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इंडियन कानून धारा 412 / Indiyan Kaanoon Dhaara 412 / Indian Law Section 412

भारतीय समाज को क़ानूनी रूप से व्यवस्थित रखने के लिए सन 1860 में लार्ड मेकाले की अध्यक्षता में भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) बनाई गई थी। इस संहिता में विभिन्न अपराधों को सूचीबद्ध कर उस में गिरफ्तारी और सजा का उल्लेख किया गया है। इस में कुल मिला कर 511 धाराएं हैं।

                                         जो कोई ऐसी चुराई गई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करेगा या रखे रखेगा, जिसके कब्जे के विषय में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह डकैती द्वारा स्थानांतरित की गई है, अथवा किसी ऐसे व्यक्ति से, जिसके संबंध में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह डाकुओं की टोली का है या रहा है, ऐसी संपत्ति, जिसके विषय में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह चुराई हुई है, बेईमानी से प्राप्त करेगा, तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कठिन कारावास की सजा जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

1.
लूट करने, या लूट का प्रयत्न करने में स्वेच्छापूर्वक किसी को चोट पहुँचाना।
सजा - आजीवन कारावास या दस वर्ष कठिन कारावास और आर्थिक दण्ड।
यह एक ग़ैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।
2. 
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।