सरपंचों के आंदोलन पर सरकार का पलटवार, ई-पंचायत नहीं चाहिए तो ग्राम सभा का प्रस्ताव भेजें। ई-पंचायत नहीं बनने वालों की सुविधाएं कम होगी
इस संदेश के साथ ही आश्चर्यजनक रूप से ये भी कहा गया है कि ऐसा करने वाली पंचायते अपने ग्रामीणों को अंधेरे में रखना चाहती होंगी। लोकजीवन में प्रचलित भाषा के इस्तेमाल के साथ कहा गया है कि ‘हरियाणा में गाम राम है, आंदोलन ना करें, सरपंच ग्राम सभा का प्रस्ताव भेजें’।
जहॉ पारदर्शिता नहीं-वहां अधिक अधिकार नहीं, और पुरस्कार नहीं
इसके साथ ही सरकार की तरफ से शर्तें भी लगा दी गई हैं। सरकार का कहना है कि जो ग्राम पंचायत पारदर्शिता व नियोजित योजना का हिस्सा नहीं बनना चाहती, उन्हें अधिक आर्थिक आधार नहीं दिये जा सकते। जो पंचायतें ई-पंचायत को लागू नहीं करना चाहती, उन्हें 20 लाख के स्वयं खर्च करने के अधिकार के स्थान पर दस लाख रुपये ही स्वयं खर्च करने के अधिकार तक सीमित रखा जायेगा। इन पंचायतों को गुड गवर्नेस की परफोरमेंस ग्रांट भी प्रदान नहीं की जायेगी।
राज्य सरकार ने कहा है कि ई-पंचायत लागू होने पर गांव के विकास की पूरी कहानी पूरी पारदर्शी हो जायेगी। गांव में कितना पैसा विकास के लिये आया है और कहां-कहां खर्च हुआ है, कौन-कौन से काम बाकी है, यह जानकारी भी पोर्टल पर हमेशा उपलब्ध रहेगी।। पंचायतें भी प्रदेश सरकार की तरह पूर्व योजना बनाकर पोर्टल पर डाल देंगी कि आगामी वर्ष की ग्राम पंचायत की विकास योजना क्या है।
यह पारदर्शिता जहॉ हर गांववासी के हित मे है, वही पंचायत के लिए सुविधाजनक व उसे सामर्थ्यवान बनाने वाली है। इस पादर्शिता से पंचायतों पर ऑडिट आब्जेक्सन नहीं लगेंगे, वित्तीय प्रबंधन बेहतर हो जायेगा और सब रिकार्ड हर समय उपलब्ध होगा तो अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं हो सकेगी।
ई-पंचायत केन्द्रीय पंचायत मंत्रालय द्वारा लागू की जा रही, भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो पारदर्शिता व सुराज के लिए चलाये जा रहे 31 मिशनमोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है। यह समस्त भारत मे लागू की जा रही है। ई-गवर्नेंस व जन के लिए पारदर्शी व स्वत सुचनायें उपलब्ध कराने वाली है।