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क्या है जनहित याचिका / What Is PIL, जानें भारत में जनहित याचिका दायर करने की प्रक्रिया क्या है?

क्या आप अपने आसपास में घटित होने वाली विभिन्न घटनाओं से नाखुश या परेशान हैं? क्या आपको लगता है कि सरकार की गलत नीतियों तथा फैसले की कमी के कारण लोग बुनियादी मानवीय अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं तथा सामाजिक अन्याय एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है? सामाजिक रूप से ऐसे जागरूक नागरिकों के लिए, जो कानून के माध्यम से समाज को ठीक करना चाहते हैं, जनहित याचिका (PIL) एक शक्तिशाली उपकरण है. इस लेख में हम जनहित याचिका दायर करने से संबंधित सभी प्रक्रियाओं का चरणबद्ध तरीके से विवरण दे रहे हैं.

देश के हर नागरिक को संविधान की ओर से छह मूल अधिकार दिए गए हैं. ये हैं : समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, संस्कृति और शिक्षा का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार और मूल अधिकार पाने का रास्ता. अगर किसी नागरिक (आम आदमी) के किसी भी मूल अधिकार का हनन हो रहा है, तो वह हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मूल अधिकार की रक्षा के लिए गुहार लगा सकता है. वह अनुच्छेद-226 के तहत हाई कोर्ट का और अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.
अगर यह मामला निजी न होकर व्यापक जनहित से जुड़ा है तो याचिका को जनहित याचिका के तौर पर देखा जाता है. पीआईएल डालने वाले शख्स को अदालत को यह बताना होगा कि कैसे उस मामले में आम लोगों का हित प्रभावित हो रहा है.
अगर मामला निजी हित से जुड़ा है या निजी तौर पर किसी के अधिकारों का हनन हो रहा है तो उसे जनहित याचिका नहीं माना जाता. ऐसे मामलों में दायर की गई याचिका को पर्सनल इंट्रेस्ट लिटिगेशन कहा जाता है और इसी के तहत उनकी सुनवाई होती है.
जनहित याचिका (PIL) क्या है?
जनहित याचिका एक ऐसा माध्यम है, जिसमें मुकदमेबाजी या कानूनी कार्यवाही के द्वारा अल्पसंख्यक या वंचित समूह या व्यक्तियों से जुड़े सार्वजनिक मुद्दों को उठाया जाता है. सरल शब्दों में, जनहित याचिका (PIL) न्यायिक सक्रियता का नतीजा है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति या एक गैर-सरकारी संगठन या नागरिक समूह, अदालत में ऐसे मुद्दों पर न्याय की मांग कर सकता है जिसमें एक बड़ा सार्वजनिक हित जुड़ा होता है. वास्तव में जनहित याचिका, कानूनी तरीके से सामाजिक परिवर्तन को प्रभावी बनाने का एक तरीका है. इसका उद्देश्य सामान्य लोगों को अधिक से अधिक कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए न्यायपालिका तक पहुंच प्रदान करना है.
जनहित याचिका दायर करने का अधिकार किसे है?
कोई भी भारतीय नागरिक जनहित याचिका दायर कर सकता है, केवल शर्त यह है कि इसे निजी हित के बजाय सार्वजनिक हित में दायर किया जाना चाहिए. यदि कोई मुद्दा अत्यंत सार्वजनिक महत्व का है तो कई बार न्यायालय भी ऐसे मामले में स्वतः संज्ञान लेती है और ऐसे मामले को संभालने के लिए एक वकील की नियुक्ति करती है.
जनहित याचिकाएं कहां दायर की जा सकती है?
जनहित याचिकाओं को केवल उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) या उच्च न्यायालय (High Court) में दायर किया जा सकता है.दायर की गई याचिका जनहित है या नहीं, इसका फैसला कोर्ट ही करता है.
पीआईएल में सरकार को प्रतिवादी बनाया जाता है. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट सरकार को उचित निर्देश जारी करती हैं. यानी पीआईएल के जरिए लोग जनहित के मामलों में सरकार को अदालत से निदेर्श जारी करवा सकते हैं.

