2019 लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र बहुजन समाजवादी (बसपा) पार्टी और समाजवादी पार्टी (सपा) ने गठबंधन कर लिया है और इस गठबंधन का उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार देश में बनने से रोकना है। बता दें कि इस गठबंधन की जानकारी देने के लिए संयुक्त रूप से बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जहां आगे की रणनीति की जानकारी दी गयी वहीं मायावती ने आज से लगभग 26 साल पहले लखनऊ में हुए गेस्टहाउस कांड का ज़िक्र भी किया। उन्होंने कहा कि भाजपा को हारने के लिए वो सब कुछ भुला चुकी हैं और सपा के साथ हाथ मिला रही हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वो गेस्टहाउस कांड आखिर था क्या जिसकी वजह से 26 सालों तक मायावती सपा से दूर रहीं। अगर आप इस कांड के बारे में नहीं जानते तो आज जान लीजिए।
आपको बता दें कि जब साल 1993 में मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बनें तब के बाद बसपा और भाजपा के बीच बातचीत हो रही थी जिससे सपा को लगा कि बसपा सरकार पार्टी से समर्थन वापस लेकर भाजपा सरकार को दे सकती है। ऐसे में जब 2 जून 1995 को मायावती लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस में अपने विधायकों के साथ मीटिंग कर रही थीं तभी वहां सैकड़ों की संख्या में सपा समर्थक पहुंच गए जो पूरी तरह से आक्रोशित थे। इस भीड़ ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया और तोड़ फोड़ करनी शुरू कर दी साथ ही सपा नेताओं के साथ मार-पीट करने लगे।
लेखक-पत्रकार अजय बोस की किताब 'बहनजी' के मुताबिक़ 2 जून 1995 की दोपहर बसपा विधायकों के साथ स्टेट गेस्ट हाउस में मायावती ने राजनैतिक स्थिति पर चर्चा के लिए सभा बुलाई थी जिसके ख़त्म होने के बाद मायावती कुछ विधायकों को साथ लेकर चर्चा के लिए अपने कमरे में चली गईं। बाकी विधायक कॉमन हॉल में ही बैठे रहे। तभी 200 के करीब सपा के विधायकों और कार्यकर्ताओं के समूह ने गेस्ट हाउस पर धावा बोला।
सपा समर्थक गेस्टहाउस का में गेट तोड़कर अंदर आ गए और मारपीट करने लगे। इसके बाद कुछ को बसपा विधायकों को घसीटकर गाड़ी में डालकर मुख्यमंत्री निवास भेजा गया वहीं कुछ को सरकार को समर्थन वाले शपथ पत्र पर साइन कराए गए और डर के मारे इन विधायकों ने कोरे कागज तक पर साइन कर दिए। ऐसा कहा जाता है कि इस पूरे कांड के दौरान मायावती ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था और किसी तरह से उनकी जान बच पायी। बताया जाता है कि मायावती के कमरे के दरवाजे को भी तोड़ने की कोशिश की गयी लेकिन किसी तरह वो बच गयीं।
इस मामले पर कभी मायावती ने कुछ खुलकर नहीं बोला लेकिन आजतक उनके 26 साल पुराना वो गेस्टहाउस कांड याद है। मायावती ने इस कांड को उन्हें जान से मारने की साज़िश बताया था जिससे वो बच निकलीं थी और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 26 साल बाद उन्होंने इस कांड को भुलाकर सपा के साथ मिलकर 2019 लोकसभा चुनाव के रण में उतरने का फैसला किया है।
आपको बता दें कि जब साल 1993 में मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बनें तब के बाद बसपा और भाजपा के बीच बातचीत हो रही थी जिससे सपा को लगा कि बसपा सरकार पार्टी से समर्थन वापस लेकर भाजपा सरकार को दे सकती है। ऐसे में जब 2 जून 1995 को मायावती लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस में अपने विधायकों के साथ मीटिंग कर रही थीं तभी वहां सैकड़ों की संख्या में सपा समर्थक पहुंच गए जो पूरी तरह से आक्रोशित थे। इस भीड़ ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया और तोड़ फोड़ करनी शुरू कर दी साथ ही सपा नेताओं के साथ मार-पीट करने लगे।
लेखक-पत्रकार अजय बोस की किताब 'बहनजी' के मुताबिक़ 2 जून 1995 की दोपहर बसपा विधायकों के साथ स्टेट गेस्ट हाउस में मायावती ने राजनैतिक स्थिति पर चर्चा के लिए सभा बुलाई थी जिसके ख़त्म होने के बाद मायावती कुछ विधायकों को साथ लेकर चर्चा के लिए अपने कमरे में चली गईं। बाकी विधायक कॉमन हॉल में ही बैठे रहे। तभी 200 के करीब सपा के विधायकों और कार्यकर्ताओं के समूह ने गेस्ट हाउस पर धावा बोला।
सपा समर्थक गेस्टहाउस का में गेट तोड़कर अंदर आ गए और मारपीट करने लगे। इसके बाद कुछ को बसपा विधायकों को घसीटकर गाड़ी में डालकर मुख्यमंत्री निवास भेजा गया वहीं कुछ को सरकार को समर्थन वाले शपथ पत्र पर साइन कराए गए और डर के मारे इन विधायकों ने कोरे कागज तक पर साइन कर दिए। ऐसा कहा जाता है कि इस पूरे कांड के दौरान मायावती ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था और किसी तरह से उनकी जान बच पायी। बताया जाता है कि मायावती के कमरे के दरवाजे को भी तोड़ने की कोशिश की गयी लेकिन किसी तरह वो बच गयीं।
इस मामले पर कभी मायावती ने कुछ खुलकर नहीं बोला लेकिन आजतक उनके 26 साल पुराना वो गेस्टहाउस कांड याद है। मायावती ने इस कांड को उन्हें जान से मारने की साज़िश बताया था जिससे वो बच निकलीं थी और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 26 साल बाद उन्होंने इस कांड को भुलाकर सपा के साथ मिलकर 2019 लोकसभा चुनाव के रण में उतरने का फैसला किया है।