता गया। राधा के लिए उनका प्रेम, कांगड़ा या पहाड़ी चित्रकला करने वाले लघु चित्रकारों के लिए प्रेरणा रहा। सोने से की जाने वाली व्यापक चित्रकारी जो कि दक्षिण भारत की तंजोर शैली है, उसकी भी प्रेरणा रहा।
ग्रेगोरियन कैलेंडर से उलट भारतीय कैलेंडर अप्रैल से शुरु होता है। नए साल का पहला दिन बैसाखी के तौर पर मनाया जाता है और यह अक्सर अप्रैल 13 को होता है। यह उत्तर भारत, खासकर पंजाब में गेंहू की कटाई के समय पड़ता है। लोग इसे नए कपड़े पहनकर, नाचकर और गाकर मनाते हैं। पूर्वी भारत में नया साल 14 अप्रैल से शुरु होता है। इसमें युवा पुरुष और महिलाएं सिल्क के कपड़े पहनकर ढोल की थाप पर नाचते और गाते हैं। असम में इसे रंगाली बिहू कहा जाता है।
हिंदू देवी देवता असंख्य रुपों में विस्तृत अनुष्ठानों के साथ पूजे जाते हैं। इनमें से कई पूजाएं तो पंडितों द्वारा शुरु की गईं, इन सबके बीच उत्तर भारत में एक सुधारक आए जिन्होंने पूजा के रुप का सरलीकरण किया। वो गुरु नानक देव थे, उनकी और उनके बाद आए नौ गुरुओं की दी हुई शिक्षा को सिखों की पवित्र किताब गुरु ग्रंथ साहिब में एकत्र किया गया। गुरु नानक और दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के जन्मदिवस बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और धार्मिक उत्साह और श्रद्धा से मनाए जाते हैं। इस दिन जुलूस निकाला जाता है, धर्मग्रंथ पढ़े जाते हैं और गुरुद्वारों को रोशन किया जाता है।
भगवान बुद्ध का जन्म भारत में हुआ था और इसी धरती से बौद्ध धर्म श्रीलंका और तिब्बत पहुंचा। भगवान बुद्ध का जन्मदिन बुद्ध पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है। पूर्णिमा के दिन आने वाला यह भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। पूरे भारत में बौद्ध लोग अपने रिवाज और विशेष धार्मिक दिन मनाते हैं।
ईसाई भी भारत में समान रुप से रहते हैं। दो महत्वपूर्ण ईसाई संत सदियों पहले भारत आए और ईसाई धर्म के सिद्धांतों का प्रचार किया। माना जाता है कि मसीह के बारहवें प्रचारक सेंट थाॅमस पहली शताब्दी में भारत आए थे और अपना बाकी जीवन यहीं बिताया और ईसाई धर्म का प्रचार किया। खासतौर पर केरल में, जहां बड़ी संख्या में लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया। तमिलनाडु के चैन्नई में स्थित उनकी समाधि भारत के ईसाइयों के लिए एक तीर्थस्थल है।
स्पेनिश कैथोलिक मिशनरी के सेंट फ्रांसिस जेवियर ने भी अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा भारत के पश्चिमी तटीय क्षेत्र के छोटे से तटीय राज्य गोवा में बिताया। उनका शरीर एक कांच के कास्केट में गोवा के पणजी में बोम जेसु के बेसिलिका चर्च में रखा है। हर दस साल में उनके अवशेषों के दर्शन जनता को करवाए जाते हैं और पूरी दुनिया से लोग इसकी एक झलक पाने के लिए गोवा में उमड़ पड़ते हैं।
भारत के मुसलमान ईद के साथ सभी त्यौहार मनाते हैं, लेकिन अरब में उनका आध्यात्मिक घर है। हर साल मक्का जाने के लिए भारत सरकार हज यात्रियों के लिए विशेष इंतजाम करती है। इस विशेष आनंद के लिए उनके गंतव्य तक उन्हें पहुंचाने के लिए चार्टर्ड विमान का इस्तेमाल होता है।
इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि इस देश के सभी लोगों को आजादी के बाद से समान संवैधानिक अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त है और उनके त्यौहार और रिवाज भारत के बहुआयामी समाज को नया आयाम देते हैं।
भौगोलिक स्थिति
भारत विभिन्न प्रकार के मौसम और मिट्टी से समृद्ध है। इसलिए यहां कीमती लकड़ी, सुगंधित मसाले, आकर्षक फूल और सुगंधित घास उगती है। आयुर्वेद के चिकित्सक इन पौधों का भावनात्मक, मानसिक या शारीरिक रोगों में इलाज करना जानते हैं। चंदन, अगर, जुटामांसी, वेटीवर, केसर, दालचीनी, चमेली, गुलाब, धनिया और अदरक आदि कुछ ऐसे सुगन्धित पौधे हैं जो कि उनके द्वारा उपचार की क्षमता के आधार पर मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा पौधों का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए खाना बनाने, दवा बनाने, मालिश के तेल, सौंदर्य प्रसाधन, प्राकृतिक चंदन आधरित इत्र, धूप, फूलों की माला और मरहम बनाने में होता है। राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक या धार्मिक भारतीय जीवन में शायद ही कोई ऐसा पहलू हो जो इन पौधों से प्रभावित ना रहा हो।
भारत के वनस्पति खजाने में रुचि रखनेवालों के लिए पूरे देश में कई आकर्षण मौजूद हैं। फूल बाजार, आयुर्वेदिक फार्मेसी और अस्पताल, पारंपरिक इत्र केन्द्र, धूप की दुकानें और उत्पादक, इत्र तेल और अत्तर डिस्टिलरीज, बाॅटनीकल गार्डन, मंदिर, मसालों की दुकान और विवाह समारोह, यह सब वह स्थान हैं जहां भारतीय जीवन में प्राकृतिक दुनिया का मेल देखा और अनुभव किया जा सकता है।
हिमालय की ढलानों से लेकर उत्तर पश्चिम और प्रायद्वीपीय भारत के जंगलों तक और अर्द्ध-शुष्क मध्य वनों से लेकर केरल के हरे भरे बागों तक और बंगाल, उत्तरपूर्वी पर्वतों और अंडमान और निकोबार में भारत की वनस्पतियां विविध भौगोलिक स्थिति के अनुरुप हैं। भारत के जंगलों में रहने वाले कुछ प्रमुख जानवर राॅयल बंगाल टाइगर, बंदर, हाथी, लोमडि़यां, सियार, नेवला, भारतीय मगरमच्छ, घडि़याल, छिपकलियां, सांप-कोबरा शामिल हैं। भारतीय मोर जो कि राष्ट्रीय पक्षी भी है के साथ ही क्रेन, स्टाॅर्क, बुज्जा, हाॅक, हाॅर्नबिल, तोते और कौवे भी यहां पाए जाते हैं।
भारतीय इतिहास के बारे में
भारत के भाव ने हमेशा से ही अपने रहस्य से विश्व को मोहित किया है। यह एक ऐसा उपमहाद्वीप है जिसका इतिहास 5,000 साल पुराना है। विविधता में एकता वाली सभ्यता की विशेषता वाला भारत हमेशा से ही ऐसे देश के रुप में जाना जाता है जिसका इतिहास उसके कण में गूंजता है।
भारत की पहली मुख्य सभ्यता 2,500 ई.पू. के लगभग सिंधु नदी घाटी में विकसित हुई, जिसका एक बड़ा हिस्सा आज भी वर्तमान भारत में है। यह सभ्यता जो कि 1,000 साल तक रही उसे हड़प्पा संस्कृति के नाम से जाना जाता है। यह हजारों साल तक रही आबादी का चरमबिन्दु था। लगभग 1,500 ई.पू. से अफगानिस्तान और मध्य एशिया से आर्य जनजातियां उत्तर पश्चिम भारत में आने लगीं। उनकी सामरिक श्रेष्ठता के बावजूद उनकी प्रगति धीमी थी। अंततः यह जनजातियां पूरे उत्तर भारत से विंध्य पर्वतों तक शासन करने में सफल हुईं और मूल निवासी जो कि द्रविड़ थे उन्हें दक्षिण भारत में धकेल दिया गया। सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व में यह आर्य जनजातियां लगभग पूरे गंगा के मैदानों में फैल गईं और उनमें से कई 16 प्रमुख राज्यों में बंट गईं। समय के साथ यह चार बड़े राज्यों में बदल गईं और कौशल और मगध पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व के सबसे ताकतवर राज्य थे। 364 ईसा पूर्व में नंदा साम्राज्य का उत्तर भारत में बहुत प्रभुत्व रहा। हालांकि इस दौरान उत्तर भारत ने पश्चिम के दो हमलों को विफल किया। इनमें पहला फारसी राजा दारा, 521-486 ईसा पूर्व, और दूसरा महान सिकंदर द्वारा किया गया था, जो ग्रीस से भारत में 326 ईसा पूर्व में आया।
मौर्य पहले शासक थे जिन्होंने उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से और दक्षिण भारत के कुछ हिस्से पर, एक प्रदेश के तौर पर राज किया। अर्थशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ के लेखक कौटिल्य के मार्गदर्शन में चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक उच्च केंद्रीयकृत प्रशासन स्थापित किया। अशोक के शासन में यह साम्राज्य अपने चरम पर पहुंचा। अशोक के द्वारा बनवाए स्तंभ, पत्थरों पर गढ़वाए गए शिलालेख पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हैं और उनके विशाल साम्राज्य की गाथा गाते हैं। यह आज भी दिल्ली, गुजरात, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश में सारनाथ और मध्य प्रदेश में सांची में मौजूद हैं। 232 ईसा पूर्व में अशोक की मौत के बाद इस राज्य का तेजी से पतन हुआ और 184 ईसा पूर्व में यह पूरी तरह खत्म हो गया।
मौर्य के पतन के बाद उत्तर भारत में कई साम्राज्यों का उदय और पतन हुआ। अगला उल्लेखनीय राजवंश गुप्त का रहा। हालांकि गुप्त राजवंश मौर्य जितना बड़ा नहीं था लेकिन उसने उत्तर भारत को राजनीतिक तौर पर एक सदी से ज्यादा यानि 335 ई से 455 ई तक एकजुट रखा।
