27 जनवरी संभालने की औकात ना हो तो कल तिरंगा खरीदकर फर्जी देशभक्ति का प्रदर्शन ना करें
26 जनवरी या 15 अगस्त आने पर कोई दुकान पर जाता है 10 रुपए का चाइनीज झंडा खरीदता है और फिर उसके साथ एक फोटो खींचकर सीधे फेसबुक पर। बस इतनी देर की होती है देशभक्ति।फिर जो झंडा उसने फेंका वो नाली में, गली में या सड़क पर पड़ा होता है और फर्जी देशभक्ति का सबूत बन जाता है।
इसी को लेकर सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है। मैसेज में कहा जा रहा है कि कल तिरंगा संभालने की औकात ना हो तो आज तिरंगा खरीदकर फर्जी देशभक्ति का प्रदर्शन ना करें। राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की शान होता है। दुनिया के सभी देशों में अपने अपने राष्ट्र ध्वज हैं। अधिकतर देशों में इसके सम्मान के नियम बने हैं। तिरंगे का साइज.3ः2 अनुपात होता है। राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के तहत धारा-2 में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर सजा का प्रावधान है।
भारत में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को आन-बान-शान माना जाता है। यहां तिरंगे का महत्व किसी भी व्यक्ति से अधिक है। चाहे वह आम नागरिक हो या नेता या किसी भी बडे पद पर हो। सबको तिरंगे का सम्मान करना होता है। तिरंगे का अपमान करने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है। तिरंगा फहराने और इसके सम्मान के क्या नियम हैं ये हम आपको बता रहे हैं…..
तिरंगा फहराएं पर कुछ बातें हैं जिन्हें ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अन्यथा राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर सजा हो सकती है। 26 जनवरी और 15 अगस्त को कागज के झंडे हाथ में लेकर चलने का अधिकार भारतीय नागरिकों को मिला हुआ है। इसमें प्लास्टिक के झंडे शामिल नहीं हैं। प्रयोग के बाद इन्हें जमीन पर नहीं फेंकना चाहिए। इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जाता है।
इस तरह फहराएं झंडा : 26 जनवरी 2002 को लागू भारतीय ध्वज संहिता में प्रावधान है कि ध्वज ऐसी जगह फहराया जाना चाहिए जहां से स्पष्ट दिखे। सरकारी भवनों पर रविवार या छुट्टी वाले दिन भी सूर्यास्त तक ध्वज फहराया जा सकता है। झंडे को धीरे-धीरे आदर के साथ फहराया और उतारा जाता है। फहराते और उतारते समय बिगुल की आवाज होनी चाहिए। सभा या मंच पर झंडा फहराते समय वक्ता का मुंह श्रोताओं की तरफ हो और झंडा वक्ता के दाहिने ओर होना चाहिए। अधिकारी की गाड़ी पर अगर ध्वज लगा है तो वह सामने की तरफ बीच या कार के दाहिनी और होना चाहिए।
अपमान पर तीन साल तक की सजा: राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के तहत धारा-2 में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर सजा का प्रावधान है। इसके तहत तीन साल तक कैद, जुर्माना या दोनों हो सकता है। यह सजा पाने वाला 6 साल तक कोई भी चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होता है।
ऐसा करने पर माना जाएगा अपमान : राष्ट्रीय ध्वज को झुका देना (शोक की स्थिति छोड़कर), आधा झुकाकर फहराना, नेपकिन या रुमाल के रूप में प्रयोग, किसी तरह का सामान ले जाने के लिए प्रयोग, जमीन पर छूना और उल्टा फहराना ध्वज का अपमान माना जाता है। 2005 से पहले ध्वज को ड्रेस के रूप में भी प्रयोग की मनाही थी, लेकिन 5 जुलाई, 2005 को इसे सम्मानित तरीके से कमर के ऊपर वेशभूषा या वर्दी में प्रयोग की अनुमति दे दी गई है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वज में फूल की पंखुडियां बांधी जा सकती हैं। अन्य किसी भी दिन कोई भी वस्तु ध्वज से बांधना अपमान माना जाएगा।
