सरदार वल्लभ भाई पटेल 1875 – 1917 -
562 रियासतों का एकीकरण करने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में उनके ननिहाल में हुआ. वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई पटेल की चौथी संतान थे. उनकी माता का नाम लाडबा पटेल था. उन्होंने प्राइमरी शिक्षा कारमसद में ही प्राप्त की. बचपन से ही उनके परिवार ने उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया.
1893 में 16 साल की आयु में ही उनका विवाह झावेरबा के साथ कर दिया गया था. उन्होंने अपने विवाह को अपनी पढ़ाई के रास्ते में नहीं आने दिया. 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की. 1900 में ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जिससे उन्हें वकालत करने की अनुमति मिली. गोधरा में वकालत की प्रेक्टिस शुरू कर दी. जहाँ इन्होने प्लेग की महामारी से पीड़ित कोर्ट ऑफिशियल की बहुत सेवा की.
1902 में इन्होने वकालत काम बोरसद सिफ्ट कर लिया, क्रिमिनल लॉयर रूप नाम कमाया. अपनी वकालत के दौरान उन्होंने कई बार ऐसे केस लड़े जिसे दूसरे निरस और हारा हुए मानते थे. उनकी प्रभावशाली वकालत का ही कमाल था कि उनकी प्रसिद्धी दिनों-दिन बढ़ती चली गई. गम्भीर और शालीन पटेल अपने उच्चस्तरीय तौर-तरीक़ों लिए भी जाने जाते थे. यंही उनके पुत्री मणिबेन का 1904 व पुत्र दह्या का 1905 में जन्म हुआ. बेरिस्टर कोर्स करने के लिए पैसों की बचत करली थी परन्तु बड़े भाई विठलभाई की इच्छा पूरी करने के लिए उनहोंने खुद न जाकर 1905 में उन्हें इग्लैंड भेज दिया.
सरदार पटेल अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी, समर्पण व हिम्मत से साथ पूरा करते थे.
उनके इस गुण का दर्शन हमें सन् 1909 की इस घटना से होते है.
वे कोर्ट में केस लड़ रहे थे, उस समय उन्हें अपनी पत्नी की मृत्यु (11 जनवरी 1909) का तार मिला. पढ़कर उन्होंने इस प्रकार पत्र को अपनी जेब में रख लिया जैसे कुछ हुआ ही नहीं. दो घंटे तक बहस कर उन्होंने वह केस जीत लिया.
बहस पूर्ण हो जाने के बाद न्यायाधीश व अन्य लोगों को जब यह खबर मिली कि सरदार पटेल की पत्नी का निधन हुआ गया.
तब उन्होंने सरदार से इस बारे में पूछा तो सरदार ने कहा कि “उस समय मैं अपना फर्ज निभा रहा था, जिसका शुल्क मेरे मुवक्किल ने न्याय के लिए मुझे दिया था. मैं उसके साथ अन्याय कैसे कर सकता था.” ऐसी कर्तव्यपरायणता और शेर जैसे कलेजे की मिशाल इतिहास में विरले ही मिलती है.
सरदार वल्लभ भाई पटेल 1917 -1930 -
नवम्बर 1917 में पहली बार गाँधी जी से सीधे संपर्क में आये. 1918 में अहमदाबाद जिले में अकाल राहत का बहुत व्यवस्थित ढंग से प्रबंधन किया अहमदाबाद Municipal Board से गुजरात सभा को अच्छी धनराशी मंजूर करवाई जिससे इंफ्लुएंजा जैसी महामारी से निपटने के लिए एक अस्थाई हॉस्पिटल स्थापित किया. 1918 में ही सरकार द्वारा अकाल प्रभावित खेड़ा जिले में वसूले जा रहे लैंड रेवेन्यु के विरुद्ध “No-Tax” आन्दोलन का सफल नेतृत्व कर वसूली को माफ़ करवाया. गुजरात सभा को 1919 में गुजरात सूबे की काग्रेस कमिटी में परिवर्तित कर दिया जिसके सचिव पटेल तथा अध्यक्ष महात्मा गाँधी बने.
1920 के असहयोग आन्दोलन में सरदार पटेल ने स्वदेशी खादी, धोती, कुर्ता और चप्पल अपनाये तथा विदेशी कपड़ो की होली जलाई. Ahmedabad Municipal चुनाव में सभी ओपन सीटों पर जीत दर्ज की. तिलक स्वराज फण्ड के लिए 10 लाख रुपये एकत्रित किये. केवल गुजरात में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ३ लाख सदस्य बनाये. गांधी से मिलकर गुजरात विद्यापीठ स्थापित करने का निर्णय किया.
1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 36 वें अहमदाबाद अधिवाशन की स्वागत समिति के अध्यक्ष बने. वे गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पहले अध्यक्ष बने.