मौर्य राजवंश के पतन के बाद मध्य और दक्षिण भारत में कई शक्तिशाली राजवंश आए, जिनमें सातवाहन, कलिंग और वकटका प्रमुख थे। बाद में इस क्षेत्र ने कुछ महान साम्राज्य देखे, जैसे चोल, पंड्या, चेरा, चालुक्य और पल्लव।
उत्तर भारत में गुप्त के पतन के साथ ही बड़ी लेकिन प्रभावहीन क्षेत्रीय ताकतों की संख्या बढ़ने लगी जिससे नौवीं शताब्दी ईस्वी में राजनीतिक स्थिति बहुत अस्थिर हो गई। इससे पहले ग्यारवीं शताब्दी में मुगलों के आक्रमण का रास्ता बन गया। यह महमूद गौरी द्वारा सन् 1001 से सन् 1025 में किए गए लगातार सत्रह हमलों से पता चलता है। इन हमलों से उत्तर भारत का शक्ति संतुलन बिखर गया और बाद के आक्रमणकारी इस क्षेत्र पर विजय पाने में सफल रहे। हालांकि अगले मुस्लिम हमलावर शासक ने सही मायनो में भारत में विदेशी शासन की स्थापना की। महमूद गौरी ने भारत पर हमला किया और स्थानीय शासक उससे लड़ने में असफल रहे और इस तरह भारत में सफलतापूर्वक विदेशी शासन स्थापित हुआ। उसके शासनकाल में भारत का एक बड़़ा हिस्सा उसके कब्जे में आया और उसका उत्तराधिकारी कुतुब-उद-ऐबक दिल्ली का पहला सुल्तान बना। उसके बाद खिलजी और तुगलक का शासन आया जिसे दिल्ली सल्तनत का शासक कहा गया। इसने उत्तर भारत के बड़े हिस्से और दक्षिण भारत के कुछ हिस्से पर राज किया। इसके बाद लोधी और सैयादी के बाद मुगलों ने भारतीय इतिहास का सबसे जीवंत युग स्थापित किया।
बाबर, हुमायंु, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब मुगल साम्राज्य के कुछ प्रमुख शासक थे। हालांकि मुगलों के सुनहरे दिन अपेक्षाकृत रुप से कम थे पर उनका राज्य बहुत विशाल था और उसमें लगभग पूरा भारतीय उपमहाद्वीप आता था। उसका महत्व सिर्फ उसके आकार में ही नहीं था। मुगल राजाओं ने कला और साहित्य के सुनहरे युग का संचालन किया और इमारतों को लेकर उनके जुनून के कारण भारत में कुछ महान वास्तुकला के नमूने मौजूद हैं। खासकर आगरा में शाहजहां का बनवाया हुआ ताजमहल विश्व के आश्चर्यों में से एक है। इसके अलावा कई किले, महल, दरवाजे, इमारतें, मस्जिदें, बावड़ी, उद्यान आदि भारत में मुगलों की सांस्कृतिक विरासत है। भारत में सबसे कुशल प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने में भी मुगलों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सबसे उल्लेखनीय उनका राजस्व प्रशासन था जिसकी विशेषताएं आज भी भारत के राजस्व और भूमि सुधार कानूनों में दिखती हैं।
मुगलों के पतन के साथ ही पश्चिमी भारत में मराठों का उदय हुआ। भारत के अन्य भागों में नए प्रकार का विदेशी आक्रमण देखा गया जो कि व्यापार की आड़ में 15वीं शताब्दी ईस्वी से शुरु हुआ। इसमें पहला 1498 और 1510 ईस्वी के बीच वास्को दा गामा की अगुवाई में पुर्तगालियों का आगमन और धीरे धीरे अधिग्रहण था और दूसरा ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा गुजरात के सूरत में अपनी पहली व्यापारिक पोस्ट स्थापित करना था।
भारत में केवल अंग्रेज और पुर्तगाली ही नहीं थे जो कि यूरोप से आए थे़। डेन और डच की भी यहां व्यापार चैकी थी और 1672 ईस्वी में फ्रेंच आए, जिन्होंने स्वयं को पोंडीचेरी में स्थापित किया और अंगेजों के जाने के बाद भी वे यहीं जमे रहे। ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतिनिधित्व वाले अंग्रजों ने भारत के बड़े हिस्से पर वाणिज्यिक नियंत्रण स्थापित किया और बहुत जल्द उसे प्रशासनिक आयाम भी दे दिया। 1857 के सुधारों के बाद भारत में औपचारिक तौर पर अंग्रेजों का शासन स्थापित हो गया।
तब से ही भारत का इतिहास अलग अलग नाम, विचारधारा, पृष्ठभूमि और तरीकों वाले राष्ट्रवादियों और अंग्रेजों और उनकी नीतियों के बीच लगातार संघर्ष वाला रहा।
इतिहासकार
अब तक लोहे की खोज हो गई थी और लोहे का उपयोग जंगलों को साफ करने और खेती में भी होने लगा था। यहां से भारत में धातु विज्ञान बहुत तेजी से विकसित हुआ। भारत के पास तांबा, टिन, सीसा, पीतल और चांदी के भंडार ही नहीं बल्कि सोने की खदानें भी थीं। भारत का स्टील इतना प्रसिद्ध था कि सिकंदर और पोरस की मशहूर लड़ाई के बाद जो एकमात्र तोहफा पोरस ने सिकंदर को देने का सोचा वह स्टील ही था। आज कई स्टील प्लांट के अलावा भारत टाईटेनियम प्रौद्योगिकी और कंपोजिट के अनुसंधान में निरंतर लगा हुआ है।
आधुनिक भारत
उस समय जब मानव ने कृषि अधिशेष के लायक औजार अभी बनाए ही थे, कुछ सूत्रों के अनुसार उस समय क्षेत्र की जनसंख्या एक सौ मिलियन दर्ज हुई थी। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि भारतीय जनसंख्या के आंकड़े हमेशा से ही चैंका देने वाले रहे हैं। केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य जहां अपनी आबादी कम करने में कामयाब रहे, वहीं गंगा के मैदानी इलाकों में यह ग्राफ उपर ही गया। इस पारंपरिक पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को शिक्षा, ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली और व्यवसायिक कौशल के साथ सशक्त बनाया गया। संगठित महिला आंदोलनों को मजबूत जमीन मिली, जिससे देश में कई विधायी बदलाव आए। संसद में एक बिल अब भी विचारणीय है जिसमें महिला उम्मीदवारों के लिए 33 प्रतिशत सीटांे के आरक्षण का मुद्दा है। बेशक यह ऐसी पृष्ठभूमि में आता है जहां भारत के इतिहास में कई बातें पहली बार हो रही हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष विजयलक्ष्मी पंडित थीं।
तथ्यात्मक बात यह है कि आज के समाज में जो बदलाव कल्याणकारी योजनाओं और आर्थिक उदारीकरण से आ रहे हैं वह हमें उस समय से तुलनीय बनाते हैं जब हमारी कहानी शुरु हुई थी। इतिहासकार पहली शताब्दी ई.पू. को पहला अक्षीय चरण और 20वीं शताब्दी ईस्वी को दूसरा चरण कहते हैं। पहले अक्षीय चरण ने कृषि संबंधी सरल आबादी में विशाल परिवर्तन किया और उसे सबसे जटिल और प्रबुद्ध संस्कृति में तब्दील करना शुरु कर दिया। 5वीं शताब्दी ईस्वी तक जीवन के लगभग हर पहलू से जुड़े तथ्यों का खजाना था। जैसे धर्म, दर्शन, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, गणित, कला, शिल्प और शासन की कला भी। आज भी इस खजाने को लोग अपने शाश्वत ज्ञान के लिए उपयोग में लाते हैं।
विकासपरक प्रकिया के तेजी से बढ़ने के साथ संस्कृति के क्षेत्र में दो नए धर्मों का उदय हुआ। एक बौद्ध धर्म और दूसरा जैन धर्म। हिंदू धर्म में अचानक गतिविधियां बढ़ने लगीं और कई शानदार मंदिरों का निर्माण हुआ। इस्लाम के आगमन और ग्रीस, अरब, फारस और मध्य एशिया से बढ़ते संवाद से जीवन और समृद्ध हुआ और इसकी बानगी हर पहलू में दिखती है, जैसे वास्तुकला और सिंचाई प्रौद्योगिकी। इन सब गतिविधियों ने साहित्य को भी बहुत प्रभावित किया।
समान रुप से संचार प्रक्रिया भी बदली और विस्तृत हुई। कहानियां, गीत, नाटक, शिल्प यह सब लोगों के संचार के साधन बने। भारत में 325 भाषाएं और 25 लिपियां हैं और आज भी यह सब उपयोग की जाती हैं। तमिल इन सब में सबसे पुरानी है और द्रविड़ लिपि का प्रयोग इसमें होता है। प्राचीन भाषा संस्कृत भी अपनी सबसे विकसित व्याकरण से लोगों को आज भी आकर्षित करती है।
विश्व के अन्य भागों की तरह भारत से भाषाओं के विलुप्त ना होने का कारण यह पाया गया है कि भारतीय अनिवार्य रुप से द्विभाषी या त्रिभाषी होते हैं।
ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी का संघर्ष समाज के भीतर से ही शुरु हुआ। इतिहास के सबसे बड़े राष्ट्रीय आंदोलन ने आकार लेना शुरु किया। इस सदी के सबसे बड़े स्वप्नदृष्टा मोहनदास करमचंद गांधी के बताए मार्ग पर चलने के लिए लोग भारत के हर कोने से जुटने लगे और उनका अनुसरण किया। जाहिर है इतने बड़े स्तर के आंदोलन की कई व्याख्याएं हुईं और उसे परखा गया और उसके संभावित कारण भी खोजे गए।
ऐसे समय में उच्च नैतिक मूल्यों को कायम रखना कतई आसान नहीं रहा होगा। इतिहास से पता चलता है कि सभी नेताओं का एकीकृत नजरिया था जिसमें सत्य और अहिंसा सबसे उपर थी। नए उभरते बुद्धिजीवियों से इस नजरिये को ताकत मिली। राजा राम मोहन राय, बंकिम चंद्र, रविन्द्रनाथ टैगोर, सुब्रमण्य भारती और अब्दुल कलाम आजाद जैसे कुछ ऐसे लोग थे, जो अपने लेखन और भावोत्तेजक गीतों से लोगों में राष्ट्रवाद का जोश जगाते थे।