26 जनवरी या 15 अगस्त आने पर कोई दुकान पर जाता है 10 रुपए का चाइनीज झंडा खरीदता है और फिर उसके साथ एक फोटो खींचकर सीधे फेसबुक पर। बस इतनी देर की होती है देशभक्ति।फिर जो झंडा उसने फेंका वो नाली में, गली में या सड़क पर पड़ा होता है और फर्जी देशभक्ति का सबूत बन जाता है।
इसी को लेकर सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है। मैसेज में कहा जा रहा है कि कल तिरंगा संभालने की औकात ना हो तो आज तिरंगा खरीदकर फर्जी देशभक्ति का प्रदर्शन ना करें। राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की शान होता है। दुनिया के सभी देशों में अपने अपने राष्ट्र ध्वज हैं। अधिकतर देशों में इसके सम्मान के नियम बने हैं। तिरंगे का साइज.3ः2 अनुपात होता है। राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के तहत धारा-2 में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर सजा का प्रावधान है।
भारत में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को आन-बान-शान माना जाता है। यहां तिरंगे का महत्व किसी भी व्यक्ति से अधिक है। चाहे वह आम नागरिक हो या नेता या किसी भी बडे पद पर हो। सबको तिरंगे का सम्मान करना होता है। तिरंगे का अपमान करने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है। तिरंगा फहराने और इसके सम्मान के क्या नियम हैं ये हम आपको बता रहे हैं…..
तिरंगा फहराएं पर कुछ बातें हैं जिन्हें ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अन्यथा राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर सजा हो सकती है। 26 जनवरी और 15 अगस्त को कागज के झंडे हाथ में लेकर चलने का अधिकार भारतीय नागरिकों को मिला हुआ है। इसमें प्लास्टिक के झंडे शामिल नहीं हैं। प्रयोग के बाद इन्हें जमीन पर नहीं फेंकना चाहिए। इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जाता है।
इस तरह फहराएं झंडा : 26 जनवरी 2002 को लागू भारतीय ध्वज संहिता में प्रावधान है कि ध्वज ऐसी जगह फहराया जाना चाहिए जहां से स्पष्ट दिखे। सरकारी भवनों पर रविवार या छुट्टी वाले दिन भी सूर्यास्त तक ध्वज फहराया जा सकता है। झंडे को धीरे-धीरे आदर के साथ फहराया और उतारा जाता है। फहराते और उतारते समय बिगुल की आवाज होनी चाहिए। सभा या मंच पर झंडा फहराते समय वक्ता का मुंह श्रोताओं की तरफ हो और झंडा वक्ता के दाहिने ओर होना चाहिए। अधिकारी की गाड़ी पर अगर ध्वज लगा है तो वह सामने की तरफ बीच या कार के दाहिनी और होना चाहिए।
अपमान पर तीन साल तक की सजा: राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के तहत धारा-2 में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर सजा का प्रावधान है। इसके तहत तीन साल तक कैद, जुर्माना या दोनों हो सकता है। यह सजा पाने वाला 6 साल तक कोई भी चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होता है।
ऐसा करने पर माना जाएगा अपमान : राष्ट्रीय ध्वज को झुका देना (शोक की स्थिति छोड़कर), आधा झुकाकर फहराना, नेपकिन या रुमाल के रूप में प्रयोग, किसी तरह का सामान ले जाने के लिए प्रयोग, जमीन पर छूना और उल्टा फहराना ध्वज का अपमान माना जाता है। 2005 से पहले ध्वज को ड्रेस के रूप में भी प्रयोग की मनाही थी, लेकिन 5 जुलाई, 2005 को इसे सम्मानित तरीके से कमर के ऊपर वेशभूषा या वर्दी में प्रयोग की अनुमति दे दी गई है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वज में फूल की पंखुडियां बांधी जा सकती हैं। अन्य किसी भी दिन कोई भी वस्तु ध्वज से बांधना अपमान माना जाएगा।