भारत के 25 महान शहीदों से संबंधित जानकारी और तथ्य
सैकड़ों वर्षों से ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ भारत सन 1947 में आज़ाद हुआ. यह आजादी लाखों लोगों के त्याग और बलिदान के कारण संभव हो पाई. इन महान लोगों ने अपना तन-मन-धन त्यागकर देश की आज़ादी के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया.
अपने परिवार, घर-बार और दुःख-सुख को भूल, देश के कई महान सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि आने वाली पीढ़ी स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले सके. स्वतंत्रता आन्दोलन में समाज के हर तबके और देश के हर भाग के लोगों ने हिस्सा लिया.
स्वतंत्र भारत का हरेक व्यक्ति आज इन वीरों और महापुरुषों का ऋणी है जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ सम्पूर्ण जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया. भारत माता के ये महान सपूत आज हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं. इनकी जीवन गाथा हम सभी को इनके संघर्षों की बार-बार याद दिलाती है और प्रेरणा देती है. अपने ‘स्वतंत्रता सेनानी’ भाग में हम इन तमाम महापुरुषों के जीवन के बारे में जानेंगे जिन्होंने ने कठोर और दमनकारी ‘अंग्रेजी हुकूमत’ से लड़कर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
स्वतंत्र भारत का हरेक व्यक्ति आज इन वीरों और महापुरुषों का ऋणी है जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ सम्पूर्ण जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया. भारत माता के ये महान सपूत आज हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं. इनकी जीवन गाथा हम सभी को इनके संघर्षों की बार-बार याद दिलाती है और प्रेरणा देती है. अपने ‘स्वतंत्रता सेनानी’ भाग में हम इन तमाम महापुरुषों के जीवन के बारे में जानेंगे जिन्होंने ने कठोर और दमनकारी ‘अंग्रेजी हुकूमत’ से लड़कर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
नाम
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संबंधित घटनाएं
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सजा
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खुदीराम बोस
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1908 में
सेशन जज किंग्जफोर्ड की गाड़ी पर बम फेकने के कारण बेणी रेलवे स्टेशन पर
गिरफ्तार हुए.
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11 अगस्त, 1908 को
फांसी दे दी गई
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अशफाकउल्ला खां
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19 अगस्त, 1925 को
काकोरी डाकगाड़ी डकैती केस के अभियोग में बंदी बनाया गया.
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18 दिसंबर 1927 ई. को फांसी दे दी गई
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ऊधम सिंह
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13 मार्च 1940 ई.
को सर माइकल-ओ-डायर को कैक्सटन हॉल लंदन में गोली मारने के कारण गिरफ्तार हुए.
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12 जून 1940 को फांसी दी गई.
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भगत सिंह
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सान्डर्स की हत्या तथा 8 अप्रैल, 1929 को
केंद्रीय विधानसभा में बम फेकने के सिलसिले में गिरफ्तारी.
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सान्डर्स की हत्या के
केस में मौत की सजा हुई तथा 23 मार्च 1931को फांसी पर चढ़कर शहीद
हुए.
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सुखदेव
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सान्डर्स की हत्या के
केस में मौत की सजा हुई. 15अप्रैल 1929 को
गिरफ्तार हुए.
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23 मार्च 1931 को भगत सिंह के साथ
फांसी दी गई.
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बटुकेश्वर दत्त
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भगत सिंह के साथ्ज्ञ
केंद्रीय असेम्बली में बम फेंकने के आरोप में गिरफ्तार हुए.
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इन्हें आजीवन कारावास
का दंड मिला.
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चंद्रशेखर आजाद
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काकोरी डाकगाड़ी डकैती
केस के मुख्य अभियुक्त तथा अंग्रेजी सरकार ने इन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने
के लिए तीस हजार रुपये पुरस्कार की घोषणा की.
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23 फरवरी 1931 को
एल्फ्रेड पार्क (इलाहाबाद) में शहीद हुए.
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मास्टर अमीचंद
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दिल्ली षड्यंत्र के
प्रमुख क्रान्तिकारी अमीचंद फरवरी, 1914 में वायसराय लॉर्ड
हार्डिंग की हत्या करने के आरोप में बंदी बनाए गए.
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8 मई, 1915 को
चार साथियों के साथ इन्हें फांसी दी गई.
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अवध बिहारी
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दिल्ली षड्यंत्र केस और
लाहौर बम कांड के आरोप में फरवरी, 1914 में इन्हें बंदी बनाया
गया.
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8 मई, 1915 को
चार साथियों के साथ इन्हें फांसी दे दी गई.
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मदन लाल धींगरा
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1 जुलाई, 1909 में
कर्नल विलियम कर्जन वाइली की हत्या करने के
कारण गिरफ्तार हुए.
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16 अगस्त, 1909 ई.
को इन्हें फांसी दे दी गई.
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दामोदर चापेकर
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22 जून, 1897 ई.
को प्लेग कमिश्नर रैंड और लेफ्टिनेंट एयर्स्ट हत्या सिलसिले में अपने भाइयों
के साथ गिरफ्तार हुए.
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18 अप्रैल, 1898 ई. को फांसी के तख्ते पर चढ़कर शहीद हो गए. इनके भाई बालकृष्ण चापेकर
को12 मई, 1899 तथा
वासुदेव चापेकर को 8 मई, 1899 को
फांसी पर लटका दिया गया.
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राजगुरु
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17 दिसंबर, 1928 को
सौन्डर्स की हत्या में भाग लेने के कारण 30 दिसंबर 1929 को
पूना में एक मोटर गैराज में गिरफ्तार हुए.
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23 मार्च, 1931 को केंद्रीय जेल लाहौर
में भगत सिंह और सुखदेव के साथ फांसदी दे दी गई.
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वासुदेव बलवंत फड़के
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एक सशस्त्र सेना बनाकर
ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के कारण 21 जुलाई, 1879 को
गिरफ्तार हुए.
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कालापानी की सजा के
सिलसिले में अदन में आमरण अनशन करके 17फरवरी, 1883 को प्राण त्याग
दिए.
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करतार सिंह सराबा
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गदर पार्टी के सक्रिय
कार्यकर्ता तथा लाहौर सैनिक षड्यंत्र के नेता की हैसियत से गिरफ्तार किए गए.
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16 नवंबर, 1915 को
फांसी के तख्ते पर झूलते हुए शहीद हो गए.
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राजेंद्र लाहिड़ी
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दक्षिणेश्वर बम कांड
तथा काकोरी डाक गाड़ी डकैती कांड के सिलसिले में गिरफ्तार हुए.
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17 दिसंबर, 1927 को
गोंडा की जेल में इन्हें फांसी दे दी गई.
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अनंत कान्हरे
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नासिक के जैक्सन हत्याकांड
के प्रमुख अभियुक्त होने के कारण बंदी बनाए गए.
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19 अप्रैल 1910 को फांसी दे दी गई.
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सुभाषचंद्र बोस
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21 अक्टूबर, 1943 को
सिंगापुर में आजाद भारत की अस्थाई सरकार की स्थापना की घोषणा की तथा जापानी
सेना की सहायता से अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर अधिकार करते हुए, 1944 में
भारतीय सीमा के इम्फाल क्षेत्र में प्रवेश किया.
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18 अगस्त 1945 को
वायुसेना दुर्घटना में इनकी मौत हो गई. लेकिन इस हादसे को अभी तके प्रमाणिक नहीं
माना गया है.
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विष्णु गणेश पिंगल
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23 मार्च 1915 को
विस्फोटक बमों के साथ गिरफ्तार कर लिए गए.
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17 नवंबर 1915 को
इन्हें फांसी दे दी गई.
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ब्रजकिशोर चक्रवर्ती
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मिदनापुर के जिला मजिस्ट्रेट
बर्ज पर गोली चलाने के आरोप में 2 सितंबर 1933 को
गिरफ्तार कर लिए गए
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26 अक्टूबर 1934 को
फांसी दी गई.
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कुसाल कोंवर
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9 अक्टूबर 1942 को
ब्रिटिश सैनिक गाड़ी को पटरी से उतारने के संदेह में गिरफ्तार हुए.
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16 जून 1943 को
इन्हें फांसी दे दी गई.
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असित भट्टाचार्य
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13 मार्च, 1933 को
हबीबगंज में हुई डाक डकैती तथा हत्या के अन्य मामले के सिलसिले में गिरफ्तार
किए गए.
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2 जुलाई 1934 को
सिलहट जेल में इन्हें फांसी दे दी गई.
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जगन्नाथ शिंदे
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शोलापुर थाने पर हुए
हमले का अभियोग लगाकर इन्हें बंदी बनाया गया.
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12 जनवरी 1931 में
इन्हें फांसी दे दी गई.
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हरकिशन
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23 दिसंबर 1930 को पंजाब के गवर्नर पर
गोली चलानेके आरोप में गिरफ्तार हुए.
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9 जून 1931 को
इन्हें फांसी दे दी गई.
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सूर्यसेन
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18 अप्रैल 1930 में
चटगांव स्थित ब्रिटिश शस्त्रागार पर आक्रमण में भाग लेने के कारण गिरफ्तार हुए.
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11 जनवरी 1934 को
इन्हें फांसी पर लटका दिया गया.
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लाला लाजपत राय
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17 नवंबर 1928 के साइमन कमीशन का विराध
करने पर पुलिस की लाठियों का शिकार हुए
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लाठी प्रहार के एक महीने
बाद उनका देहांत हो गया.
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