जनहित याचिका का विषय क्षेत्र 

1998 में सर्वोच्च न्यायालय ने जनहित याचिका  के रूप में ,
प्राप्त याचिकाओं पर कार्रवाई के लिए कुछ दिशा-निर्देश तय किए थे ।
इन्हें 2003 में पुनः संशोधित किया गया ।
इस सब को देखते हुए जनहित याचिका के विषय क्षेत्र इस प्रकार हैं :
●बंधुआ मजदूर
●उपेक्षित बच्चे
●न्यूनतम मजदूरी
●जेलों में दाखिल उत्पीड़न की शिकायतें ●पुलिस उपेक्षा
●महिला  अत्याचार निवारण
●दंगा पीड़ित याचिका
●पारिवारिक पेंशन आदि ।
इस सब के बाद एक महत्वपूर्ण बात भी याद रखने लायक है ,
जिसे खुद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि
“जनहित याचिका कोई गोली नहीं है,
और न ही हरेक मर्ज की दवा  और न ही यह कोई नगर वधू है ।”
कहां दाखिल होती है PIL
पीआईएल हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा सकती हैं. इससे नीचे की अदालतों में पीआईएल दाखिल नहीं होती. कोई भी पीआईएल आमतौर पर पहले हाई कोर्ट में ही दाखिल की जाती है. वहां से अर्जी खारिज होने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाता है. कई बार मामला व्यापक जनहित से जुड़ा होता है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट सीधे भी पीआईएल पर अनुच्छेद-32 के तहत सुनवाई करती है.
कैसे दाखिल करें PIL
लेटर के जरिये
अगर कोई शख्स आम आदमी से जुड़े मामले में हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट को लेटर लिखता है, तो कोर्ट देखता है कि क्या मामला वाकई आम आदमी के हित से जुड़ा है. अगर ऐसा है तो उस लेटर को ही पीआईएल के तौर पर लिया जाता है और सुनवाई होती है.
लेटर में यह बताया जाना जरूरी है कि मामला कैसे जनहित से जुड़ा है और याचिका में जो भी मुद्दे उठाए गए हैं, उनके हक में पुख्ता सबूत क्या हैं. अगर कोई सबूत है तो उसकी कॉपी भी लेटर के साथ लगा सकते हैं. लेटर जनहित याचिका में तब्दील होने के बाद संबंधित पक्षों को नोटिस जारी होता है और याचिकाकर्ता को भी कोर्ट में पेश होने के लिए कहा जाता है. सुनवाई के दौरान अगर याचिकाकर्ता के पास वकील न हो तो कोर्ट वकील मुहैया करा सकती है.
लेटर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम लिखा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम भी यह लेटर लिखा जा सकता है. लेटर हिंदी या अंग्रेजी में लिख सकते हैं. यह हाथ से लिखा भी हो सकता है और टाइप किया हुआ भी. लेटर डाक से भेजा जा सकता है. जिस हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से संबंधित मामला है, उसी को लेटर लिखा जाता है. लिखने वाला कहां रहता है, इससे कोई मतलब नहीं है.
वकील के जरिये
कोई भी शख्स वकील की मदद से जनहित याचिका दायर कर सकता है. वकील याचिका तैयार करने में मदद करते हैं. याचिका में प्रतिवादी कौन होगा और किस तरह उसे ड्रॉफ्ट किया जाएगा, इन बातों के लिए वकील की मदद जरूरी है.
पीआईएल दायर करने के लिए कोई फीस नहीं लगती. इसे सीधे काउंटर पर जाकर जमा करना होता है. हां, जिस वकील से इसके लिए सलाह ली जाती है, उसकी फीस देनी होती है. पीआईएल ऑनलाइन दायर नहीं की जा सकती.
कोर्ट का खुद संज्ञान
अगर मीडिया में जनहित से जुड़े मामले पर कोई खबर छपे, तो सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट अपने आप संज्ञान ले सकती हैं. कोर्ट उसे पीआईएल की तरह सुनती है और आदेश पारित करती है.