भिवानी शहर के 71 फर्जी स्कूलों व शिक्षा अकेडमियों के सम्बंध में हाई कोर्ट हुआ सख्त, प्रदेश सरकार से किया 18 अप्रैल को जवाब तलब
भिवानी शहर में चल रहे 71 फर्जी स्कूलों एवं शिक्षा अकादमियों के मामले में माननीय चंडीगढ़ हाई कोर्ट ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए प्रदेश सरकार से आगामी 18 अप्रैल को जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार को सख्त हिदायतें दी हैं कि वे ऐसे स्कूलों एवं शिक्षा अकादमियों को तुरंत प्रभाव से बंद कराकर न्यायालय में इसकी रिपोर्ट पेश करें, जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही हैं।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने वरिष्ठ एडवोकेट अंकित ग्रेवाल के माध्यम से हाई कोर्ट में 9 अक्टूबर 2018 को फर्जी स्कूलों के सम्बंध में जनहित याचिका डाली थी। जिस पर माननीय हाई कोर्ट की डबल बैंच के सीनियर जस्टिस अजय कुमार मित्तल व अनुपेन्द्र सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने भिवानी शहर के 71 फर्जी स्कूलों के सम्बंध में कड़ा संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपार परमार ने हाई कोर्ट में दायर की कई जनहित याचिका में हवाला दिया था कि अकेले भिवानी शहर में 71 फर्जी निजी स्कूल व अकेडमी चल रहे हैं, जो शिक्षा नियमावली 2011 का उल्लंघन करते हुए संचालित किए जा रहे हैं। ये निजी स्कूल और शिक्षा अकेडमियां बिना किसी मान्यता प्राप्त किए बगैर संचालित किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल ने माननीय उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा फर्जी स्कूल घोषित किए जाने के बावजूद भी ये शिक्षण संस्थान बच्चों के धडल्ले से दाखिला करने में जुटे हैं, जबकि शिक्षा नियमावली के अंतर्गत किसी भी नियम को पूरा नहीं करते। शिक्षा विभाग के अधिकारी केवल इन्हें नोटिस थमाकर हाथ पर हाथ धरे बैठें हंै। इसके अलावा अवैध रूप से चल रही शिक्षा अकादमियों में भी बच्चों से मोटी फीस वसूलकर कक्षा आठवीं से बारहवीं तक पढ़ाई करवाई जाती हैं, जिन बच्चों के दाखिले भी फर्जी ढंग से किसी ना किसी स्कूल में दर्शाए जाते हैं, इन बच्चों का नाम तो स्कूलों में चलता है, जबकि ये बच्चे अकेडमी में ही पढ़ाई करते हैं, इससे अभिभावकों के साथ साथ शिक्षा विभाग को भी मोटा चूना लगाया जा रहा है। ये खेल शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों की नाक तले धडल्ले से चल रहा हैं, मगर ना तो जिला प्रशासन अवैध शिक्षा अकादमियों पर कोई कार्रवाई करता है और ना ही शिक्षा विभाग के अधिकारी इन अकादमियों की गतिविधियों पर कोई लगाम लगाते हैं। उनका कहना है कि अवैध रूप से चल रही शिक्षा अकादमियों को तुरंत प्रभाव से बंद कराकर इनके संचालकों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज कराए जाने की शिकायत भी सम्बंधित अधिकारियों को दी गई थी, मगर इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अब न्यायालय ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए सरकार से जवाब तलब किया है।
भिवानी शहर में चल रहे 71 फर्जी स्कूलों एवं शिक्षा अकादमियों के मामले में माननीय चंडीगढ़ हाई कोर्ट ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए प्रदेश सरकार से आगामी 18 अप्रैल को जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार को सख्त हिदायतें दी हैं कि वे ऐसे स्कूलों एवं शिक्षा अकादमियों को तुरंत प्रभाव से बंद कराकर न्यायालय में इसकी रिपोर्ट पेश करें, जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही हैं।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने वरिष्ठ एडवोकेट अंकित ग्रेवाल के माध्यम से हाई कोर्ट में 9 अक्टूबर 2018 को फर्जी स्कूलों के सम्बंध में जनहित याचिका डाली थी। जिस पर माननीय हाई कोर्ट की डबल बैंच के सीनियर जस्टिस अजय कुमार मित्तल व अनुपेन्द्र सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने भिवानी शहर के 71 फर्जी स्कूलों के सम्बंध में कड़ा संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपार परमार ने हाई कोर्ट में दायर की कई जनहित याचिका में हवाला दिया था कि अकेले भिवानी शहर में 71 फर्जी निजी स्कूल व अकेडमी चल रहे हैं, जो शिक्षा नियमावली 2011 का उल्लंघन करते हुए संचालित किए जा रहे हैं। ये निजी स्कूल और शिक्षा अकेडमियां बिना किसी मान्यता प्राप्त किए बगैर संचालित किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल ने माननीय उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा फर्जी स्कूल घोषित किए जाने के बावजूद भी ये शिक्षण संस्थान बच्चों के धडल्ले से दाखिला करने में जुटे हैं, जबकि शिक्षा नियमावली के अंतर्गत किसी भी नियम को पूरा नहीं करते। शिक्षा विभाग के अधिकारी केवल इन्हें नोटिस थमाकर हाथ पर हाथ धरे बैठें हंै। इसके अलावा अवैध रूप से चल रही शिक्षा अकादमियों में भी बच्चों से मोटी फीस वसूलकर कक्षा आठवीं से बारहवीं तक पढ़ाई करवाई जाती हैं, जिन बच्चों के दाखिले भी फर्जी ढंग से किसी ना किसी स्कूल में दर्शाए जाते हैं, इन बच्चों का नाम तो स्कूलों में चलता है, जबकि ये बच्चे अकेडमी में ही पढ़ाई करते हैं, इससे अभिभावकों के साथ साथ शिक्षा विभाग को भी मोटा चूना लगाया जा रहा है। ये खेल शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों की नाक तले धडल्ले से चल रहा हैं, मगर ना तो जिला प्रशासन अवैध शिक्षा अकादमियों पर कोई कार्रवाई करता है और ना ही शिक्षा विभाग के अधिकारी इन अकादमियों की गतिविधियों पर कोई लगाम लगाते हैं। उनका कहना है कि अवैध रूप से चल रही शिक्षा अकादमियों को तुरंत प्रभाव से बंद कराकर इनके संचालकों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज कराए जाने की शिकायत भी सम्बंधित अधिकारियों को दी गई थी, मगर इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अब न्यायालय ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए सरकार से जवाब तलब किया है।