बहुत से ऐसे लोग भी थे जो जनता से सीधे संवाद रखते थे। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े लोगों में कुछ प्रमुख नाम थे बाल गंगाधर तिलक, आसफ अली, सी राजगोपालाचारी, गोपाल कृष्ण गोखले, अब्दुल गफ्फार खान, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस और सरोजिनी नायडू। जाहिर है जवाहरलाल नेहरु भी एक करिश्माई नेता थे, जो बाद में आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री भी बने। देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद थे। इसके अलावा अन्य लाखों लोगों ने इस आंदोलन में भाग लिया।
स्वतंत्र भारत
15 अगस्त 1947 की आधी रात को आखिरकार वह गौरवपूर्ण समय आया जब भारत को आजादी मिली। इस नए युग की शुरुआत में जश्न मनाने के लिए लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर निकल आए। हर तरफ उत्साह और उल्लास का माहौल था। उधर असेंबली हाॅल के अंदर जवाहरलाल नेहरु ने अपना प्रसिद्ध ‘नियति से साक्षात्कार’ भाषण दिया। सुबह होते होते हल्की बूंदा बांदी होने लगी जो यह बता रही थी कि भारत का उपनिवेशी समाज से बदलकर अब उदार राज्य व्यवस्था बनने का समय आ गया है।
अगले चार सालों में संविधान बनाया गया। इसकी कोशिश विभिन्न भाषाई क्षेत्रों और धार्मिक समुदायों को आत्मसात करने की थी ताकि एक ससंजक देश बनाया जा सके। साथ ही भारतीय संघ के विविध राज्यों को पर्याप्त स्वायत्ता भी मिले। संविधान द्वारा निर्धारित सरकार की मार्गदर्शक नीतियों को बनाने का मूल सिद्धांत नागरिकों के हितों की चिंता के विषय से आया।
भारतीय संविधान के मानसिक चित्रण में हर कदम पर दूरदर्शिता थी। नागरिकों की चुनने की आधार की स्वतंत्रता को मद्देनजर रखकर ही बी आर अम्बेडकर के नेतृत्व में देश की शासन प्रणाली बनाई गई। ऐसा क्या था कि जिसने उन्हें साधारण सामाजिक विकास वाले समाज की जनता के विवेक और क्षमता के प्रति इतना आश्वस्त किया? शायद यह मौखिक परंपरा की ही ताकत थी। शायद एक अन्य कारण जमीनी शासन था जो आधुनिक लोकतंत्र के सभी तत्व समेटे एक जटिल तंत्र था। अंतर्राष्ट्रीय विचारकों द्वारा स्वीकृत किये जाने से बहुत पहले ही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी प्रणालियों ने काम करना शुरु कर दिया था।
उनका विश्वास गलत साबित नहीं हुआ। बार बार भारत की जनता ने अपनी निर्णय क्षमता साबित की। जनता ने दिखाया कि वो अपने तत्काल हितों को राष्ट्र के अति महत्वपूर्ण हितों के बराबर रख सकते हैं। लोकतंत्र की अक्षय व्यवस्था ने इस देश की स्थिरता के प्रति आश्वस्त किया। एक अन्य स्तर पर लोकप्रिय वर्गों के राजनीतिकरण ने राजनीतिक आकांक्षाओं को पैदा किया। विभिन्न आंदोलनों ने इन आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित किया। इससे प्राथमिकताएं पुनर्परिभाषित हुईं या नए राजनीतिक संगठनों का गठन हुआ, जिससे राजनीतिक विचार में नए आयाम जुड़े। इसने लोगों के लिए बेहतर भविष्य की आशा के एक स्रोत की तरह काम किया।
सन् 1949 में भारत कई चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर रहा था। उसे विरासत में एक ऐसा समाज मिला जिस पर एक सदी से ज्यादा ऐसे लोक सेवकों का प्रशासन था जो किसी के प्रति जवाबदेह नहीं थे। उसकी प्रमुख कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था मंदी पड़ चुकी थी और उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई। भारत ने इस स्थिति का दो चरणों में सामना किया।
पहले चरण में सरकारी योजनाओं और कार्यवाही ने भूमि सुधार, कृषि विपणन की तकनीकों और सिंचाई सुविधाओं में सुधार की ओर ध्यान दिया। भारतीय कृषि वर्षा पर निर्भर थी इसलिए अस्थिर मानसून पर निर्भरता कम करना मुख्य प्राथमिकता थी।
योजना बनाने के साथ साथ इसके लिए अच्छे अनुसंधान की भी आवश्यकता थी। दूसरा चरण इसी को लेकर था। वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास की मदद से भारत ने कृषि उत्पादन में तीन प्रतिशत सालाना की सिलसिलेवार विकास दर को हासिल किया। बेहतर पद्धति और नवीनता की भावना से भरे किसानों ने निकट भविष्य में यूरोप, मध्य पूर्व, और सुदूर पूर्व के बाजारों तक पहुंचने का सपना देखा है।
भारत के आधुनिक प्रभाव कभी कभी इस तथ्य को उपेक्षित कर देते हैं कि यह देश एक महान उद्योग प्रधान राष्ट्र है। आर्थिक आंकड़ों से यह पता चलता है कि उपभोक्ता वस्तुओं के कई घरेलू ब्रांड, चाहे वो आलू के चिप्स या ट्रक हों या कंप्यूटर अथवा कपड़ा, सब वैश्विक ब्रांडों से जबरदस्त प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
इसके साथ ही भारत अपने सभी कार्यक्रमों के लिए वैज्ञानिक आधार तैयार कर रहा था। चाहे वो कृषि अनुसंधान हों या शुद्ध वैज्ञानिक रिसर्च या कारीगरों के लिए उत्पाद डिजाइन करना। एक ओर जहां सी. वी. रमन, सुब्रमण्यन् चंद्रशेखर और हरगोबिंद खुराना को नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया वहीं कुछ और लोग भी थे जो बराबर क्षमता से अपनी पूरी उर्जा केंद्रित करके आगे की शिक्षा और विकास की गतिविधियों के लिए माहौल और बुनियादी ढांचा तैयार कर रहे थे। ऐसे लोगों में प्रमुख नाम होमी भाभा, शांति स्वरुप भटनागर, जगदीश चंद्र बोस, मेघनाथ साहा कोठारी, कृष्णन, विक्रम साराभाई और पाल थे।
कृषि और सहकारी डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में साठ के दशक की ‘हरित क्रांति’ और सत्तर के दशक की ‘श्वेत क्रांति’ ने अद्भुत परिणाम दिये।
औद्योगिक क्षेत्र
भारतीय औद्योगिक नीति को मोटे तौर पर दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है। सन् 1991 से पहले, उस समय की आवश्यकता थी कि आर्थिक कौशल से जुड़े मशीनरी निर्माण के क्षेत्र का विकास हो। दूसरे चरण में घरेलू बाजार को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
सन् 1991 में भारत ने अपने औद्योगिक क्षेत्र को अधिक से अधिक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए खोल दिया। वित्तीय प्रणाली को मजबूत किया गया और भारत ने अच्छा विकास किया। पिछले कुछ सालों में भारत विकसित देशों के निवेशकों के लिए एक प्रमुख स्थल बन कर उभरा है।
बुनियादी ढांचे की सुविधा का समर्थन भी उपलब्ध करवाया गया है। हमारे देश में एक ही प्रबंधन के तहत एशिया का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। देश के सुदूर कोनों तक सड़कों की वजह से विकासात्मक परिवर्तन हो रहे हैं। लगभग 85 प्रतिशत गांवों का विद्युतीकरण किया गया है और देशभर में बिजली के ट्रांसमिशन और वितरण के लिए ग्रिड बनाए गए हैं।
समुद्र विज्ञान, अंतरिक्ष, इलेक्ट्राॅनिक्स और गैर पारंपरिक उर्जा स्रोतों जैसे नए क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है। देश के वैज्ञानिकों और तकनीकी कर्मियों का एक बड़ा अमला विश्व भर में शोध और विकास के लिए अपना योगदान दे रहा है। उच्च शिक्षा के लिए अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र और संकाय बड़ी तेजी से अध्ययन के सक्रिय केंद्र बनते जा रहे हैं।
यह देखा गया है कि उनकी सफलता वैज्ञानिक ज्ञान और लोक ज्ञान से उसे परखने और मेल करने के अद्भुत संयोजन पर आधारित है। स्पेस इमेजरी की मदद से बड़ी संख्या में कुंए खोदे गए। विश्व का सबसे श्रेष्ठ रिमोट सेंसिंग कार्यक्रम भारत का है, जिसके द्वारा भेजा गया विशेष प्रसारण मछुआरे सुनते हैं। उसके आधार पर मछुआरे ज्यादा से ज्यादा समुद्री भोजन पकड़ने में सफल रहते हैं। जब विज्ञान शोध करने और उसे पारंपरिक भारतीय जीवन में लागू करने में व्यस्त था तब सभी शैलियों के कलाकार नए मुहावरे, भाषा और अभिव्यक्ति की खोज में मशगूल थे।
भारत के परमाणु शक्ति बनने और दर्ज होती बढ़ती अर्थव्यवस्था से इसे अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में स्थान मिला। अपनी आंतरिक समस्याओं के बावजूद भारत ने बड़े विश्वास के साथ नई सहस्त्राब्दी में कदम रखा है।
भारत को एक ऐसी भूमि के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है जहां सदियों से मानवता का वास रहा है। ऐसी धरती कह सकते हैं, जहां विभिन्न धर्मों, समाजों, संस्कृतियों, भाषाओं का आपस में सदभाव रहा। वो भूमि जिसने बहुत अच्छा समय भी देखा और बहुत बुरा वक्त भी झेला, जहां धर्म सिर्फ नाम से बहुत बढ़कर है। एक ऐसी धरती जहां प्रकृति ने स्वयं को अपने पूरे रंगों के साथ इसे न्यौछावर कर दिया और अंत में एक ऐसी भूमि जो अनंत काल तक रहेगी।
भारत के तथ्य
