एक बार फिर प्रदेश में पुलिस का खूफिया तंत्र फेल हो गया। खुफिया विभाग के पास यह इनपुट नहीं था कि प्रदेश में इतने बड़े स्तर पर हालात बिगड़ जाएंगे। इसलिए पुलिस अधिकारी और सरकार निश्चिंत रहे। पुलिस को यह भी अनुमान नहीं था कि इतनी संख्या में लोग सड़कों पर निकल कर प्रदर्शन कर जीटी रोड व एनएच-1 समेत रेल ट्रैक भी जाम कर देंगे। लेकिन दोपहर के बाद हालात बेकाबू होते गए तो पुलिस-प्रशासन हरकत में आया। इसके बाद जहां भी पुलिस कर्मचारी जाम हटाने गए, वहीं प्रदर्शनकारियों ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। यह भी माना जा रहा है कि बिना तैयािरयों के ट्रेनिंग सेंटरों से जवान बुलाए गए थे। इसके चलते वे प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने में असफल रहे।
मामला बढ़ा तो पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए,
पुलिस अधिकारी मान रहे थे कि भारत बंद का प्रदेश में ज्यादा असर नहीं होगा। सोमवार सुबह होते ही लोग सड़कों और रेलवे ट्रैकों पर आ गए। बसों के पहिए थम गए। ट्रेनों की आवाजाही बंद हो गई। राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित करने के अलावा कई शहरों में दुकानों में तोड़फोड़ की गई। पुलिस पर पथराव हुआ। मामला बढ़ा तो पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए, क्योंकि इतनी सूचना उनके पास थी ही नहीं। रामपाल, जाट आरक्षण और डेरा सच्चा सौदा मामले में भी पुलिस का खुफिया तंत्र फेल होने से प्रदेश में आगजनी की घटनाएं हुई थीं।
डीजीपी बोले- पूरे प्रदेश में स्थिति नियंत्रण में हैं
हरियाणा के डीजीपी बीएस संधू के मुताबिक, इतने बड़े स्तर पर स्थिति बिगड़ेगी, ऐसी रिपोर्ट नहीं थी। फिर भी समय रहते प्रदेश में स्थिति काबू में कर ली गई है। दो एसएचओ भी घायल हुए हैं। प्रदेश में कुछ प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है।
4 सुलगते सवाल
- प्रदर्शनकारियों की वीडियोग्राफी क्यों नहीं कराई गई, जबकि जाट आंदोलन के बाद कुछ भी बड़ा प्रदर्शन होने पर वीडियोग्राफी कराई गई है।
- इंटेलिजेंस अलर्ट क्यों नहीं था?
- सरिए-लाठी लेकर सड़कों पर दिखे, पुलिस को क्यों नहीं?
- उपद्रवी तांडव करते रहे, पुलिस ने सख्त कदम क्यों नहीं उठाए?
40 एफआईआर दर्ज 90 पुलिसकर्मी घायल
एडीजीपी अकील अहमद का कहना है कि प्रदेश में अब तक 40 प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है। प्रदेशभर में 90 से ज्यादा पुलिस कर्मचारी जख्मी है। तोड़फोड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा
मामला बढ़ा तो पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए,
पुलिस अधिकारी मान रहे थे कि भारत बंद का प्रदेश में ज्यादा असर नहीं होगा। सोमवार सुबह होते ही लोग सड़कों और रेलवे ट्रैकों पर आ गए। बसों के पहिए थम गए। ट्रेनों की आवाजाही बंद हो गई। राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित करने के अलावा कई शहरों में दुकानों में तोड़फोड़ की गई। पुलिस पर पथराव हुआ। मामला बढ़ा तो पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए, क्योंकि इतनी सूचना उनके पास थी ही नहीं। रामपाल, जाट आरक्षण और डेरा सच्चा सौदा मामले में भी पुलिस का खुफिया तंत्र फेल होने से प्रदेश में आगजनी की घटनाएं हुई थीं।
डीजीपी बोले- पूरे प्रदेश में स्थिति नियंत्रण में हैं
हरियाणा के डीजीपी बीएस संधू के मुताबिक, इतने बड़े स्तर पर स्थिति बिगड़ेगी, ऐसी रिपोर्ट नहीं थी। फिर भी समय रहते प्रदेश में स्थिति काबू में कर ली गई है। दो एसएचओ भी घायल हुए हैं। प्रदेश में कुछ प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है।
4 सुलगते सवाल
- प्रदर्शनकारियों की वीडियोग्राफी क्यों नहीं कराई गई, जबकि जाट आंदोलन के बाद कुछ भी बड़ा प्रदर्शन होने पर वीडियोग्राफी कराई गई है।
- इंटेलिजेंस अलर्ट क्यों नहीं था?
- सरिए-लाठी लेकर सड़कों पर दिखे, पुलिस को क्यों नहीं?
- उपद्रवी तांडव करते रहे, पुलिस ने सख्त कदम क्यों नहीं उठाए?
40 एफआईआर दर्ज 90 पुलिसकर्मी घायल
एडीजीपी अकील अहमद का कहना है कि प्रदेश में अब तक 40 प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है। प्रदेशभर में 90 से ज्यादा पुलिस कर्मचारी जख्मी है। तोड़फोड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा