IPC कि धारा 323
चाहे कोई पुलिस वाला हो या नेता, कानून सबसे ऊपर है इसलिए अगर किसी पुलिस वाले ने आपसे मारपीट की है तो आप धारा 323 के अंतर्गत उसके खिलाफ FIR दर्ज करा सकते है. आप जितनी जल्दी करायेंगे उतना ही अच्छा है और अगर देर करते है तो कारण बताना पड़ेगा वैसे तो आम घटनाएं आपके आसपास होती ही रहती है. लेकिन वह घटना है पुलिस तक नहीं पहुंचती है. और आपसी सहमति से ही फैसला किया जा सकता है. गुस्से में आकर या वैसे ही लोग पुलिस में शिकायत दर्ज करवा देते हैं. आजकल के समय में जैसे आम घटना किसी को थप्पड़ मारना ऐसे मामलों की शिकायत की जा सकती है. इसलिए इस तरह की घटनाओं पर पुलिस सीधे FIR दर्ज नहीं करती है.क्योंकि इस तरह की घटनाएं Cognizable Offence में नहीं आती है. इसलिए पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है.लेकिन अगर फिर भी वह आदमी चाहता है. कि इसके खिलाफ शिकायत दर्ज की जानी चाहिए. तो वह इस मामले के लिए अदालत के सामने अर्जी दाखिल करके FIR दर्ज करने की अपील की जा सकती है. आम तौर पर होने वाली मारपीट में मामले में IPC कि धारा 323 के अनुसार केस दर्ज किया जाता है. और शिकायत के लिए पहले अदालत को फैसला करना पड़ता है. फिर उसके बाद शिकायत दर्ज की जाती है.
अगर किसी के साथ किसी भी तरह की मारपीट करता है. तो उस आदमी को पहले अपना मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार करवा लेना चाहिए यानी एमएलसी क्योंकि जब कोर्ट में शिकायत जाएगी तो उसके लिए आपके पास सबूत के तौर पर यह मेडिकल सर्टिफिकेट होना बहुत जरूरी है. और मेडिकल सर्टिफिकेट जब भी किसी के साथ मारपीट होती है. तो किसी भी डॉक्टर से करवाया जा सकता है. मेडिकल सर्टिफिकेट में डॉक्टरों द्वारा जानकारी दी जाती है.कि घायल व्यक्ति को कितनी चोट लगी है उसको किस तरह के हथियार से चोट मारी गई है और यह चोट किस तरह से लगी है यह सभी जानकारी डॉक्टर उसे मेडिकल सर्टिफिकेट में लिखता है और उसके साथ-साथ डॉक्टर अपनी राय भी लिखता है.कि घायल व्यक्ति के इलाज पर कितना खर्च आएगा उसको कितना नुकसान हुआ है. और वह कब तक ठीक होगा यह सभी बातें डॉक्टर उस सर्टिफिकेट में अपनी राय में लिखता है.