दक्षिण एशिया का एक प्रायद्वीपीय देश भारत सदियों से ही दुनिया भर के व्यापारियों, शोधकर्ताओं और यात्रियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। भारत का भूगोल इसके विभिन्न राज्यों के विस्तार, जैसे टोपोग्राफिकल विशेषताओं, स्थान के आधार पर जलवायु, आपदा प्रवण क्षेत्रों और वनस्पतियों और जीव जंतुओं का खाका पेश करता है। बदलते क्षेत्रों और ऋतुओं के साथ भारत में मौसमी परिस्थितियों में बड़ा अंतर स्पष्ट दिखता है। भारत में सर्दियों का मौसम नवंबर से मध्य मार्च तक और गर्मियों का मौसम मध्य अप्रैल से जून तक होता है। मानसून की तीव्रता और मात्रा क्षेत्र दर क्षेत्र बदलती है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग नियमित रुप से देश के मौसम की भविष्यवाणी इनसेट, मिटिओसेट, वल्र्ड आदि उपग्रहों द्वारा भेजी गई छविओं के माध्यम से करता है। भारतीय राष्ट्र गान भी देश के विभिन्न क्षेत्रों के नाम स्पष्ट तौर पर उच्चारित करता है जैसे सिंध, पंजाब, गुजरात और साथ साथ विंध्य और हिमालय। भारतीय राष्ट्र गान मूल रुप से नोबेल पुरुस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाली में लिखा था और उसे सन् 1911 में पहली बार गाया गया था, जब अंग्रेजों ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की थी। आधुनिक भारत का इतिहास इस क्षेत्र के पुर्तगालियों, डच, फ्रेंच और अंग्रेजों के औपनिवेशीकरण की कहानी है। अन्य विकसित देशों के मुकाबले भारत को बहुत देर से आजादी मिली। पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के अधीन भारत की पहली संप्रभु सरकार बनी और भारत के इतिहास का नया दौर शुरु हुआ। इस नए स्वतंत्र देश के सामने सबसे पहली चुनौती देश की जनता तक विकास के अवसर मुहैया कराना और लोकतंत्र और कानून के शासन के तहत एक समृद्ध देश बनाना थी। हिन्दी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया गया और 14 अन्य भाषाओं को सरकारी भाषा बनाया गया। सन् 2006 तक बजट में किये गए प्रावधानों से पता चलता है कि बदलती हुई सरकारों का शिक्षा के प्रति गंभीर रवैया नहीं था। हालांकि सन् 2007-08 में इस क्षेत्र को केंद्रीय बजट में 34.2 प्रतिशत हिस्सेदारी मिली। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय विश्वविद्यालय मरणासन्न स्थिति में हैं। भारतीय विश्वविद्यालयों को नए पाठ्यक्रम, कुशल प्राध्यापक, लैब के लिए राशि, पुस्तकालय और अन्य बुनियादी सुविधाओं के अलावा पूर्णकालिक शोधकर्ताओं के लिए प्रतियोगी वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। देश के कमजोर तबके को भी शिक्षा के समान मौकों की आवश्यकता है। यदि सालों के पिछड़ेपन और सामाजिक पृथकतावाद के कारण वो प्रतियोगी क्षेत्रों में प्रतिकूल स्थिति में धकेले गए हैं तो देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में उनके लिए सीट आरक्षित करने की जरुरत है। भारत में अछूत उस वर्ग के लोग हैं जिन्हें उच्च जाति के लोगों द्वारा दौरा किये जाने वाले सार्वजनिक स्थलों में प्रवेश की इजाजत नहीं है। भारत में जातिप्रथा की सामाजिक बुराई आज भी कई राज्यों में जारी है जहां दलितों को सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों में समान अवसर प्राप्त नहीं हैं। वर्तमान में भारत एक भावी आर्थिक पावर हाउस है जिसका कारण उसके पास 30 साल से कम उम्र का जनबल, आईटी क्षेत्र में उन्नति, उदारीकरण से जारी खुले बाजार की नीति आदि है। भारत की आबादी लगभग 1.21 बिलियन है। भारत का टाइम ज़ोन जीएमटी से पांच घंटे और तीस मिनट आगे है। भारत का मानक समय 82.5 डिग्री ई देशांतर के साथ स्थानीय समय है जो इलाहाबाद के निकट मिर्जापुर शहर से थोड़ा पश्चिम में है।
भारतीय संस्कृति
भारतीय संस्कृति और सभ्यता की जड़ों के चिन्ह 5,000 साल तक खोजे जा सकते हैं, जिसमें एक अटूट और निरंतर चले आ रही परंपरा, रिवाज और विश्व प्रसिद्ध दर्शन संस्था शामिल है। भारत में धर्म सिर्फ एक विश्वास प्रणाली नहीं है अपितु स्वयं को खोजने की यात्रा है जो नश्वर को गौरव और बलिदान के अनश्वर में विकसित होने में मदद करता है। प्राचीन भारत में राजाओं को सिर्फ शासक नहीं लेकिन महान व्यक्ति के तौर पर कार्य करना होता था। ऐसे कुछ स्पष्ट उदाहरण हैं राजा विक्रमादित्य जो अपने कलात्मक और बौद्धिक योगदान के लिए जाने जाते हैं। राजा अशोक जो अपने शांतिपूर्ण आदर्शों के लिए प्रसिद्ध हैं और भारत के महान योद्धा पृथ्वीराज चैहान। पूरे इतिहास के दौरान भारतीय भाषाओं और साहित्य ने अन्य महान सभ्यताओं और विश्व के विकास पर अच्छा खासा प्रभाव डाला। असली भारत को समझने के लिए विभिन्न क्षेत्रों की भाषाओं का परिचय आवश्यक है ताकि भारतीय सभ्यता, परंपरा, इतिहास और लोककथाओं की अच्छी खासी जानकारी जुटाई जा सके।
जो लोग भारत की सांस्कृतिक समृिद्ध को किताबों के माध्यम से जानना चाहते हैं उनके लिए किताबों के आयात और वितरण में अग्रणी इंडिया बुक हाउस सही जगह है। दुनिया के कुछ सबसे खूबसूरत स्थानों वाले भारत को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। कश्मीर एक ऐसी ही जगह है जिसने अपनी बर्फ से ढंकी पहाडि़यों की सुंदरता, डल झील, शालीमार गार्डन और सुप्रसिद्ध इंडिया गार्डन से विश्व भर के पर्यटकों को सम्मोहित कर रखा है।
आम धारणा के विपरीत पारंपरिक भारत में लड़कियों को गुरु के मार्गदर्शन में रखा जाता था जहां वे विभिन्न विज्ञान के साथ साथ अपना कलात्मक कौशल बढ़ाने के लिए भारतीय संगीत और नृत्य की विविध शैलियां भी सीखती थीं। विशेष रुप से शादी के बाद भारतीय महिला को अपने वैवाहिक जीवन में खुशी के शुभ प्रतीक स्वरुप स्वदेशी कारीगरों के बनाए जटिल गहने पहनने होते हैं। बच्चों के नामकरण के लिए आकर्षक भारतीय नाम खोजने में भारतीय सांस्कृतिक संसाधन बहुत मदद करते हैं।
प्राचीन भारत में रसोई को एक पूजनीय स्थल माना जाता है, जहां अग्नि देवता का वास होता है और वे पूरे परिवार का पोषण करते हैं। आकर्षक भारतीय व्यंजन देशी से लेकर विदेशी सबको लुभाते हैं। इसका एक कारण शायद भारतीय व्यंजनों के अनगिनत प्रकार हैं, जो अपने अद्वितीय स्वाद के लिए प्रसिद्ध हैं।
सदियों तक अविश्वसनीय विविधता वाले लोगों की संस्कृतियों का आत्मसात और पोषण करने के बाद भारत अब भी दुनिया भर के लोगों के लिए एक आकर्षण है। आज भी विशिष्ट संस्कृति से जुड़ी वस्तुएं जैसे अनूठे भारतीय कपड़े, मनोरम भारतीय खाद्य व्यंजन, मधुर भारतीय संगीत और आकर्षक भारतीय नाम भारत की सच्ची पहचान के परिचायक हैं।
आधुनिक संदर्भ में भी, बाॅलीवुड को लेकर भारत एक विशेष स्थान रखता है। बाॅलीवुड विश्व का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है जो देश की अनूठी सांस्कृतिक पहचान का प्रतिनिधित्व करता है। बोलचाल की भाषा में भारतीय मसाला फिल्मों के नाम से मशहूर फिल्मों ने भारतीय बाॅक्स आॅफिस के साथ साथ विश्व भर में लहर पैदा की है। व्यवसायिक फिल्मों के विस्तार और बड़ी संख्या में क्राॅस ओवर फिल्मों के निर्माण ने भारतीय अभिनेताओं और सितारों का वैश्विक उन्माद पैदा किया है। भारतीय फैशन जगत के नई पीढ़ी के भारतीय माॅडल्स ने कई अंतर्राष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीतकर वैश्विक मीडिया को प्रभावित किया और अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।
भारत में हवाई नेटवर्क
भारत में हाल के कुछ सालों में निजी एयरलाइन आॅपरेटरों के आने के बाद विमानन उद्योग में बड़ा उछाल देखा गया। भारतीय उड़ाने भारत के शहरों को विश्व के अनेक स्थानों से जोड़ती हैं। राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के एकीकरण के बाद एक नई इकाई बनी नेशनल एविएशन कंपनी आॅफ इंडिया लिमिटेड। भारतीय घरेलू विमानन क्षेत्र के बड़े खिलाड़ी इंडियन एयरलाइंस को अन्य निजी आॅपरेटरों जैसे जेट एयरवेज, एयर इंडिगो या इंडिगो एयरलाइन, किंगफिशर एयरलाइन, गो एयर आदि के आने के बाद झुकना पड़ा। ईंधन की कीमतों में वृद्धि, आॅपरेटरों के प्रति सरकार की प्रतिकूल नीतियां और अंतर्राष्ट्रीय मार्गों तक पहुंच की कमी आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो भारतीय विमानन उद्योग के विकास में बाधा हैं। एयर इंडिया एक्सप्रेस राष्ट्रीय विमानन कंपनी का एक नया अल्प लागत का अंग है जो भारतीय विमानन क्षेत्र में यह 19 शहरों में 46 रुटों पर सेवा देता है। राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद नया राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया बना। इंडियन एयरलाइंस की वेबसाइट का इस विलय के बाद पुनर्निमाण किया गया।
भारतीय पर्यटन
भारतीय पर्यटन और भारत की यात्रा किसी भी यात्री के लिए जीवन भर का एक अद्भुत अनुभव है। विश्व भर के लोग भारत में छुट्टी बिताने का सपना देखते हैं। भारत के केरल और कश्मीर दुनिया की कई ट्रेवल मैग्जीन और वेबसाइट में विश्व के अवश्य देखने वाले स्थानों में शामिल हैं। जनवरी-सितंबर 2007 में पिछले वर्ष की तुलना में देश में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में 12.32 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारतीय पर्यटन क्षेत्र भविष्य में भी पर्यटन में अच्छे भविष्य को लेकर आशान्वित है। भारतीय पर्यटन से जुड़ी विविध व्यावसायिक गतिविधियों ने देश में बेरोजगारी दर कम करने में भी मदद की है। घरेलू या विदेशी पर्यटकों के लिए भारतीय रेस्तरां का अनुभव लेना जरुरी है। उत्तर भारत में किसी भारतीय रेस्तरां में मुगलई भोजन का आनंद हो या दक्षिण भारत में पत्तों पर परोसा गया मसालेदार शाकाहारी भोजन। भारत में छुट्टियां बिताने के दौरान यदि आप कृष्णा नदी के किनारे एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन विजयवाड़ा में हैं तो दक्षिण भारतीय नाश्ते जैसे इडली, चटनी, डोसा और वड़ा का आनंद लेना ना भूलें। देश में ओबेराॅय होटल, ताज होटल आदि विश्व प्रसिद्ध श्रृंखलाएं तो हैं, साथ ही भारतीय रेस्तरां जैसे मुंबई स्थित इंडिया जोन्स ने पारंपरिक और आधुनिक भारतीय व्यंजनों को जिंदा रखा है। देश की राजधानी दिल्ली में कुछ जरुर देखने वाले स्थान इंडिया हैबिटेट सेंटर, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, इंडिया गेट, कुतुब मीनार, लाल किला, सिरि फोर्ट, जामा मस्जिद, सफदरजंग का मकबरा हैं। भारत के बाहर स्थित भारतीय रेस्तरां भी खाने पीने के शौकीनों में लोकप्रिय हैं। ग्लासगो का इंडिया क्वे रेस्तरां, हनोवर का इंडिया क्वीन, बोस्टन का इंडिया क्वालिटी, न्यू जर्सी का इंडिया हाउस रेस्तरां और न्यू मैक्सिको के सेंटा फै में इंडिया पैलेस आदि भारत के बाहर स्थित कुछ प्रसिद्ध भारतीय रेस्तरां हैं। पश्चिम से आए पर्यटकों को भारतीय योग बहुत आकर्षित करता है। भारत आकर योग की कक्षाओं में भी भाग लिया जा सकता है और कुछ योग मुद्राएं सीखी जा सकती हैं। लेकिन इसे शुरु करने के लिए कुछ सरल व्यवस्था करना आवश्यक है। योग शुरु करने से पहले आपके पास विशेष योगा पैंट और कपड़े होना आवश्यक हैं। किसी भी योग रीट्रीट पर आप अपने आपको दिन भर के तनावों से मुक्त महसूस करेंगे और कह उठेंगे कि ये वाकई कारगर है। भारत में छुट्टी बिताने की चाह रखने वालों के लिए सबसे अच्छा टूर गाइड इंडिया-लोनली प्लेनेट है।
भारतीय अर्थव्यवस्था
विश्व अर्थव्यवस्था के वर्तमान परिदृश्य में कई निवेशकों, उद्यमियों और अर्थशास्त्र विशेषज्ञों का ध्यान पूर्व दिशा में इस नए गंतव्य भारत की ओर है। भारत की आर्थिक विकास दर वित्तीय वर्ष 2012-13 में 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई जो कि अनुमानित 5 प्रतिशत की दर से कम रही। भारत के निर्यातकों को विदेशी संस्थागत निवेश, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और पीएन नोट के रुप में विदेशी फंड के कारण मुनाफे का नुकसान झेलना पड़ा। भारतीय रुपये ने अमेरिकी डाॅलर के मुकाबले अगस्त 2013 में रिकार्ड 68.85 प्रति डाॅलर के निचले स्तर को छुआ। 2 सितंबर 2011 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने जीवन के उच्चतम स्तर 320.79 बिलियन डाॅलर पर पहुंचा। भारत के म्युचुअल फंड में भी निवेश के प्रति आकर्षित रहने वाले मध्यम वर्ग की जोखिम लेने की ताकत बढ़ने के साथ भारी वृद्धि हुई है। भारतीय शेयर बाजार में निवेश के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एक अच्छा लो काॅस्ट पोर्टफोलियो विकल्प बनकर उभर रहे हैं। भारत के ईटीएफ का बाजार जोखिम वर्तमान में 5.8 प्रतिशत है। नियामक संस्था सेबी के कारण भारत का शेयर बाजार परिदृश्य स्थिर है। अमेरिका के सब-प्राइम संकट से भारतीय शेयर बाजार के प्रभावित होने की संभावना बहुत कम है। हालांकि आरबीआई और वित मंत्रालय के पीएन नोट और अन्य पर कुछ नीतिगत उपायों के चलते भारतीय शेयर अस्थिर हो सकता है। भारतीय आयकर के मामले में सरकार ने भारी फेरबदल किया है। 2,50,000 रुपये तक की सालाना आय वालों को आयकर से छूट दी गई है। ढाई से पांच लाख तक की वार्षिक आय पर 10 प्रतिशत कर, पांच से दस लाख तक की सालाना आय पर 20 प्रतिशत कर और दस लाख से ज्यादा की आय पर 30 प्रतिशत कर लगाया गया है। भारतीय आईपीओ क्षेत्र में भी नया उत्साह देखा जा रहा है। अच्छा आयकर शासन, बढ़ती जीडीपी और भारतीय मध्यम वर्ग का निवेश के प्रति उत्साह यह सब एक मजबूत अर्थव्यवस्था और बेहतर भविष्य का सूचक है। भारत कृषि क्षेत्र और बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर अन्य बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं और विकसित देशों से बहुत पीछे है। निवेशकों और उद्यमियों के बीच भारतीय बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं ने माध्यम का काम किया है। भारतीय बाजार ने जहां मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति को मजबूत किया है वहीं ग्रामीण आबादी के विभिन्न वर्ग अब भी इस आर्थिक समृद्धि से वंचित हैं। संयुक्त विकास अब भी भारत का एक ऐसा सपना है जो अधूरा है। स्टाॅक एक्सचेंज और भारतीय सेंसेक्स को ग्रामीण कृषि की खस्ता हालत को प्रतिबंबित करने की आवश्यकता है। कर्ज मुहैया कराने के दोषपूर्ण तरीके, भ्रष्ट नौकरशाही और कृषि उत्पादों की खरीद फरोख्त में बिचैलियों के दखल से निपटने में सरकार को अपने पैर पीछे नहीं खींचने चाहिये। उपज के बेहतर दाम, सिंचाई के बुनियादी ढांचे में सुधार, किसानों को अच्छी उपज के तरीकों के प्रक्षिषण के माध्यम से कृषि को समर्थन देने की आवश्यकता है। भले ही मोबाइल फोन भारत के हर कोने में पहुंच गया हो पर मनीआॅर्डर या भारतीय डाक ही ग्रामीण क्षेत्रों में धन हस्तांतरण का एकमात्र तरीका है। भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग प्रणाली का पूरी पैठ बनाना अभी बाकी है। शहरी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति अब भी चिंता का विषय है। वितरण के अक्षम तंत्र और बढ़ती आबादी के दबाव ने शहरी क्षेत्रों में पानी को कीमती सामान बना दिया है। शहरी क्षेत्रों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से पीने के पानी की आपूर्ति की वितरण श्रृंखला बनाई जा सकती है। ऐसा एक उदाहरण केएस2 द्वारा कोलकाता जल आपूर्ति प्रणाली के विकास का है। ऐसी श्रृंखला के माध्यम से पानी की आपूर्ति की लागत को भी विश्व के अन्य शहरों की तुलना में मानकीकृत किया जाना चाहिये। घटते जल संसाधन, बदलती जलवायु और स्वास्थ्य समस्याएं सन् 2007 में हुए भारतीय आर्थिक शिखर सम्मेलन का मुख्य ऐजेंडा थीं। सन् 1997 का क्योटो प्रोटोकाॅल भारत के लिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम था। सन् 2007 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत का सुझाया समाधान यूरोप और अमेरिका के बीच अनसुलझी बहस में कहीं खो गया। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर 65 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा है। भारत में तेल उत्पाद जैसे पेट्रोल, डीजल आदि सरकार के लिए लोकप्रियता का खेल खेलने का क्षेत्र हैं। कच्चे तेल की कीमतों में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेजी के बाद भी सरकार घरेलू बाजार में पेट्रोल, डीजल आदि के भाव बढ़ाने में हिचकिचाती है। व्यापार विस्तार के मामले में भारत सरकार का सार्वजनिक उपक्रम इंडियन आॅयल अपने निजी क्षेत्र के प्रतिद्वंद्वियों से बहुत पीछे है। इस्तेमाल की गई कारों का बाजार भारत में हमेशा से ही वृद्धि करता रहा क्योंकि यहां विकसित देशों की तरह सेकंड हैंड कार से गैजेट का उपयोग करना उपहास का विषय नहीं है। ट्रेड-इन-आॅफ या एक्सचेंज इस्तेमाल की गई कारों को खरीदने या बेचने का आम तरीका है। भारतीय बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं वाहन कर्ज के बकाया की वसूली ग्राहक का वाहन जब्त करके और उसे खुले बाजार में बेचकर करती हैं। इस देश के कार्यबल यानि भारतीय मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रय शक्ति भारतीय कार मार्केट का भविष्य है। टाटा इंडिका की ज़ेटा भारतीय बाजार में धूम मचा रही है। भारतीय रीयल स्टेट के मोर्चे पर घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है, खासकर तेजी से बढ़ते भारतीय शहरों में। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें विदेशी निवेशक पैसा लगाने को आतुर हैं। शहर में रहने वालों और व्यवसायिक उद्यमियों की बढ़ती मांग के कारण सरकार ने अपनी खाली पड़ी जमीनों पर निजी रीयल स्टेट एजेंटों से भवन निर्माण करवाने का फैसला किया है। सेज़ या स्पेशल इकोनाॅमिक ज़ोन बनाने पर उजाड़े गए लोगों के मुआवजे पर भी सरकार ने कई फैसले लिए हैं। उजाड़े गए परिवारों को विस्थापन और सेज में जमीन देने जैसे कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए हैं। साथ ही उनके रोजगार को भी सुनिश्चित किया गया है। भारतीय आउटसोर्सिंग भी विदेशी मुद्रा का मुख्य आकर्षण रही है। अंग्रेजी बोलनेे वाले लोग और अच्छी प्रबंधन क्षमता ने भारत को बिजनेस प्रोसेसिंग आउटसोर्सिंग का पसंदीदा केन्द्र बनाया है। एक अनुमान के मुताबिक सन् 2020 तक भारत अपनी बढ़ती जीडीपी और संयुक्त राष्ट्र विकास परियोजना के मानव विकास सूचकांक में समग्र सुधारों के चलते एक आर्थिक शक्ति बन जाएगा। भारत में पिछले एक दशक में हुए विभिन्न आर्थिक सुधारों में सबसे ज्यादा प्रभाव कंपनियों के लिए रीटेल क्षेत्र खोलने से पड़ा। पारंपरिक किराना दुकानों को इससे प्रभाव जरुर पड़ेगा पर बढ़ते ग्राहक आधार को देखते हुए इनके विलुप्त होने की संभावना कम है। भारत का बढ़ता प्रभाव, विदेशी अधिग्रहण जैसे टाटा और मित्तल के अधिग्रहण में साफ दिखता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मोर्चे पर भारत
-जापान और भारत-चीन और भारत-अमेरिका के बढ़ते व्यापार संबंध इस देश के लिए बहुत आर्थिक महत्व के हैं।
भारतीय समाचार
आबादी के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश होने के कारण भारतीय समाचारों की ये विशेषता है कि इसका रंग और मिजाज़ भी यहां की संस्कृति की विविधता की तरह देश में उस क्षेत्र में रह रहे लोगों के हिसाब से बदलता है। राष्ट्रीय स्तर के भारतीय अखबारों की भाषा अंग्रेजी है जो उन्हें अंग्रेजों के राज के कारण विरासत में मिली है। अंग्रेजी के भारतीय अखबार शिक्षाविदों, अधिकारियों, शोधकर्ताओं, वकीलों और राष्ट्रीय नेताओं के बीच व्यापक रुप से वितरित होते हैं। दूसरी ओर स्वदेशी भाषा के अखबार मेहनतकश मजदूर और गृहिणियों के बीच बड़े स्तर पर वितरित होते हैं। भारत के कुछ लोकप्रिय राष्ट्रीय दैनिक अखबार टाइम्स आॅफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस हैं। दैनिक के अलावा कुछ भारतीय साप्ताहिक और पाक्षिक पत्रिकाएं भी हैं जो ताजा भारतीय समाचार विश्व भर के पाठकों को पहुंचाती हैं, जैसे इंडिया टुडे और फ्रंटलाइन। निजी प्रसारकों के तकनीकी कौशल और मनोरंजक कार्यक्रमों के कारण कभी सिर्फ सरकार के एकाधिकार में रहा भारतीय रेडियो अब समाज के उच्च वर्ग तक भी पैठ बना चुका है। सन् 1956 में देश में शुरु हुए भारतीय टीवी के विकास का ग्राफ भी हमेशा उपर की ओर ही रहा है। उत्तर भारत से प्रसारित होने वाले कुछ लोकप्रिय टीवी चैनल इंडिया टीवी, एनडीटीवी, जैन टीवी हैं। दक्षिण भारत के कुछ लोकप्रिय टीवी चैनल जया टीवी, केरली टीवी, एशियानेट, इंडिया विजन टेलीविजन केरल, ई टीवी कन्नड़, सूर्या टीवी आदि हैं। विश्लेषणात्मक खबरों के लिए कुछ मशहूर समाचार साइट्स इंडिया जर्नल, इंडिया टूगेदर, इंडिया एक्स रोड्स और मेरी न्यूज हैं। संक्षेप में कहें तो भारत का मीडिया ना सिर्फ सरकार के बंधनों से मुक्त है बल्कि बुनियादी ढांचे, निवेश और व्यवसायिकता के मामले में इसकी दुनिया के किसी भी विकसित देश के मीडिया से तुलना की जा सकती है। इसलिए वैश्विक और स्थानीय दर्शक विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र की खबरों से लगातार जुड़े रहने के लिए भारतीय समाचारों को सुन, पढ़, देख या ब्राउज़ कर सकते हैं।
भारतीय क्रिकेट
पिछले कुछ सालों में भारतीय क्रिकेट का एक नया ताकतवर चेहरा उभर कर आया है जिसने भारतीय क्रिकेट की अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में क्षमता पर सवाल खड़ा करने वाले आलोचकों को जवाब दिया है। भारतीय क्रिकेट का यह नया युग सन् 2003 के वल्र्ड कप फायनल में पहुंचने के साथ हुआ। इस टूर्नामेंट में आॅस्ट्रेलिया से दो मैच हारने के बाद भारत में क्रिकेट वल्र्ड कप जीतने का सपना पूरा करने की शिद्दत और बढ़ गई। जल्दी ही एम एस धोनी जैसे खिलाडि़यों के टीम सेे जुड़ने से भारतीय क्रिकेट की ताकत और बढ़ गई। युवा क्रिकेटरों की लगातार होती जीतों से भारतीय क्रिकेट टीम के प्रति पूरी दुनिया में प्रेम बढ़ता गया। सन् 2007 में टी20 क्रिकेट वल्र्ड कप के आयोजन से भारत में क्रिकेट का दीवानापन चरम पर पहुंच गया। क्रिकेट प्रशंसकों की नजर हमेशा टीम के स्कोर पर होती थी। भारतीय टीम के लगातार मैच जीतने से और क्रिकेट वल्र्ड कप के फायनल में पहुंचने से लोगों का खेल के लिए जुनून अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया। भारत ने पाकिस्तान को फायनल में हराया और पहला टी20 वल्र्ड कप विजेता बना। टी20 वल्र्ड कप की जीत ने यह उम्मीद जगाई कि भारत क्रिकेट की दुनिया का सिरमौर बनेगा। इसके बाद हुई भारत-आॅस्ट्रेलिया सीरीज में लोग टीवी से चिपके रहे और भारत की हर जीत का जश्न मनाया गया। इनके बीच का पहला मैच बारिश में धुल गया, दूसरा और तीसरा मैच आॅस्ट्रेलिया ने जीता। चैथे मैच में भारत ने मेजबान को हराया। पांचवा और छठा हारने के बाद भारत ने सीरीज जीतने के सारे अवसर गंवा दिये। सातवें मैच में भारत ने जीतकर लाज बचाई। इस सीरीज के बाद भारत-आॅस्ट्रेलिया के बीच एक टी20 मैच अभी बाकी था। इसमें भारत ने आसानी से आॅस्ट्रेलिया को सात विकेट से हराया और साबित किया कि टी20 वल्र्ड कप की जीत कोई इत्तेफाक नहीं थी। सन् 2011 में भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश की संयुक्त मेजबानी में क्रिकेट वल्र्ड कप का आयोजन किया गया। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में हुए क्रिकेट वल्र्ड कप फायनल में भारत ने श्रीलंका को छह विकेट से हरा कर ट्राॅफी पर कब्जा किया। पूरा देश इस जीत का जश्न मनाने सड़कों पर निकल आया। क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले भारतीय खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर ने 16 नवंबर 2013 को अपना आखरी मैच मुंबई में वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेला। इस दिन ही उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की भी घोषणा हुई।
भारत के बारे में जानकारियां
चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और बांग्लादेश से घिरा भारत दक्षिण एशिया का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल और एक बढ़ती आर्थिक शक्ति है। हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी भारत की अन्य सीमाएं हैं। भारत की राजधानी दिल्ली है जो देश के उत्तरी भाग में है। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दफ्तर भारत के बड़े बड़े शहरों में हैं, जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई। पर्यटकों के मार्गदर्शन के लिए इंडिया इंफो और इंडिया ईयरबुक बहुत सहायक साबित हो सकते हैं। भारत में इलाहाबाद का दोपहर का स्थानीय समय भारतीय मानक समय माना जाता है। भारतीय जनसांख्यिकी में 72 प्रतिशत लोग इंडो-आर्यन, 25 प्रतिशत द्रविड़ और 3 प्रतिशत मंगोल और अन्य हैं। विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और जातियों का देश होने के कारण भारत में कई राष्ट्रीय अवकाश होते हंै। हालांकि 26 जनवरी, 15 अगस्त, 2 अक्टूबर प्रमुख हैं। भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों के लिए दोहरी नागरिकता रखने की अनुमति नहीं है। भारतीय मूल यानि पीआईओ और भारत की विदेशी नागरिकता यानि ओसीआई को अक्सर दोहरी नागरिकता समझा जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। ओसीआई को वोट देने का अधिकार नहीं है और वह संवैधानिक पद नहीं ले सकता जैसे राष्ट्रपति या सुप्रीम कोर्ट का जज आदि। ओसीआई व्यक्ति भारतीय पासपोर्ट भी नहीं ले सकता।
भारत और पश्चिम