1922 में सरकार ने बोरसद तालुका की समस्त जनता पर हदीया (Haidiya) नाम से एक दंडात्मक कर थोप दिया जिसके विरोध में पटेल 1922-23 में बोरसद में सत्याग्रह कर पिंड छुड़वाया. इसके बाद गांधी वल्लबभाई को “King of Borsad” कहते थे. इसी दौरान 1922 में नागपुर में राष्ट्रीय झंडा आदोलन का सफल नेतृत्व किया. 1922 में ही गुजरात विद्यापीठ के लिए रंगून से करीब 10 लाख रुपये एकत्रित करके लाये.
चुनाव जीतकर 1923 में अहमदाबाद नगरपालिका (Ahmedabad Municipality) के निर्वाचित अध्यक्ष बने.
1927 में गुजरात तब तक की सबसे भयानक बाढ़ आई जिससे निपटने के लिए सरकार से एक करोड़ रुपये मंजूर करवाए.
1928 में अहमदाबाद नगरपालिका (Ahmedabad Municipality) के अध्यक्ष पद से स्तीफा देकर मोरबी में हुए कठियावाड सम्मलेन की अध्यक्षता की.
1928 में खेड़ा जिले के किसानों के बारडोली में No-Tax सत्याग्रह अभियान का सफल नेतृत्व किया जहाँ किसानों ने इनको सरदार की उपाधि दी. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में भी इस उपाधि सार्वजानिक मान्यता दे दी. 1929 में महाराष्ट्र राजनैतिक सम्मलेन की अध्यक्षता की तथा पूरे महाराष्ट्र में घूमे.
सरदार वल्लभ भाई पटेल 1930 -1946 -
गांधीजी के नमक सत्याग्रह के पक्ष में प्रचार करने के कारण इनको 7 मार्च, 1930 को गिरफ्तार कर साबरमती जेल में डाल दिया. जहाँ इन्होंने भूख हड़ताल कर, इनके स्टेटस के अनुरूप दी जा रही A class diet की जगह C class diet देने की प्रार्थना की. जिसे जेल प्रशासन को स्वीकार करना पड़ा.
26 जून, 1930 को रिहा कर दिया. 31 जुलाई, 1930 फिर गिरफ्तार कर तीन महीने के लिए कारावास की सजा दे दी गयी.
1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन की अध्यक्षता की. वायसराय लार्ड इरविन के साथ शिमला वार्ता में गांधीजी के साथ रहे
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान ही फिर गिरफ्तार कर जनवरी 1932 – जुलाई 1934 तक यरवदा जेल में गांधीजी के साथ कैद रखा. इसी दौरान उनके बड़े भाई विट्ठलभाई की जिनेवा के पास एक क्लिनिक में मृत्यु हो गयी. मनिबेन व कस्तुबा गाँधी को भी अल्प समय के लिए इसी जेल में रखा गया. नाक की गंभीर बीमारी कारण इन्हें जुलाई 1934 में रिहा करना पड़ा.
1935 से 1942 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संसदीय बोर्ड के चेयरमैन रहे. 1937-39 आठ सूबों में कांग्रेसी मंत्रिमंडलों के प्रवेक्षक रहे. चुनावों में उम्मीदवारों के चयन का कार्यभार भी इन्हीं पर था.
ग्रेट ब्रिटेन पर भारत की स्वतंत्रता लिए दबाव हेतु गांधीजी के सत्याग्रह में भाग लेने पर 18 नवम्बर, 1940 को Defense of India Act तहत गिरफ्तार कर लिया गया. आंत की गंभीर बीमारी के कारण अगस्त 1941 में रिहा करना पड़ा.
एक वर्ष बाद ही भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने पर अगस्त 1942 में अहमदनगर फोर्ट में नेहरु, आजाद व कई बड़े नेताओं के साथ इन्हें भी जेल में डाल दिया. बाद में 1945 के शुरुवात में यरवदा जेल शिफ्ट कर दिया गया. जून 1945 में शिमला वार्ता में भाग लेने हेतु जेल से रिहा करना पड़ा.
सरदार वल्लभ भाई पटेल 1946 – 1950 -
2 सितम्बर, 1946 सरदार पटेल अंतरिम सरकार में गृह, सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने. (जिसके मुखिया नेहरु वाइसराय की कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष थे.)
4 अप्रैल, 1947 को वल्लभ विद्यानगर में विट्ठलभाई महा विद्यालय का उदघाटन किया.
भारत सरकार ने 25 जून, 1947 को रियासतों के लिए सरदार पटेल अधीन एक नया विभाग Department of (Princely) States बनाने का निर्णय किया.
सरदार 15 अगस्त, 1947 को स्वतन्त्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री तथा गृह, स्टेट्स, सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने.
13 नवम्बर, 1947 को सोमनाथ पतन का दौरा किया तथा सोमनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार कराने का निश्चय किया.
नागपुर, बनारस तथा अल्लाहाबाद विश्वविद्यालय ने क्रमश: 3, 25 व 27 नवम्बर 1948 को सरदार पटेल को Doctor of Laws डिग्री प्रदान की.
15 फरवरी, 1948 भावनागर राज्य संघ की स्थापना की. 7अप्रैल, 1948 को राजस्थान राज्य संघ की स्थापना की. 22 अप्रैल, 1948 को मध्य/भारत संघ की स्थापना का एग्रीमेंट किया.
13-16 सितम्बर, 1948 हैदराबाद पुलिस एक्शन कर सेटल किया.
26 फरवरी, 1949 को उस्मानिया विश्वविद्यालय ने सरदार पटेल को Doctor of Laws डिग्री प्रदान की.
7 अक्टूबर – 15 नवम्बर, 1949 तक नेहरुजी की U.S., UK, and Canada की विदेश यात्रा के दौरान सफलता पूर्वक प्रधामंत्री की जिम्मेदारी संभाली.
15 दिसम्बर, 1950 को शेर-ए-हिंदुस्तान सरदार पटेल का निधन बॉम्बे में गया, बॉम्बे में ही उनका अंतिम संस्कार कर किया गया.
"मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"Faith is of no avail in absence of strength. Faith and strength, both are essential to accomplish any great work."~ Sardar Vallabhbhai Patel
"आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
Your goodness is impediment in your way, so let your eyes be red with anger, and try to fight the injustice with a firm hand."~ Sardar Vallabhbhai Patel
"ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, उनके साथ अक्सर मैं हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
Very often I indulge in less vigorous pranks with children who can afford to give me the benefit of their company. It is only so long as a man can retain the child in him that life can be free from those dark shadows which leave inevitable furrows on a man’s forehead."~ Sardar Vallabhbhai Patel
"जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है, इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"Life is in the hands of God, therefore, can not be worry."~ Sardar Vallabhbhai Patel
"जो तलवार चलाना जानते हुए भी तलवार को म्यान में रखता है, उसी की अहिंसा सच्ची अहिंसा कही जाएगी. कायरों की अहिंसा का मूल्य ही क्या. और जब तक अहिंसा को स्वीकार नहीं जाता, तब तक शांति कहाँ!" ~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति सदैव आशावान रहता है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"कठिनाई दूर करने का प्रयत्न ही न हो तो कठिनाई कैसे मिटे। इसे देखते ही हाथ-पैर बाँधकर बैठ जाना और उसे दूर करने का कोई भी प्रयास न करना निरी कायरता है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"कल किये जानेवाले कर्म का विचार करते-करते आज का कर्म भी बिगड़ जाएगा। और आज के कर्म के बिना कल का कर्म भी नहीं होगा, अतः आज का कर्म कर लिया जाये तो कल का कर्म स्वत: हो जाएगा।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"भगवान किसी को दूसरे के दोषों का धनद नहीं देता, हर व्यक्ति अपने ही दोषों से दुखी होता है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"अधिकार मनुष्य को अँधा बना देता है। इसे हजम करने के लिए जब तक पूरा मूल्य न चुकाया जाये, तब तक मिले हुए अधिकारों को भी हम गंवा बैठेंगे।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"जो व्यक्ति अपना दोष जनता है उसे स्वीकार करता है, वही ऊँचा उठता है। हमारा प्रयत्न होना चाहिए कि हम अपने दोषों को त्याग दें।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"अपने धर्म का पालन करते हुए जैसी भी स्थिति आ पड़े, उसी में सुख मानना चाहिए और ईश्वर में विश्वास रखकर सभी कर्तव्यों का पालन करते हुए आनन्दपूर्वक दिन बिताने चाहिए।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"शत्रु का लोहा भले ही गर्म हो जाये, पर हथौड़ा तो ठंडा रहकर ही काम दे सकता है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"Even if the enemy iron gets hot, then cold hammer can only work intermittently."~ Sardar Vallabhbhai Patel