भारत-अमेरिका के बीच परमाणु करार बहुत सुर्खियों में रहा और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार ने गठबंधन के दबावों और विपक्ष के विरोध के बीच इसे पूरा किया। प्रधानमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मानना है कि ये करार आर्थिक और पर्यावरण अनुकूल बिजली उत्पादन के तरीकों का नया युग लाएगा। भारत-अमेरिका के बीच परमाणु करार से देश में असैन्य परमाणु तकनीक और कच्चा माल जैसे यूरेनियम को अमेरिका व अन्य प्रमुख देशों जैसे कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि से लाना आसान होगा। हालांकि रुस भी भारत के साथ एक ऐसा ही करार करना चाहता है। यह करार किसी भी घरेलू नियामकों में रुस के प्रति बाध्यकारी नहीं होगा जैसा अमेरिका के साथ 123 समझौते में है।
भारत आॅनलाइन
भारत में आज तक कई यात्रियों और व्यापारियों ने भौगोलीय यात्रा तो की है लेकिन अब भारत कुछ ऐसे देशों की गिनती में भी शामिल हो गया है जिन्होंने वर्चुअल वल्र्ड में भी खास जगह बनाई है। आॅनलाइन भारतीय सामान की खरीददारी और संगीत भारत के साथ साथ बाहर रहने वाले नेट सेवी के जीवन का भी खास अंग बन गया है। इंडियामार्ट और इंडिया प्लाजा भारतीय सामान बेचने वाली प्रमुख ई-व्यापार साईट है। इंडिया याहू और इंडिया गूगल ने भारतीय खबरों से जुड़े विभिन्न वर्ग बनाए हैं, साथ ही विशिष्ट इंडिया सर्च इंजन भी है। भारत में जीएसएम तकनीक में बहुत तरक्की हुई है और 3जी तकनीक आने पर भारत में ब्राॅडबैंड ग्रामीण इलाकों तक पहुंच कर मोबाइल फोन के माध्यम से भी इंटरनेट मुहैया करा देगा। सामाजिक नेटवर्किंग साइट जैसे ट्वीटर या फेसबुक या वीडियो साझा करने वाली साइट जैसे यू ट्यूब भारत में पहले ही बहुत मशहूर हैं। याहू फायनेंस के माध्यम से बहुत सारे लोग भारत में होन वालेे वित्त संबंधी बदलावों से खुद को जोड़े रखते हैं। सीएनबीसी का नेटवर्क 18 अपने सभी निवेशकों, प्रबंधन और कंपनी के प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी इंडियाअर्निंग पर एकीकृत रखता है। इंडियाइंफोलाइन, इंडियाबुल्स, शेअरखान जैसी साइट शेयर बाजार से जुड़ी सारी खबरे दिखाती हैं। अब भारतीय युवा को अवसरों का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। इंडिया का हीरो कला, मनोरंजन और संगीत से जुड़े कलाकारों को अपनी कला के प्रदर्शन का मौका देता है। इंडिया एक्स गुरु, इंडिया डेटिंग और इंडिया ऐस्कार्ट रोमांस से जुड़ी साइट हंै। इंडिया एफएम या इंडिया एफएम.काॅम हंगामा का हिस्सा हंै और संगीत क्षेत्र में होने वाले बदलावों पर नज़र रखती हैं। टीवी और सिनेमा के चाहने वालों के लिए नई बातों को साझा करने और वाद विवाद करने के कई मंच आ गए हैं। इंडिया फोरम मनोरंजन प्रेमियों के लिए जानकारी पाने और देने का अच्छा मंच है। इंडिया फोरम भारतीय संस्कृति एवं समाज और इतिहास से जुड़ी जानकारी भी देता है। इंडिया एक्सप्रेस भारतीय सिनेमा, सेलेब्रिटी और क्रिकेट पर केंद्रित साइट है। इंडिया ग्लिटस भारतीय सिनेमा की विभिन्न भाषाओं के सिनेमा के ट्रेलर की साइट है। इंडिया माइक यात्रियों के लिए चर्चा का मंच है। इंडिया माइक यात्रियों को यात्रा संबंधी चैट और चित्र साझा करने का मौका देती है। जीवन के अन्य पहलुओं से जुड़े चुटकुलों की भी साइट हैं। भारतीय कोट्स, भारतीय क्विज़ और प्रश्न भी आॅनलाइन उपलब्ध हैं। इंडिया रिजल्ट.काॅम पर सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के नतीजे प्रकाशित होते हैं। सेवा चयन बोर्ड, विश्वविद्यालयों के नतीजे भी इंडिया रिजल्ट.काॅम पर प्रकाशित होते हैं। भारतीय चित्र, छवियां और वाॅलपेपर भी आॅनलाइन उपलब्ध हैं।
भारत के कंट्री कोड
दूरसंचार प्रौद्योगिकी ने अंतर्राष्ट्रीय काॅल करना बहुत आसान कर दिया है। अमेरिका या कनाडा से भारत में काॅल करने के लिए आपको यूएस एक्सिट कोड फिर भारत का कंट्री कोड, भारत का क्षेत्र कोड और फिर फोन नंबर लगाना पड़ेगा। यह प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है 011यूएस एक्सिट कोड - $91 भारत का कंट्री कोड - भारत का क्षेत्र कोड - और फिर फोन नंबर लगाना होगा। यदि अमेरिका या कनाडा से भारत में सेलुलर काॅल करना हो तो 011 यूएस एक्सिट कोड - $91 भारत का कंट्री कोड - नेटवर्क कोड - सेल नंबर लगाना होगा। अंतर्राष्ट्रीय काॅल इंटरनेट से भी किये जा सकते हैं। इंडिया काॅलिंग कार्ड कई साइटों पर उपलब्ध है जहां दूरी के हिसाब से तय दर पर आप उन्हें पा सकते हैं। काॅलिंग कार्ड के मुकाबले इंटरनेट से काॅल बहुत सस्ती पड़ती है। भारत के एक राज्य से दूसरे राज्य में काॅल करने के लिए एसटीडी कोड की जरुरत होती है जो फोन नंबर के पहले लगाना होता है।
भारतीय रोजगार
भारतीय रोजगार का परिदृश्य सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास और बिजनेस प्रोसेस तथा नाॅलेज प्रोसेस की आउटसोर्सिंग के साथ बहुत तेजी से बदला है। इस प्रोसेस में अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया और अन्य देशों का बहुत योगदान है। सस्ते मैनपाॅवर के कारण ये देश अपने सेवा क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा भारत को आउटसोर्स कर देते हैं जिससे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक रिश्ते भी मजबूत होते हैं। इस प्रकिया में भारतीय युवाओं को बड़ी संख्या में काॅल सेंटर, कस्टमर केयर, कंटेट डेवलपमेंट और आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। हाल के इंटरनेट बूम और आईटी सेवा के लगातार विकास से भारतीय बाजार में रोजगार संबंधी जानकारी के लिए कई रोजगारी साइट आई हैं, जो पढ़े लिखे युवाओं को जानकारियां मुहैया कराती हैं। ऐसी कुछ साइटंे नौकरी.काॅम, टाइम्सजोब्स.काॅम, माॅन्सटर.काॅम व अन्य हैं। यहां आप मिनटों में नौकरी खोज सकते हैं। इस इलेक्ट्रिॅनिक क्रांति ने भारतीय रोजगार व भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है।
भारतीय रेलवे
भारतीय रेलवे हमेशा से ही भारतीय परिवहन का खास हिस्सा रही है। इसकी पहुंच देश के कोने कोने तक है। यात्रा के लिए सड़क परिवहन के बाद रेलवे ही सबसे आसान और सस्ता साधन है। सड़क परिवहन की पहुंच देश के दूरस्थ भागों तक है। हालांकि रेल के मुकाबले सड़क से यात्रा करने में कहीं अधिक समय बचता है। भारतीय रेलवे रोजाना लगभग 16 लाख यात्रियों को और 1 लाख टन भार ढोती है। यह विश्व का व्यस्ततम रेलवे नेटवर्क है और इसके पास 1.6 लाख कर्मचारी हैं। भारत में रेलवे नेटवर्क को सुविधापूर्ण संचालन हेतु 17 क्षेत्रीय जोन में बांटा गया है। प्रशासनिक सुविधा के लिए इनके उप जोन बनाए गए हैं। आज भारतीय रेलवे नेटवर्क के पास उच्च तकनीक है जिससे यात्रियों की सुविधा के लिए सामान्य पेसेंजर रेल के साथ एक्सप्रेस ट्रेन और सुपर एक्सप्रेस ट्रेन भी चलाई जा रही हैं। भारतीय रेलवे द्वारा विकसित आरक्षण प्रणाली के द्वारा कोई भी व्यक्ति आसानी से अपनी सीट आरक्षित करवा सकता है। आॅनलाइन टिकट, इलेक्ट्रानिक टिकट जैसी कई सुविधाएं भारतीय रेलवे की वेब साइट पर उपलब्ध हैं। एक सबसे बेहतरीन सुविधा जो लागू की गई है वो तत्काल कोटे की है, जिसमें भारतीय रेलवे की आरक्षण प्रणाली में कम समय में भी टिकट आसानी से बुक हो जाती है।
भारतीय वीज़ा
नेपाल और भूटान के नागरिकों के अलावा सभी विदेशी नागरिकों के पास भारत में यात्रा करने के लिए वैध पासपोर्ट और वैध भारतीय वीज़ा का होना आवश्यक है। एक अन्य छूट मालदीव के नागरिकों को है जो बिना भारतीय वीज़ा के भी भारत में 90 दिन तक रह सकते हैं। भारत के विदेश मंत्रालय के काउंसलर पासपोर्ट और वीज़ा विभाग के पास भारतीय नागरिकों को पासपोर्ट और विदेशी नागरिकों को भारतीय वीज़ा जारी करने का सरकारी अधिकार है। एक अपवाद विदेशी नागरिकता यानि ओसीआई रखने वाले अप्रवासी भारतीयों यानि एनआरआई हैं, जिन्हें भारत आने के लिए वीज़ा की आवश्यकता नहीं है। देश में 28 क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर और विदेशों में 160 भारतीय उच्चायोग हैं, जिनके पास विदेशी नागरिकों को पासपोर्ट और भारतीय वीज़ा जारी करने का अधिकार है। भारत के कुछ महत्वपूर्ण विदेशी मिशन हैं, यूके के लंदन में भारतीय दूतावास, ग्रीस के एथेंस में एंबेसी आॅफ इंडिया, आॅस्ट्रेलिया में हाई कमीशन आॅफ इंडिया और अमेरिका के वाॅशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास व अन्य।
विदेश स्थित भारतीय दूतावास और भारतीय उच्चायोग वीज़ा सेवाओं के अलावा राजनयिक संबंधों को निभाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। यात्रा के उद्देश्य के हिसाब से अधिकारी भारतीय वीज़ा जारी करते हैं। जैसे ट्रांसिट वीज़ा, पर्यटक वीज़ा, छात्र वीज़ा, व्यापार वीज़ा या रोजगार वीज़ा व अन्य। जारी किये गए वीज़ा के आधार पर देश में रहने की अवधि निर्भर करती है। व्यापार या रोजगार वीज़ा पर आए विदेशी नागरिकों के पति या पत्नी को एक्स वीज़ा जारी किया जाता है, जो उन्हें व्यापार या रोजगार में शामिल हुए बिना भारत दौरे की अनुमति देता है। यदि साथ आए पति या पत्नी किसी विशिष्ट रोजगार गतिविधि में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें उनके नागरिकता वाले देश से रोजगार वीज़ा प्राप्त करना होगा। विदेश में रह रहे भारतीय नागरिक को नागरिकता छोड़ने की स्थिति में तुरंत अपना भारतीय पासपोर्ट वहां स्थित भारतीय दूतावास को सौंपना होता है।
भारत का नक्शा
एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित भारत एक विशाल देश है जो दक्षिण में हिंद महासागर, पश्चिम में अरब सागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी से घिरा है। इसकी सीमाएं चीन, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से उत्तर, उत्तरपश्चिम, उत्तरपूर्व और पूर्व में घिरी हैं। भारत का प्राकृतिक नक्शा भारतीय उपमहाद्वीप की भूभौतिकीय और टोपोलाॅजिकल विशिष्टताएं समझने में बहुत मददगार है। भारत की सीमाओं का नक्शा देश की भू राजनीतिक रुपरेखा को परिभाषित करता है। भारत का राजनीतिक नक्शा देश की राजनीतिक सीमा और उप प्रभाग व्यवहारिक कार्यों हेतु जानने में सहायता करता है। भारत के भौतिक नक्शे में भूकंप की आशंका वाले क्षेत्र, हिमालय क्षेत्र, उत्तर के मैदानी भाग और गुजरात के कुछ हिस्से जैसे कच्छ आदि भी दिखते हैं। इन क्षेत्रों में कुछ विनाशकारी भूकंप देखे गए हैं।
भारत एक विशाल देश है जिसकी आबादी एक अरब से भी अधिक है, इसलिए यहां बिजली के उत्पादन, ओद्यौगिक उत्पादन, कृषि विकास और परिवहन के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का होना आवश्यक है। भारत कई विकसित देशों के मुकाबले बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में बहुत पीछे है। भारत ने कृषि प्रौद्योगिकी और औद्योगिक विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे भारत के भविष्य में एक वैश्विक शक्ति बनने की अपार क्षमता है। कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तेजी से हुई इस प्रगति के पीछे परिवहन और संचार के बुनियादी ढांचे में हुआ विकास एक प्रमुख कारक है। भारत का सड़क मानचित्र भारत के परिवहन नेटवर्क को समझने का उत्कृष्ट उपकरण है जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप का विशाल सड़क नेटवर्क शामिल है। हालांकि भारतीय रेल नेटवर्क और हवाई यात्रा नेटवर्क भारत की आर्थिक प्रगति के इंजन बनकर उभरे हैं और इस आधुनिक समय में सड़क नेटवर्क को भौगोलिक पहुंच के मामले में बहुत पीछे छोड़ दिया है।
समय समय पर विद्वानों ने भारत के नक्शे को नया रूप दिया, इसलिए भारत का नक्शा किसने बनाया ये बता पाना संभव नही है, पर सर्वे ऑफ़ इंडिया के पास हर समय के नक्शो की एक प्रतिलिप होती है
भारतीय कानून
भारत के विधि और न्याय मंत्रालय के तहत आने वाला भारतीय विधि आयोग भारत में कानूनी सुधारों और उनके क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार है। भारतीय संविधान
द्वारा निर्धारित निर्देशों के अनुसार लोकतांत्रिक कानूनी सुधारों के लिए स्वतंत्र भारत का पहला विधि आयोग सन् 1955 में स्थापित हुआ था। विधि आयोग बनाने का प्रमुख उद्देश्य भारतीय संविधान की धारा 372 के तहत मान्यता प्राप्त पूर्व संविधान कानूनों में बदलाव करना था।
भारतीय खेल
पिछले कुछ सालों में भारत में इंटरनेट और प्रौद्योगिकी के विकास से खिलाडि़यों की नई लीग आई है। भारतीय गेमर अब बाजार में उपलब्ध नवीनतम विडियो गेम और पीसी गेम उत्पाद में हाथ आजमाने से नहीं घबराते हैं, जिसने भारत के गेमिंग उद्योग को बढ़ाने में बहुत मदद की है। अब तक हालांकि भारत के गेमिंग बाजार में गैर-भारतीय खिलाडि़यों, जैसे सोनी और माइक्रोसाॅफ्ट का बोलबाला है जिन्होंने अपने लिए खास बगह बनाई है। बाजार में अभी कुछ सबसे अच्छे गेमिंग उत्पाद मौजूद हैं, जैसे सोनी का पीसी3, माइक्रोसाॅफ्ट का गेम क्यूब और निन्टेंडो। इन गेमों को बहुत हाइप के साथ लाॅन्च किया गया था और उन्हें गेमर का भरपूर ध्यान भी मिला। भारत में एक्सबाॅक्स 360 के बिक्री के आंकड़े बहुत अच्छे भले ही ना हो पर माइक्रोसाॅफ्ट के प्रतिद्वंद्वियों और गेमिंग में विश्वास ना रखने वालों को भी इसने बहुत आकर्षित किया। भारतीय गेम डेवलपर्स भी ऐसी रणनीति बनाने में लगे हैं कि वे विदेशी खिलाडि़यों को अगले दशक में टक्कर दे सकें। इंडिया गेम्स.काॅम आॅनलाइन गेम खेलने वालों का केन्द्र है।
मेरे सपनों का भारत
कई लोगों के लिए उनके सपनों का भारत एक ऐसी जगह है जहां सबके लिए समान मौके हैं। प्रतिभाशाली लोगों के लिए तरक्की के सभी अवसर हैं चाहे उनकी जाति, लिंग या आर्थिक और सामाजिक स्तर कुछ भी हो। देश में विभिन्न सामाजिक स्तर के लोगों में आर्थिक असमानता की कमी भी कई लोगों का सपना है। काफी लोगों के लिए भारत के पाकिस्तान और अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध प्राथमिकता है तो जो लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं उनके लिए जीवन स्तर सुधारना ही एकमात्र चिंता है। भारत में सही अर्थों में लोकतंत्र तभी होगा जब राजनीति से जातिवाद, वोट बैंक की राजनीति, भाई भतीजावाद और अपराधीकरण दूर हो। कई लोगों के लिए तो यही भारत उनके सपनों का भारत है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का सपना ईमानदार नौकरशाही है, वहीं जल्दी न्याय और न्यायिक सक्रियता भी कई लोग चाहते हैं।
विदेश में भारतीय रेस्तरां
यदि कोई भारत आए बिना भारत का अनुभव करना चाहता है तो उसे भारतीय रेस्तरां में जाना चाहिये। भारतीय व्यंजनों की विविधता और स्वाद की व्यापक रेंज सिर्फ इसी भोजन में है। भारतीय व्यंजनों का एक पहलू जो विदेशी लोग पसंद करते हैं वो है उसका तीखा मसालेदार और स्वादिष्ट होना। हालांकि पश्चिम में कम मसालेदार भारतीय भोजन भी बहुत लोकप्रिय है। भारत के बाहर स्थित कुछ प्रसिद्ध भारतीय रेस्तरां में ग्लासगो का इंडिया क्वे रेस्तरां, हनोवर का इंडिया क्वीन, बोस्टन का इंडिया क्वालिटी, न्यू जर्सी का इंडिया हाउस रेस्तरां और टेक्सास का इंडिया ओवन भी शामिल है।
भारतीय रक्षा
भारतीय रक्षा की क्षमता विश्व में चैथे नंबर पर आंकी गई है और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है जो कि स्वयंसेवकों से बनी एकमात्र सेना है। सेना में अनिवार्य भर्ती से सशक्त होने के बावजूद भारत सरकार को कभी इस विकल्प की आवश्यकता नहीं पड़ी, फिर चाहे पाकिस्तान या चीन के साथ युद्ध का समय ही क्यों ना हो। राष्ट्रपति ही भारतीय सशस्त्र बल जिसमें थल सेना, वायु सेना और नौसेना शामिल हैं का सुप्रीम कमांडर होता है। भारत में सशस्त्र सेना पिछले 60 सालों में हर युद्ध के बाद बहुत सशक्त हुई है। वर्तमान भूराजनीतिक संदर्भ में भारत के सामने बाहरी और आंतरिक सुरक्षा दोनों मुद्दे हैं और भारतीय सशस्त्र बल उनका सामना करने में सक्षम है।
भारत के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ
भारत के किस शहर में सबसे पहले बिजली आई थी ?
भारत के बेंगलुरु शहर में १९०६ में सबसे पहले बिजली आयी थी, यह शहर न केवल भारत का अपितु पुरे एशिया का पहला शहर है जहा सबसे पहले बिजली आयी।
भारत का पुराना नाम क्या है
भारत का पुराना नाम आर्यावर्त था जो कि महाभारत काल से पहले आयरो द्वारा रखा गया था.
भारत के कितने नाम है
वर्तमान में भारत के मान्य नाम है, इंडिया, भारत, हिंदुस्तान, जिसमे भारत और इंडिया आधिकारिक रूप से प्रयोग में लिए जाते है, हिंदुस्तान को भारत देश का एक भावप्रद नाम से जाना जाता है।
भारत का नक्शा किसने बनाया
एनविले (1752 ई.) ने सबसे पहले भारत का नक्शा बनाया, इसके बाद कई और लोगो ने भारत का नक्शा बनाया, पर जो आज भी मान्य है १९४७ में बना हुआ नक्शा है जिसे चौधरी रहमत अली ने देश के विभाजन के समय बनाया था। इस नक़्शे में उस समय आज का बंगला देश भी था.