"जीतने के बाद नम्रता और निरभिमानता आनी चाहिए, और वह यदि न आए तो वह घमंड कहलाएगा।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"चूँकि पाप का भार बढ़ गया है, अतः संसार विनाश के मार्ग पर अग्रसर है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"मानव ईश्वरप्रदत्त बुद्धि का उपयोग नहीं करता, आँखें होते हुए भी नहीं देखता, इसीलिए वह दुखी रहता है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"हिंसा के बल पर ही जो सारी तैयारी करते हैं। उनके दिल में भी के सिवाय और कुछ नहीं होता। भी तो ईश्वर से होना चाहिए,किसी मनुष्य या सत्ता से नहीं और भी को मिटाकर हम दूसरों को भयभीत करें तो इस जैसा कोई पाप नहीं।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"भारत की एक बड़ी विशेषता है, वह यह कि चाहे कितने ही उतर-चढ़ाव आएँ, किन्तु पुण्यशाली आत्माएँ यहाँ जन्म लेती ही रहती हैं।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"मृत्यु ईश्वर-निर्मित है, कोई किसी को प्राण न दे सकता है, न ले सकता है। सरकार की तोपें और बंदूकें हमारा कुछ भी नहीं कर सकतीं।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"शक्ति के बिना बोलने से लाभ नहीं। गोला-बारूद के बिना बत्ती लगाने से धडाका नहीं होता।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"शक्ति के बिना श्रद्धा व्यर्थ है। किसी भी महान कार्य को पूरा करने में श्रद्धा और शक्ति दोनों की आवश्यकता है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"जल्दी करने से आम नहीं पकता। आम की कच्ची कैरी तोड़ेंगे तो दांत खट्टे होंगे। फल को पकने दें, पकेगा तो स्वयं गिरेगा और रसीला होगा। इसी भांति समझौते का समय आएगा, तब सच्चा लाभ मिलेगा।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"सुख और दुःख मन के कारण ही पैदा होते हैं और वे मात्र कागज के गोले हैं।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"अगर आप आम के फल को समय से पहले ही तोड़ कर खा लेंगे, तो वह खट्टा ही लगेगा। लेकिन वहीँ आप उसे थोड़ा समय देते हैं तो वह खुद-ब-खुद पककर नीचे गिर जाएगा और आपको अमृत के समान लगेगा।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"अगर आपके पास शक्ति की कमी है तो विश्वास किसी काम का नहीं क्योंकि महान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शक्ति और विश्वास दोनों का होना जरूरी है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"अगर हमारी करोड़ों की दौलत भी चली जाए या फिर हमारा पूरा जीवन बलिदान हो जाए तो भी हमें ईश्वर में विश्वास और उसके सत्य पर विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"अधिकार मनुष्य को तब तक अँधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"अपने जीवन में हम जो कुछ कर पाते हैं, वह कोई बड़ी बात नहीं, जिसके लिए हम गुरुर कर सकें, क्योंकि जो कुछ हम करते हैं, उसमे हमारा क्या भाग है? असल में कराने वाला तो खुदा है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"आत्मा को गोली या लाठी नहीं मार सकती, दिल के भीतर की असली चीज इस आत्मा को कोई हथियार नहीं छू सकता।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"आपके घर का प्रबंध दूसरों को सौंपा गया हो तो यह कैसा लगता है- यह आपको सोचना है जब तक प्रबंध दूसरों के हाथ में है तब तक परतन्त्रता है और तब तक सुख नहीं।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"आलस्य छोडिये और बेकार मत बैठिये क्योंकि हर समय काम करने वाला अपनी इन्द्रियों को आसानी से वश में कर लेता है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"इंसान जितने सम्मान के लायक हो, उतना ही उसका सम्मान करना चाहिये, उससे अधिक नहीं करना चाहिये नहीं तो उसके नीचे गिरने का डर रहता है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"इस देश की मिट्टी में कुछ अलग ही बात है, जो इतनी कठिनाइयों के बावजूद हमेशा महान आत्माओं की भूमि रही हैं।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"ईश्वर का नाम ही (रामवाण) दवा है दूसरी सब दवाएं बेकार हैं वह जब तक हमें इस संसार में रखे, तब तक हम अपना कर्तव्य करते रहें जाने वाले का शोक न करें, क्योंकि जीवन की डोर तो उसी के हाथ में है फिर चिंता की क्या बात याद रहे कि सबसे दुखी मनुष्य में भगवान का वास होता है वह महलों में नहीं रहता।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"कठोर-से-कठोर हृदय को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है प्रेम तो प्रेम है माता को भी अपना काना-कुबड़ा बच्चा भी सुंदर लगता है और वह उससे असीम प्रेम करती है।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"कल किये जाने वाले कर्म का विचार करते-करते आज का कर्म भी बिगड़ जाएगा और आज के कर्म के बिना कल का कर्म भी नहीं होगा, अतः आज का कर्म कर लिया जाये तो कल का कर्म स्वत: हो जाएगा कल हमें कोई मदद देने वाला है, इसलिए आज बेठे रहे, तो आज भी बिगड़ जाएगा, और कल तो बिगड़ेगा ही।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल
"कायरता का बोझा दूसरे पड़ोसियों पर रहता है अतः हमें मजबूत बनना चाहिए ताकि पड़ोसियों का काम सरल हो जाए।"~ सरदार वल्लभ भाई पटेल